हर बार ऐसा क्यों होता है
अँधेरी सुकून भरी रात में
नरम बिछौने पर
नींद आने के बस
कुछ पल पहले
मन के अन्दर से
अहसासों के तरकश से
शब्दों के प्यारे बाण
लगते हैं चलने....
मन ही मन
कभी-कभी वास्तविक घटनाओं पर
तो कभी काल्पनिकता
की दुनिया में
हो जाते हैं गुम ... और
बस फटाक से
कविता रच जाती है ...
.
पर ओह!
सुबह का ये नीला आकाश
दिखते ही ...
दूध-सब्जी लाने में
बच्चो को स्कुल भेजने में
न्यूज पेपर के व्यूज में
आफिस की तैयारी में
सारे सहेजे शब्द सो जाते हैं
गडमगड हो जाते हैं एहसास ....
सारा रचना संसार
खो जाता है
सरे शब्द भाव उड़ जाते हैं
शब्द सृजन की हो जाती है
ऐसी की तैसी
दूसरी रात आने तक ...
और फिर अंदर चलता रहता है
उथल-पुथल ....
ये क्यों होता है
27 comments:
सबका यही हाल होता है :).
समुद्र की लहरे एक के बाद एक आती है और पहले वाले को मिटा देती है.मन के भाव भी वैसे ही है.
New post : शहीद की मज़ार से
आँख खुली, मन जगता रहता,
न जाने क्या बकता रहता...
पता होता तो कोई इलाज न करते....
:-)
अनु
सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति करें अभिनन्दन आगे बढ़कर जब वह समक्ष उपस्थित हो . आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
सच में तलाशने से भी नहीं मिलते भाव,विचार और शब्द .....बेहतरीन अभिव्यक्ति
सबके मन का एक ही ऐसा सवाल ...जिसका कोई जवाब नहीं है
achha hi hota hai jo subah hote hi aate daal ka bhav pata chlte hi ....kavitaon ke sabhi bhav khtm ho jate hain ........
यूँ गुमशुदा हुए रात में आये ख्याल , तलाशी में वो लफ्ज बरामद न हुए , सुबह हाथो से नज़्म फिसल गई !.......aksar aisa hota hain
सरे शब्द भाव उड़ जाते हैं शब्द सृजन की हो जाती है ऐसी की तैसी|
kya baat kahi hai da... jindagi ki sachchai kavita ban kar aayi.... wah wah!!
shayad hum sabka yahi haal hai....
yah marz laa ilaaz hae
yah marz laa ilaz hae
mere sath bhi yahi hota hai ....pta nhi kahan kahan dimag pahunch jaata hai raat ko n subah hone pe fir se vaise hi chal padhte ,vahi routine work par :)
ऐसा सबके साथ होता है ...घायल की गति घायल जाने.....इसका मैंने तो एक तरीका ढूंढ लिया है ...सिरहाने पेपर पेन रखकर ही सोती हूँ.....:)
सबके साथ यही है जी ...:)यह न हो तो अलग बात लगेगी :)
Bahut badhiya
शायद सच को शौक है .. अपनी जेबो में हर तरह के पत्थरों को इकठ्ठा करने का ... जो जब तक उसकी जेब से सरक हमारे लिए कंकरीली सतह बिछा जाते हैं .. हकीकत बयान करती सरल रचना .. !!
लो :D जब आपका ये हाल है तो सोचिये ,सोचिये हम जैसों का क्या हाल होता होगा ..... :))
usi samay kaid kar ligiye.....kagaz par,aur koi chara nahin.
अक्सर यही होता है हमारे साथ भी...
सारे शब्द एक ऐसे समय पर आते हैं जब हम उन्हें कहीं लिख नहीं पाते... और जब लिखने का सोचो... तब गायब...
फिर कभी-कभी हम एक सोच(thought) को ही आधार बनाकर लिखने की कोशिश करते हैं...
~सादर!!!
सारा दिन काम...नींद में कविता...फिर सोते कब होः)
कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं .बहुत खूब,
बच्चो को स्कुल भेजने में
न्यूज पेपर के व्यूज में
actual only two work r daily morning.
कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं .बहुत खूब!!
सारा रचना संसार
खो जाता है
ASTITV KO TASHTI RACHNA...
आह !! दुखती रग़ पर हाथ रखती कविता ! शब्दों की शरारत भरी ये आँख मिचौली !! :-)
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