जिंदगी की राहें

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Tuesday, December 4, 2012

~ धुएँ का छल्ला ~




भैया !!
देना एक छोटी गोल्ड फ्लेक
एक मेंथोल टॉफी भी
सररर…….
माचिस के तिल्ली की आवाज
अंदर की और साँस
और फिर धुएँ का छल्ला 
मिलता-जुलता म्यूजिक भी
"सिगरेट के धुएँ का छल्ला बना कर"
ऐसा ही होती है न
शुरुआत स्मोकिंग की
सब कुछ परफेक्ट
.

पर कितना अजीब है न
ये धुआँ भी
अगर आँखों में लगे
तो लगता है जलने
पर श्वांस नाली के द्वारा
अंदर जाकर यही धुआँ
जब पहुँचता है फेफड़े तक
बेशक इसको देता है जला
पर एक अतृप्त नशा
कुछ क्षणों का अहसास
दे जाता है 
अंदर तक जलने की क्षमता
 .
हाँ ये बात है अलग
यही अंदर तक
जलाने की लगातार कोशिश
जब लाती है रंग...
अरे रंग नहीं बदरंग
खराश, खाँसी, हिचकी 
छाती में दर्द
कैंसर या फिर अंततः मौत
 .
लेकिन फिर भी
कुछ नहीं बदलता
बस एक उस इन्सान 
और उसके विरासत को 
मिलता है दर्द
बेपनाह दर्द
जो नहीं बदल पाया आदत
स्मोकिंग की आदत
 .
बदलोगे?
अब तो बदल पाओगे?
बदल लेना......

47 comments:

Vijay K Shrotryia said...

umda.... anubhuti evam abhivyakit

vijay

vandana gupta said...

ऐसी आदतें आसानी से नही छूटा करतीं।

Dimple Kapoor said...

smoking is d worst habbit evry1 shud be away from it ...my husband was chain-smoker n he had 2 pay for it ...bhut hi steek rachna Mukesh ji .

रंजू भाटिया said...

स्मोकिंग स्वस्थ के लिए हानिकारक है ...बहुत बढ़िया तरीके से अभिव्यक्त किया है आपने मुकेश ..

Anupama Tripathi said...

सार्थक अभिव्यक्ति ....

Aruna Kapoor said...

....इस बुरी आदत से छुटकारा पाने के लिए दृढ़ संकल्प की ही जरुरत होती है!

Aruna Kapoor said...

...इस बुरी आदत से छुटकारा पाने के लिए दृढ़ संकल्प की जरुरत होती है!

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma said...

लेकिन फिर भी
कुछ नहीं बदलता
बस एक उस इन्सान
और उसके विरासत को
मिलता है दर्द
बेपनाह दर्द
जो नहीं बदल पाया आदत
स्मोकिंग की आदत............ bahut umda .........aajkal gujar rahi hu isi dard se .......... mere bro jo smoking karte they aaj cancer se lad rahe hain ........... very nice post

Anju (Anu) Chaudhary said...

सावधानी हटी ,दुर्घटना घटी ....


सार्थक लेखन

सदा said...

सार्थकता लिये सशक्‍त लेखन ...
बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने

अनामिका की सदायें ...... said...

jaise tasveer k do rukh hote hain u hi har cheez ke do effect hote hain...acchhe me dekho to gam ko udane me dhuain ka koi jawab nahi...aur gar dhuan zindgi ko dhuan dhuan n kar de to iska bhi koi sani nahi.

Rajesh Kumari said...

बहुत अच्छे विचारणीय मुद्दे पर लिखी शानदार रचना के लिए बधाई सब कुछ जानते हुए अपने को मौत के मुह में धकेल देते हैं ना जाने ऐसा क्या है इस कमबख्त धुएं में

Ragini said...

मार्मिक अनुभव, अच्छी नसीहत, सधी लेखनी.........कुल मिलकर सार्थक अभिव्यक्ति!

रेखा श्रीवास्तव said...

कोई नहीं बदलता , जिसमें खुद को बदलने की क्षमता होती है वे ऐसे काम नहीं करते . फिर चाहे मौत आये या फिर कैंसर की असहनीय पीड़ा को सहना पड़े

ashish said...

ये तो डरा दिया अब लोग फ़िक्र को धुंवे में कैसे उड़ायेंगे ?

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सार्थक संदेश देती अच्छी रचना

shalini rastogi said...

कविता पढ़कर गाने की पंक्तियाँ याद आ गई ..
...हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया.....
अरे नादाँ यह क्यों नहीं समझता फ़िक्र तो उड़ रही है पर हरेक काश के साथ मौत अंदर जा रही है ...
बहुत ही प्रभावशाली रचना, मुकेश जी .

Bhavna....The Feelings of Ur Heart said...

aadat koi bhi ho buri hoti hai ...specially smoking ....smoke karne wala to uske bure parinam bhugat te hain par unn ke saath rahne wale bhi ....so i hate smokers

Meenakshi Mishra Tiwari said...

nice message ....

"cigarette smoking is injurious to health "
:)

shikha varshney said...

एक बहुत जरूरी सन्देश बहुत ही प्रभावी ढंग से दिया है.
सही कहा...बदलना चाहोगे तभी तो बदल पाओगे.

Neelam said...

Mukesh ji ..kaash iss sandesh par amal bhi kar paate log..
लेकिन फिर भी
कुछ नहीं बदलता
बस एक उस इन्सान
और उसके विरासत को
मिलता है दर्द
बेपनाह दर्द
जो नहीं बदल पाया आदत
स्मोकिंग की आदत.....

neetta porwal said...

सचेत करती अच्छी रचना ....कैसी अज़ब बात की हम स्वेच्छा से अपने व् अपने परिवार के लिए बेशुमार परेशानियों की नींव खुशी और गर्व के साथ डालते हैं ...

ज्वलंत विषय चुनने हेतु मुकेश जी साधुवाद .. !!

neetta porwal said...
This comment has been removed by the author.
neetta porwal said...
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ANULATA RAJ NAIR said...

जो इस लत के शिकार हैं वो इसको पढ़ने वाले नहीं....
सब जानते हैं नशा जानलेवा है मगर फिर भी करते हैं.....
सार्थक रचना मुकेश जी..

अनु

निवेदिता श्रीवास्तव said...

काश ये विरासत का सच इन शौकीनों को समझ आ जाए ... बहुत अच्छा लिखा है ... शुभकामनाएं !!!

मेरा मन पंछी सा said...

सार्थक रचना...

Asha Lata Saxena said...

एक सन्देश देती सफल कविता |उम्दा प्रस्तुति |
आशा

प्रवीण पाण्डेय said...

बेहतरीन और दमदार रचना।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 06-12 -2012 को यहाँ भी है

....
सफ़ेद चादर ..... डर मत मन ... आज की नयी पुरानी हलचल में ....संगीता स्वरूप

. .

वाणी गीत said...

धुएं से धुंआ होती जिंदगी ....
मगर कभी लगता है जो नहीं पीते सिगरेट , उनकी भी तो बिगडती है..

सार्थक सन्देश !

rajat said...

dhuyen ke chhalle ke baad mint flavor... aur aapki kavita... waah kumar saab waah !

Anonymous said...

बेहद सशक्त रचना !!!

shashi purwar said...

mukesh .bahut badhiya , sach kaha parantu aisi aadat chodana mushkil bhi nahi

Dr. Vandana Singh said...

उड़ते धुएं के साथ साथ ज़िन्दगी भी राख होती चली जाती है,,काश ये बात... सही मायनो में समझ पायें हर तबके के लोग... और आपकी रचना ऐसा कर पाने में सक्षम है... ऐसी जागरूकता का प्रसार करती कलम को हार्दिक शुभकामनायें....:)

Rewa Tibrewal said...

jin logo ko ye adat hai....wo jante hain iskay effects ko fir bhi kyu karte hain smoking ????

Amrita Tanmay said...

बेहतरीन...

ऋता शेखर 'मधु' said...

jaanboojh kar jo maut ke muhn mein pravesh kare use kaun bacha sakta hai.
yah buri aadat kitni sahaj roop se lag jaati hai ise bahut achche se bataya...sunder rachna.

Vaanbhatt said...

दुनिया में तमाम ऐसी चीजें हैं जो हानिकारक हैं...पर शायद उनमें ही इंसान आनंद खोजता है...पल भर के लिए ही सही...

Unknown said...

बहुत ही प्रभावी ढंग से दिया गया शानदार सन्देश

yashoda Agrawal said...

आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 12/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

Rohitas Ghorela said...

स्मोकिंग न जाने कितनो की जान ले चूका हैं अब तक ... एक सीख देती बेहतरीन पोस्ट।

मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html

Unknown said...

इक छल्ला
निमंत्रण देता हुआ ,
आलोकिक आनंद का ..
या फिर भरोसा दिलाता हुआ
की सिगेरट होंठ से लगा
और हसीं दिखोगे
सुलगता धुआं और जलती आग
तुम्हे मर्द बनायेगी.

इक छल्ला
शायद यह तुम्हे नहीं बताता
की उसने धुएं की दीवार के पीछे
तुम्हारे ही इन्तेज़ार में
बैठा रखी है
सुलगाती, सिसकाती
मौत

दिगम्बर नासवा said...

कई बार दमझते हुवे भी नहीं पडल पाता ये आदत इंसान ..
सार्थक रचना है ...

Saras said...

As I have already said...'Wise men think alike '...:)

Aditya Tikku said...

too good -***

Divine Anand said...

सूक्ष्म अवलोकन और सुन्दर चित्रण का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण। बहुत ही अच्छी रचना।