विभिन्न लुभावनी
बदलती
display picture
के साथ
यहाँ नजर आते हैं हम ।
उस पर दिखते likes
की संख्या से
अपने को खुश करते हैं हम ।
पर आईने के सामने
खुद को खड़ा करने से
बचते हैं हम ।
घर पर trust को तोड़ कर
बहुतों बार विश्वास और भरोसे
से wall को सजाते हैं हम ।
मन व उसकी उड़ान को
key board से computer screen
तक बांध कर रखते हैं हम ।
काम बेशक कम हो
उपलब्धियों की लिस्ट से
खुद को सजाते हैं हम ।
Jeans, t-shirt मे बैठकर
कानो मे लगे earphone
पर Madonna की आवाज के साथ
भारतीय संस्कृति बचाने
की topic पर
हिस्सा लेते हैं हम ।
चमकती आंखे हैं
पर दृष्टि नहीं
दर्द एवं पीड़ा से
लुटपीट कर
अपने को सरताज बनाते हैं हम |
बेशक पूरी जिंदगी
एकाकीपन मे काट दी
दोस्ती पर हर दिन
नए शेर post करते हैं हम ।
गंदी नजर, घृणित सोच के साथ
हर समय female friend
के दिल पर
राज करने की कोशिश
करते हैं हम ।
अपनो से बेशक
मुंह फुलाए रहे
आभासी दुनिया मे
muaaaah.।
kisses..।
love...।
जैसे शब्द जताते हैं हम ।
स्वयं को
दो profile मे
बाँट कर
दोहरी जिंदगी जीने की कोशिश
करते हैं हम.।
अपने काले चेहरे को बेदाग
दिखाते हैं हम..।
ऐसे है हम.।
facebook पे हम ।
- मुकेश सिन्हा
50 comments:
सारे कच्चे बखिये उधेड दिये …………शानदार अभिव्यक्ति
बड़ी नुकीली है भई ... कब रखवाई धार ... ???
अब इस धार को बनाए रखिएगा ... जय हो !
देखने में हास्य लग रहा है लेकिन सन्देश गंभीर है...
क्या बात है भाई ,बहुत खूब , कडवी पर सच्ची बात आपने लिख ही डाली .... !! नकाबपोशों को अपने चेहरे साफ-साफ दिख रहे होगें न .... ??
कड़वा सच फेसबुक का
फेसबुक की तो धज्जियाँ ही उड़ गईं ।मजा आया, पर यही सच्चाई है ।आभार ।
यही है सोशल नेटवर्क...
क्या सच ...फेसबुक पर यह सब है ??
लगता है ज़्यादातर लोग ऐसा करते हैं .... :):) सच्चाई को कहती अच्छी प्रस्तुति
काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी मित्रता सूची मे किस तरह मित्र हैं और किस तरह के मित्रों से हम संपर्क रखना पसंद करते हैं।
मुझे तो फेसबुक भी अभिव्यक्ति के एक सशक्त मंच के रूप मे नज़र आता है।
सादर
कभी दुनिया से गपशप की
कभी खुद को भुलाया है
ये ऐसी फेसबुक है
जिसे हमने बनाया है
जिसे देखूँ उसी चेहरे में
दिखता है खुदा मुझको
खुदा भी पूछे कैसे ये
जहाँ तुमने बनाया है
उफ़ |
सुन्दर प्रस्तुति ।
आभार ।।
kya baat kahee! Mai khud facebook pe to jatee nahee,lekin yahee sun rakha hai!
इस सादगी पे कौन न मर जाये ... लड़ते हैं और हाथमें तलवार भी नहीं .....बस..''facebook पे हम' ही हम हैं....कितनी साफगोई से अंतर्मन को शब्दों में उकेर दिया तुमने......अगर हम खुद से इमानदार हैं तो...ये दोहरापन ...इसलिए ..कभी अभिशप्त नहीं हो सकता.....न इस दुनिया में न उस दुनियामें ...विषय.की धार...और उससे उपजी आत्म ग्लानी...पीड़ा...इन प्रभावी ..आम से ..शब्दों में झलक रही है....उसके लिए तुम्हे ढेर सा प्यार मुकेश.....
बस एक बात और कहूँगी.. 'अति सर्वत्र वर्जते'.......बुराई है..तभी तो अच्छाई का महत्व है....और सब कुछ ...खुद के नियंत्रण में है...कम से कम..इन networking sites पे तो निश्चय ही............
यशवंत जी की बात से सहमत हूँ।
फेसबुक की यही सच्चाई है क्या...?
मैं फेसबुक पर नहीं हूँ...अब तो फेसबुक पर आने से पहले सोचना पड़ेगा:)
खरी खरी.....
बहुत दुखद सच्च्चाई है
बहुत सुन्दर पर्स्तुती
likes
की संख्या से
अपने को खुश करते हैं हम ।
पर आईने के सामने
खुद को खड़ा करने से
बचते हैं हम ।
..........
बेशक पूरी जिंदगी
एकाकीपन मे काट दी
दोस्ती पर हर दिन
नए शेर post करते हैं हम ।............ इतना ही रह गया है हाथ में , अनजाने चेहरों की वाहवाही में दिल को बहला रहे हैं हम
Arre we r doublefaced people these days ,every person has some good as well as bad qualities bt it is upto him only what he wanna show public.But u have shown this reality so trully that its just awesome.not only on FB but we have to act differently at so many places in life.But d courage that u had shown here i mean to accept reality is very tough n u hav done it bravely!!!!
By ...Dimple Kapoor
सांच को आंच नहीं ...सच कडवा जरुर हैं पर हैं तो यही सच्चाई ...स्त्री -पुरुष दोनों इसमें लिप्त हैं ...
नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है फेस बुक पर ....
मुझे तो फायदा ही हुआ यहाँ और अच्छे लोगों से ही परिचय हुआ है ....यशवंत जी की बात से सहमत हूँ ....
kya baat.....kya baat....kya baat!!!
बहुत खूब लिखा है.... इंसानी जीवन का दोहरा पन पर बस फेस्बूक तक ही सीमित रहता तो भी ठीक था.... मगर असल जीवन मे...काश !!! .....
मुखौटे.... छुपाते हैं दर्दों ओ गम.... या दे देते हैं जीने के भरम.... सोचने वाली बात है....
आपने तो सारे फेस्बुकियों के एडिक्ट को उनका असली फेस दिखा दिया...:)
बाप रे ..इतना धारदार..क्या बात है. आइना दिखाती कविता.जाने कितनो को अपने चेहरे दिख रहे होंगे:)
गुस्से में बहुत अच्छा दिखते हो..........नहीं .नहीं---- लिखते हो......गुस्से में बहुत अच्छा लिखते हो ...I like it.... No...No....I love it.......:-)...
Ritu Bhatia: Yeh asliyat hai....par kuch RISHTON ke Liye...JO yahan PAAYE hain.....JHOOT SABIT HOTA hai.....Mukesh Kumar Sinhaji....!!4 May at 10:29 · UnlikeLike · 3
Vijay Malhotra: Hum Fb Sabha ke self nominated ruling member ban gayen hain. Mukesh Fb vo pehle jaisa nahin raha. Bahut sahi likha hai. Mukesh Bhai. Abhi tou aage aage dekhiye kya hota hai.4 May at 10:50 · UnlikeLike · 1
Vijay Malhotra: Hum Fb Sabha ke self nominated ruling member ban gayen hain. Mukesh Fb vo pehle jaisa nahin raha. Bahut sahi likha hai. Mukesh Bhai. Abhi tou aage aage dekhiye kya hota hai.4 May at 10:50 · UnlikeLike · 1
DrRakesh Ranjan: सम्हमत नहीं हु.......ये niरासवादी सोच आपकी अपनी हो सकती है .....................सच सच है चाहे वो जैस्सा हे हो....हम उन रिश्तो को कैसी भूल saktee है जो इस वजह से हे मिला है ..... do not mind........thanks for remembering me........be in contact in future also.......4 May at 12:46 · UnlikeLike · 3
Shashi Mittal: sabne sab kuchh kah diya tarif bhi kar di mai to itna hi kahugi apni pic kyu nahi lagai sath me .......maharaj ji ki jai karte wakt darshan bhi ho jate.....4 May at 15:44 · UnlikeLike · 2
एक ईमानदार स्वीकारोक्ति और यथार्थ का उदघाटन!! बहुत कुछ ऐसा ही है!! फिलहाल दूर हूँ इस किताब से!!
फेसबुक का कड़वा सच ......सटीक शब्दों के साथ खूबसूरत अभिव्यक्ति
फेसबुक का सच....बहुत बढ़िया है...
फेसबुक पर तो नहीं हूँ ... आपको पढ़कर जाना इसका यह रूप भी ... आभार
Ranjan Sahai: बहुत अच्छे Mukesh भाई. आज के आभासी दुनिया की ये भी एक कड़वी सच्चाई है. ये कतई जरुरी नहीं कि ये सब पे लागू होती ही हो लेकिन कहीं न कहीं से सच तो है ही. सुन्दर लेखनी से निकली हुई एक और उत्कृष्ट रचना. ढेरों बधाई.........5 May at 00:30 · UnlikeLike · 1
Darshan Kaur Dhanoe: सांच को आंच नहीं ...सच कडवा जरुर हैं पर हैं तो यही सच्चाई ...स्त्री -पुरुष दोनों इसमें लिप्त हैं ...5 May at 10:18 · UnlikeLike · 1
Kadambari Goel Jain: waaaaaaaaaaaah ye to aap ne bahut hi kamaal likha hai Mukesh ......yathaarth bhi....... badhayi !! :)5 May at 12:16 · UnlikeLike · 1
Gunjan Shrivastava:
खुश तो बहुत थे हम ...
फेसबुक में घर बनाके
लाइक्स..खूब सारे पा के
पर अब...:))
आईना हँसता है
... चेहरे की दुनिया में
चेहरों से यकीन उठ गया
ये आईना भी तो
उल्टी तस्वीर दिखाता है
तो क्या अब आईना भी
गुनहगार हो गया
नहीं.....
कसूरवार हैं हम
क्योंकि ..
हम हैं ..कुछ अपने लिए
कुछ ज़माने के लिए..See more5 May at 17:51 · UnlikeLike · 3
मुकेश जी बेशक आपने सच लिखा है ...लेकिन मै यह कहना चाहूंगी की हकीकी दुनिया मै भी तो इंसान डिप्लोमेटिक होकर ही जीता है यह तो आभासी दुनिया है ,बेशक अनजान चेहरे होते है लेकिन उनसे अपनेपन का अहसास जुड ही जाता है ....चूकीं हम तस्वीर का जेसा रूप देखना चाहते है वो वेसे ही भाव से भर जाती है .....मै यशवंत जी की बात से सहमत हू ....यह बात भी मायने रखती है की हम यहाँ रहकर साबित क्या करना चाहते है ....वेसे अपवाद हर चीज का होता है ..कुछ कम या कुछ ज्यादा लेकिन होता जरुर है ,...आपकी लेखनी को जरुर बधाई देना चाहूंगी ,कमाल का लिखती है .!
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है..
क्या बात....क्या बात.....क्या बात....यह तो मेरी चिंता है....किसी और ने कैसे लिख डाली....??
फेसबुक का ये रूप दिमाग में तो था पर शब्द नहीं मिल पा रहा था. दोहरे प्रोफाइल वालों को अपना चेहरा ज़रूर नज़र आएगा. बहुत अच्छा वर्णन, बधाई मुकेश.
वाह सही वर्णन ..यही है सही तस्वीर .लफ्ज़ आपने दे दिए बेबाक बिंदास ..
कडवी पर सच्ची बात आपने लिख ही डाली .... !!
क्या सत्य बखान किया है....गभीर बात हास्य का लेबल ....बहुत बढ़िया...
क्या सत्य बखान किया है....गभीर बात हास्य का लेबल ....बहुत बढ़िया...
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