काश ! वतन के
लिए
हो पाता शहीद
फिर चरकुटठे
काफिन में
लायी जाती
....... !!
मेरा शरीर
अगरबती व
लोबान के सुगंध में
फूल-मालाओं से
प्रदीप्त होता
शायद, कुछ टोपियाँ भी झुकती
आंखे तो नम
होती ही ॥ !!
पर लग रहा
किसी भेड़िये
के आतंक से
डर कर, हो जाऊंगा शिथिल
फिर वो नोच
लेगा बोटी बोटी
कहीं आत्मा भी
न मर जाए
क्योंकि फिर
मरे हुए
जानवर सा
बदबू देगा
........ मेरा शरीर !!
पता नहीं !!
भविष्य का ???
साथ में, वेब मैगजीन साहित्य रागिनी में मेरा साक्षात्कार पढ़ें, मुझे अच्छा लगेगा !
15 comments:
hum aam naagrikon ke jeevan mein aise asankhya 'kash' hain.. kya kije....... seedhe dil se nikli abhivyakti mitr...
:-(
क्या कहूँ.......
चलो जीवन को और सुन्दर बनायें.....अपनी वैल्यू खुद बढायें.
अनु
बहुत मर्मस्पर्शी रचना...
पहले जी कर दिखाएँ फिर सोचेंगे मौत का।
प्रभावी रचना।
मर्मस्पर्शी रचना.
bhavatmak abhivyakti .happy holi .
भावपूर्ण..
जो जीवन मिले उसे ही यदि सकारथ करें तो मृत्यु
जहां हो जैदी हो आत्मा पर बोझ निश्चित न रहेगा |आत्मा मरेगी नहीं यही सोच हो तो जीवन खुशहाल होगा |
देखिये न देश के लिए जो शहीद हुए थे....उनके
क्या हाल थे, स्वजनों तक अपने अंतिम संस्कार
के लिए पहुँचने के लिए न जाने कितना इंतजार करना पड़ा होगा..और उन स्वजनों को जो कुछ सहना पड़ा होगा ...इश्वर ही जनता होगा ...
(अभी हाल ही में हुए नक्सली हमले के सन्दर्भ में )
देखिये न देश के लिए जो शहीद हुए थे....उनके
क्या हाल थे, स्वजनों तक अपने अंतिम संस्कार
के लिए पहुँचने के लिए न जाने कितना इंतजार करना पड़ा होगा..और उन स्वजनों को जो कुछ सहना पड़ा होगा ...इश्वर ही जनता होगा ...
(अभी हाल ही में हुए नक्सली हमले के सन्दर्भ में )
देखिये न देश के लिए जो शहीद हुए थे....उनके
क्या हाल थे, स्वजनों तक अपने अंतिम संस्कार
के लिए पहुँचने के लिए न जाने कितना इंतजार करना पड़ा होगा..और उन स्वजनों को जो कुछ सहना पड़ा होगा ...इश्वर ही जनता होगा ...
(अभी हाल ही में हुए नक्सली हमले के सन्दर्भ में )
बेहद प्रभावी अभिव्यक्ति ! मर्मस्पर्शी !
mout to aani hi hai uske liye pahle se hi soch ke kyun darna ...
जीवन का अन्तिम सत्य है, बस गौरवपूर्ण रहे यह।
:(
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