वेलेंटाइन डे
शब्द विदेशी
याद भी विदेशी
लेकिन एक साधारण दिन में असाधारण अहसास
वो भी बिलकुल देशी...
क्योंकि मोहब्बत का
प्रेम का, प्यार का साथ
देता है खुबसूरत विश्वास.....
एक दूसरे के प्रति चाहत हो जाती है उस दिन खास...
वैसे ये मुआ प्रेम है क्या?
हमारी देशी सोच कहती है
सब कुछ समर्पित कर देना
बिना सोचे सब कुछ खो देना
और फिर चहकते रहना.
किसी दूसरे के लिए सिर्फ जीना....है न...
प्रेम - अपने अन्दर
समेटे रखता है पूरी कायनात
जिंदगी की अनगिनत सच्चाई
होती है उस में लिपटी..
ये है वीरान जिंदगी में
खिला ऐसा फुल
जो महकाता है ब्रह्माण्ड
पर हाँ! इस खास दिन का प्रेम
बन गया ग्लोबल प्रेम
क्यूंकि इस प्रेम में उपस्थित
सेक्स व देहिक सोंदर्य
हो गया है लौकिक और फिजिकल !!
अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."
35 comments:
अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."
अच्छी रचना है मुकेश जी ... पर कितना अछा हो की हर दिन ही प्यार का दिन मनाया जाए ...
व्यावसायिकता ख़त्म कर दी जाए ..
pyaar ko pyaar hi rahne do koi naam n do
dhanyawad digambar sir!!.........sahi kaha aapne...:) par pyar rahega to business bhi rahega hi...kyunki premika ya premi ko khush karne ka jariya to rahega hi:)
अच्छी रचना है मुकेश जी
pyar karne walo ke lie to sab din pyar ke hote hain
haan ye hai k is dn apne pyar ke lie kuchh khas karne ka moka mil jata hai...
प्रेम - अपने अन्दर
समेटे रखता है पूरी कायनात
जिंदगी की अनगिनत सच्चाई
होती है उस में लिपटी..
ये है वीरान जिंदगी में
खिला ऐसा फुल
जो महकाता है ब्रह्माण्ड
Behad sundar vichar! Aur Digambarji sahee kahte hain! Har din pyaar ka din ho jaye....pyaar apnon ke prati...
rashmi di, kya karun, bahut jayda nahi likh pata isliye fir se isko apne blog pe dalna para..:)
dhanyawad sanjay aur kshama jee..
गज़ब कर दिया मुकेश जी बहुत ही शानदार कविता लिखी है………सच वो ही तो सच्चा साथी होता है और वो ही मोहब्बत होती है।
हार्दिक शुभकामनाएं।
---------
शिकार: कहानी और संभावनाएं।
ज्योतिर्विज्ञान: दिल बहलाने का विज्ञान।
waah kya bat hai
bahut khub
.
अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."
bahut khub likha aapne..........
बहुत खूब ! शुभकामनायें आपको !
Is jahan me mohabbat kash na hoti,
To safar-e-zindagi me mithas na hoti!
Agar milti BEWAFA ko saza-e-maut,
To diwano ki kabre yu udas na hoti!!
प्यार के साथ उसका इजहार भी कभी कभी जरुरी है ..शायद इसलिए ऐसे दिन हैं..सुन्दर कविता.
मुनव्वर राना साहब फ़रमाते हैंः
.
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये,
आपको चेहरे सए भी बीमार होना चाहिये!
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ये इसी इज़हार का दिन लगता है!! पर हमारे लिये तो हर दिन वैलेंटाईन डे है!!
अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."
Wow ! Excellent presentation !
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@शुक्रिया...वंदना जी!! आपके शब्द उत्प्रेरणा देंगे...:)
@धन्यवाद्..जाकिर, दीप्ति, रजनी जी, सतीश सर...:)
अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."
magar umrbhar ke liye ,bahut achchhi hai soch .
सुंदर भाव हैं इस कविता के।
प्रेम के सार्थक भाव लिए है रचना ..... फिर साझा करने का आभार
प्रेम शब्द ही अपने आप में शक्ति है .....
जो जितना गहरा उतरेगा, उसको उतना मिल पायेगा।
on mail:
Sharmita:
really nice..and rightly said
मनभावन अभिव्यक्ति ...बधाई
@बहुत प्यारी सी शेर लिखी मीनाक्षी आपने...धन्यवाद दोस्त!
@बिलकुल सच..शिखा...मुझे भी लगता है, ऐसे दिन होने चाहिए..
@ बड़े भैया (बिहारी बाबु) ने भी एक शेर फरमा ही दिया....अच्छा लगा भैया..
@डॉ. दिव्या , ज्योति जी, देवेंदर सर, डॉ, मोनिका...शुक्रिया.....
@प्रवीण जी, आपके ये एक पंक्ति वाले कमेन्ट दिल को छूते हैं...शुक्रिया..
वाह ...बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
सुन्दर प्रस्तुति, आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. कृपया संयुक्त परिवार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे.
haish singh 07860754250
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सुन्दर विचार आपकी इस कविता शैली में.
शुभकामनाएँ...
बहुत सुंदर लिखा है, बहुत दिनों बाद आ पाई हूँ.
सब कुछ समर्पित कर देना
बिना सोचे सब कुछ खो देना
और फिर चहकते रहना.
किसी दूसरे के लिए सिर्फ जीना
bhut achcha likha hai , bdhai ho
अर्थभरी रचना. प्रेम का अर्थ बहुत ही व्यापक है . समय, काल और देश के साथ इसके अर्थ नया रूप लेते रहते हैं. रूप चाहे कोई भी हो इसका अर्थ शाश्वत है और जन मानस में इसकी पैठ बहुत गहरी है.
विशुद्ध व्यापार में भी प्यार की ऐसी पवित्र कल्पना ......ग्लोबल को निजता में बाँधने की सार्थक कोशिश.......सच ही कहा है मुकेश तुमने जब मनाते ही हैं तो अपने मूल्यों के साथ ...भारतीय संस्कार और मिठास के साथ क्यूँ नही ??? बहुत ही सुन्दर रचना मुकेश !!
bahut sundar bhavabhivyakti.badhai.
प्यार किसी एक दिन के दायरे में नहीं बंध सकता तो इजहार के लिए सिर्फ एक दिन का होना क्यों जरूरी हो शिखा जी।
माफ करना मुकेश जी मैंने आपकी रचना पर टिप्पणी में एक टिप्पणीकर्ता को लेकर पहले लिखा। वैसे आपने जो लिखा है वह काबिलेतारीफ है। बेहतरीन। सुंदर। सच्चा।
क्या बात कह दिया आपने, सौ टके की बात...बधाई आपको!
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