जिंदगी की राहें

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Sunday, February 20, 2011

वेलेंटाइन डे
























पिछले दिनों वैलेंटाइन डे पर मेरी ये रचना वट वृक्ष
पर आयी, जिसको मैं फिर से आप लोगो के समक्ष रखना चाहता हूँ........




वेलेंटाइन डे 
शब्द विदेशी
याद भी विदेशी
लेकिन एक साधारण दिन में असाधारण अहसास
वो भी बिलकुल देशी...
क्योंकि मोहब्बत का
प्रेम का, प्यार का साथ
देता है खुबसूरत विश्वास.....
एक दूसरे के प्रति चाहत हो जाती है उस दिन खास...

वैसे ये मुआ प्रेम है क्या?
हमारी देशी सोच कहती है
सब कुछ समर्पित कर देना
बिना सोचे सब कुछ खो देना
और फिर चहकते रहना.
किसी दूसरे के लिए सिर्फ जीना....है न...

प्रेम - अपने अन्दर
समेटे रखता है पूरी कायनात
जिंदगी की अनगिनत सच्चाई
होती है उस में लिपटी..
ये है वीरान जिंदगी में
खिला ऐसा फुल
जो महकाता है ब्रह्माण्ड

पर हाँ! इस खास दिन का प्रेम
बन गया ग्लोबल प्रेम
क्यूंकि इस प्रेम में उपस्थित
सेक्स व देहिक सोंदर्य
हो गया है लौकिक और फिजिकल !!

अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."


35 comments:

दिगम्बर नासवा said...

अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."

अच्छी रचना है मुकेश जी ... पर कितना अछा हो की हर दिन ही प्यार का दिन मनाया जाए ...
व्यावसायिकता ख़त्म कर दी जाए ..

रश्मि प्रभा... said...

pyaar ko pyaar hi rahne do koi naam n do

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dhanyawad digambar sir!!.........sahi kaha aapne...:) par pyar rahega to business bhi rahega hi...kyunki premika ya premi ko khush karne ka jariya to rahega hi:)

संजय भास्‍कर said...

अच्छी रचना है मुकेश जी

संजय भास्‍कर said...

pyar karne walo ke lie to sab din pyar ke hote hain
haan ye hai k is dn apne pyar ke lie kuchh khas karne ka moka mil jata hai...

kshama said...

प्रेम - अपने अन्दर
समेटे रखता है पूरी कायनात
जिंदगी की अनगिनत सच्चाई
होती है उस में लिपटी..
ये है वीरान जिंदगी में
खिला ऐसा फुल
जो महकाता है ब्रह्माण्ड
Behad sundar vichar! Aur Digambarji sahee kahte hain! Har din pyaar ka din ho jaye....pyaar apnon ke prati...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

rashmi di, kya karun, bahut jayda nahi likh pata isliye fir se isko apne blog pe dalna para..:)

dhanyawad sanjay aur kshama jee..

vandana gupta said...

गज़ब कर दिया मुकेश जी बहुत ही शानदार कविता लिखी है………सच वो ही तो सच्चा साथी होता है और वो ही मोहब्बत होती है।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

हार्दिक शुभकामनाएं।

---------
शिकार: कहानी और संभावनाएं।
ज्‍योतिर्विज्ञान: दिल बहलाने का विज्ञान।

deepti sharma said...

waah kya bat hai
bahut khub
.

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."

bahut khub likha aapne..........

Satish Saxena said...

बहुत खूब ! शुभकामनायें आपको !

Minakshi Pant said...

Is jahan me mohabbat kash na hoti,
To safar-e-zindagi me mithas na hoti!
Agar milti BEWAFA ko saza-e-maut,
To diwano ki kabre yu udas na hoti!!

shikha varshney said...

प्यार के साथ उसका इजहार भी कभी कभी जरुरी है ..शायद इसलिए ऐसे दिन हैं..सुन्दर कविता.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

मुनव्वर राना साहब फ़रमाते हैंः
.
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिये,
आपको चेहरे सए भी बीमार होना चाहिये!
.
ये इसी इज़हार का दिन लगता है!! पर हमारे लिये तो हर दिन वैलेंटाईन डे है!!

ZEAL said...

अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."

Wow ! Excellent presentation !

.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@शुक्रिया...वंदना जी!! आपके शब्द उत्प्रेरणा देंगे...:)
@धन्यवाद्..जाकिर, दीप्ति, रजनी जी, सतीश सर...:)

ज्योति सिंह said...

अगर इस दिन
हो जाए हमारी सोच निर्मल
बन जाये हमारा प्यार पवित्र गंगा जल
बिलकुल कोमल जैसे नदी की कल कल...
फिर हमारा कथन
होगा सच्चा चरितार्थ करता हुआ
"यू आर माय वैलेंटाइन ..."
magar umrbhar ke liye ,bahut achchhi hai soch .

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुंदर भाव हैं इस कविता के।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

प्रेम के सार्थक भाव लिए है रचना ..... फिर साझा करने का आभार

हरकीरत ' हीर' said...

प्रेम शब्द ही अपने आप में शक्ति है .....

प्रवीण पाण्डेय said...

जो जितना गहरा उतरेगा, उसको उतना मिल पायेगा।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

on mail:

Sharmita:

really nice..and rightly said

Amrita Tanmay said...

मनभावन अभिव्यक्ति ...बधाई

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@बहुत प्यारी सी शेर लिखी मीनाक्षी आपने...धन्यवाद दोस्त!
@बिलकुल सच..शिखा...मुझे भी लगता है, ऐसे दिन होने चाहिए..
@ बड़े भैया (बिहारी बाबु) ने भी एक शेर फरमा ही दिया....अच्छा लगा भैया..
@डॉ. दिव्या , ज्योति जी, देवेंदर सर, डॉ, मोनिका...शुक्रिया.....
@प्रवीण जी, आपके ये एक पंक्ति वाले कमेन्ट दिल को छूते हैं...शुक्रिया..

सदा said...

वाह ...बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

हरीश सिंह said...

सुन्दर प्रस्तुति, आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. कृपया संयुक्त परिवार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे.

haish singh 07860754250



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Sushil Bakliwal said...

सुन्दर विचार आपकी इस कविता शैली में.
शुभकामनाएँ...

रेखा श्रीवास्तव said...

बहुत सुंदर लिखा है, बहुत दिनों बाद आ पाई हूँ.

दिलबागसिंह विर्क said...

सब कुछ समर्पित कर देना
बिना सोचे सब कुछ खो देना
और फिर चहकते रहना.
किसी दूसरे के लिए सिर्फ जीना
bhut achcha likha hai , bdhai ho

मेरे भाव said...

अर्थभरी रचना. प्रेम का अर्थ बहुत ही व्यापक है . समय, काल और देश के साथ इसके अर्थ नया रूप लेते रहते हैं. रूप चाहे कोई भी हो इसका अर्थ शाश्वत है और जन मानस में इसकी पैठ बहुत गहरी है.

आनंद said...

विशुद्ध व्यापार में भी प्यार की ऐसी पवित्र कल्पना ......ग्लोबल को निजता में बाँधने की सार्थक कोशिश.......सच ही कहा है मुकेश तुमने जब मनाते ही हैं तो अपने मूल्यों के साथ ...भारतीय संस्कार और मिठास के साथ क्यूँ नही ??? बहुत ही सुन्दर रचना मुकेश !!

Shalini kaushik said...

bahut sundar bhavabhivyakti.badhai.

Atul Shrivastava said...

प्‍यार किसी एक दिन के दायरे में नहीं बंध सकता तो इजहार के लिए सिर्फ एक दिन का होना क्‍यों जरूरी हो शिखा जी।
माफ करना मुकेश जी मैंने आपकी रचना पर टिप्‍पणी में एक टिप्‍पणीकर्ता को लेकर पहले लिखा। वैसे आपने जो लिखा है वह काबिलेतारीफ है। बेहतरीन। सुंदर। सच्‍चा।

डॉ. जेन्नी शबनम said...

क्या बात कह दिया आपने, सौ टके की बात...बधाई आपको!