जिंदगी की राहें

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Monday, January 21, 2013

ऐसा क्यों होता है


हर बार ऐसा क्यों होता है 
अँधेरी सुकून भरी रात में 
नरम बिछौने पर 
नींद आने के बस 
कुछ पल पहले 
मन के अन्दर से 
अहसासों के तरकश से 
शब्दों के प्यारे बाण  
लगते हैं चलने....
मन ही मन 
कभी-कभी वास्तविक घटनाओं पर 
तो कभी काल्पनिकता 
की दुनिया में
हो जाते हैं गुम ... और
बस फटाक से 
कविता रच जाती है ...
.
पर ओह!
सुबह का ये नीला आकाश 
दिखते  ही ...
दूध-सब्जी लाने में 
बच्चो को स्कुल भेजने में 
न्यूज पेपर के व्यूज में 
आफिस की तैयारी में 
सारे सहेजे शब्द सो जाते हैं 
गडमगड हो जाते हैं एहसास ....

सारा रचना संसार 
खो जाता है 
सरे शब्द भाव उड़ जाते हैं 
शब्द सृजन की हो जाती है
ऐसी की तैसी
दूसरी रात आने तक ...
और फिर अंदर चलता रहता है
उथल-पुथल ....
ये क्यों होता है 
हर दिन ???  

27 comments:

shikha varshney said...

सबका यही हाल होता है :).

कालीपद "प्रसाद" said...
This comment has been removed by the author.
कालीपद "प्रसाद" said...

समुद्र की लहरे एक के बाद एक आती है और पहले वाले को मिटा देती है.मन के भाव भी वैसे ही है.
New post : शहीद की मज़ार से

प्रवीण पाण्डेय said...

आँख खुली, मन जगता रहता,
न जाने क्या बकता रहता...

ANULATA RAJ NAIR said...

पता होता तो कोई इलाज न करते....
:-)

अनु

Shalini kaushik said...

सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति करें अभिनन्दन आगे बढ़कर जब वह समक्ष उपस्थित हो . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सच में तलाशने से भी नहीं मिलते भाव,विचार और शब्द .....बेहतरीन अभिव्यक्ति

Anju (Anu) Chaudhary said...

सबके मन का एक ही ऐसा सवाल ...जिसका कोई जवाब नहीं है

nayee dunia said...

achha hi hota hai jo subah hote hi aate daal ka bhav pata chlte hi ....kavitaon ke sabhi bhav khtm ho jate hain ........

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma said...

यूँ गुमशुदा हुए रात में आये ख्याल , तलाशी में वो लफ्ज बरामद न हुए , सुबह हाथो से नज़्म फिसल गई !.......aksar aisa hota hain

Bodhmita said...

सरे शब्द भाव उड़ जाते हैं शब्द सृजन की हो जाती है ऐसी की तैसी|
kya baat kahi hai da... jindagi ki sachchai kavita ban kar aayi.... wah wah!!

Rewa Tibrewal said...

shayad hum sabka yahi haal hai....

poonam said...

yah marz laa ilaaz hae

poonam said...

yah marz laa ilaz hae

Dimple Kapoor said...

mere sath bhi yahi hota hai ....pta nhi kahan kahan dimag pahunch jaata hai raat ko n subah hone pe fir se vaise hi chal padhte ,vahi routine work par :)

Saras said...

ऐसा सबके साथ होता है ...घायल की गति घायल जाने.....इसका मैंने तो एक तरीका ढूंढ लिया है ...सिरहाने पेपर पेन रखकर ही सोती हूँ.....:)

रंजू भाटिया said...

सबके साथ यही है जी ...:)यह न हो तो अलग बात लगेगी :)

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

Bahut badhiya

neetta porwal said...

शायद सच को शौक है .. अपनी जेबो में हर तरह के पत्थरों को इकठ्ठा करने का ... जो जब तक उसकी जेब से सरक हमारे लिए कंकरीली सतह बिछा जाते हैं .. हकीकत बयान करती सरल रचना .. !!

विभा रानी श्रीवास्तव said...

लो :D जब आपका ये हाल है तो सोचिये ,सोचिये हम जैसों का क्या हाल होता होगा ..... :))

mridula pradhan said...

usi samay kaid kar ligiye.....kagaz par,aur koi chara nahin.

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

अक्सर यही होता है हमारे साथ भी...
सारे शब्द एक ऐसे समय पर आते हैं जब हम उन्हें कहीं लिख नहीं पाते... और जब लिखने का सोचो... तब गायब...
फिर कभी-कभी हम एक सोच(thought) को ही आधार बनाकर लिखने की कोशिश करते हैं...
~सादर!!!

ऋता शेखर 'मधु' said...

सारा दिन काम...नींद में कविता...फिर सोते कब होः)

Madan Mohan Saxena said...

कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं .बहुत खूब,

Anju said...

बच्चो को स्कुल भेजने में
न्यूज पेपर के व्यूज में
actual only two work r daily morning.
कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं .बहुत खूब!!

Bodhmita said...

सारा रचना संसार
खो जाता है
ASTITV KO TASHTI RACHNA...

रचना त्यागी 'आभा' said...

आह !! दुखती रग़ पर हाथ रखती कविता ! शब्दों की शरारत भरी ये आँख मिचौली !! :-)