दिल्ली फिल्म फेस्टिवल से खींची हुई तस्वीर |
मौसम की आवोहवा रिश्तों पर करती है असर !
ठंडी संवेदनाएं
और जम कर बनता बर्फ
जैसा हो जाता है रिश्ता
अंधेरी सर्द भरी रात
बिलकुल घुप्प एवं ठंडी
दूरी में रहती है गर्माहट
तो नज़दीकियाँ लाती है सर्द
ये रिश्ता भी है अजीब
मौसम की आवोहवा करती है असर !!
कभी कभी रिश्तों के बीच
चलती है लू जैसी गरम हवा
ढाती है कहर
झुलसा देती है अंदर तक
क्षण भर के कडवे गरम बोल
बना देते हैं पराये
ग्रीष्म ऋतु की दोपहरी के तरह
मौसम की आवोहवा रिश्तों पर करती है असर
ये संबंधो का अलबेला रिश्ता
सुख-दुख के दामन के बीच
खेलता है, अठखेलियाँ करता है
फिर कभी कभी यही रिश्ता
सावन के मूसलाधार बारिश के तरह
आँखों से झरझराने लगता है
ला देती है अंदर तक नमी
फिर यही बरसता सावन
लाता है गर्मजोशी
रिस जाता है दर्द
तो सही है न
मौसम की आवोहवा करती है रिश्तों पर असर !!
दिल्ली फिल्म फेस्टिवल से खींची हुई तस्वीर |
15 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (11-1-2014) "ठीक नहीं" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1489" पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
प्रशंसनीय प्रस्तुति
रिश्तों का भी मौसम होता है..!!
बहुत सुंदर !
अलबेली रचना।
सुन्दर
सही कहाँ अपने आजकल रिश्ते बहुत जल्दी बदलते हैं .कब कौन अपना अजनबीपन का अहसास दे जाए मौसम की तरह ......सुपर्ब पोस्ट
jo tut jaye ,badal jaye...wo rishte nahi hote,jo rishte jud gayen unpe mausam kya asar karega....sundar abhiwyakti...
मौसम और रिश्ते एक समान...सुन्दर लिखा !
sundar abhivyakti ..:)
बहुत सुन्दर !
रिश्ते और मौसम
वाह!एक शानदार एवं सार्थक प्रस्तुति ..!!
umda kavita ...badhaai
सुंदर भाव से सजे पोस्ट
अति उत्तम!!
Post a Comment