जिंदगी की राहें

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Thursday, June 17, 2010

"समय"


"समय"
जिसमे है सिर्फ तीन अक्षर
जो है एक छोटा सा शब्द मात्र
लेकिन है इसमें समाहित
अति विशाल शक्तियों को
समेटे रखने वाला पात्र
जड़ जगत के जीव सर्वत्र
नाचते हैं, गाते हैं...
इसके धुरी पर हो कर एकत्र.........!!!

इसके गति के साथ
जिसने भी बैठाया ताल-मेल
सफलता की बुलंदियों पर
पहुंचा बन कर सुपर मेल
परन्तु, हम जैसे साधारण लोगो की सोच..!
हमारे लिए तो ये वही है
पसेंजेर, वही रलेम-पेल!!!!!!!!!!




60 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

समय पर एक सार्थक सोच

Udan Tashtari said...

बेहतरीन!

Neelam said...

"समय"
जिसमे है सिर्फ तीन अक्षर
जो है एक छोटा सा शब्द मात्र
लेकिन है इसमें समाहित
अति विशाल शक्तियों को
समेटे रखने वाला पात्र
जड़ जगत के जीव सर्वत्र!!!!!

Mukesh jee aap yatharth par bahut umda likhte hain.
aapki har raachna saarthak hoti hai.hamesha yunhi likhte rahiye.
badhai sweekar karen.

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

बहुत सुन्दर!
आपकी रचना पढकर एक पुराना गीत याद आ गया ....
वक्त के दिन और रात
वक्त के कल और आज,
वक्त की हर सही गुलाम,
वक्त का हर सही पर राज.....


लेखन के लिए शुभकामनाएं....

putul said...

गति के साथ
जिसने भी बैठाया ताल-मेल....बस यही तो नहीं बैठता ...अच्छी लिखी है कविता तुमने ...सफलता ..समय कि धूरी पर एकत्र होने पर ही मिलती है...
ऐसे ही लिखते रहो ...

Unknown said...

bahut hi accha likha hai waqt yani samay sarini ki keemat jisne pehchani wahi muqaddar ka sikandar kehlata hai .....beautiful lines ..lekin bhaiya thoda iska vistaar to kariye aap isme bahut kuch aur likh sakte hai kyunki beautiful lines hai aapki but i want some more thngs to be added ...hope u pay heed to my words....keep writing...

Prem Prakash said...

समय को परिभाषित करने का एक सार्थक प्रयास और उपर से उसे आम आदमी से संदर्भित करना और भी सारगर्भित हो गया

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Dhanyawad Sangeet Di, Udan Tastari..:), Neelam.........tahe dil se shukriya.......

हरकीरत ' हीर' said...

जी .....

आदमी को चाहिए
इस वक़्त से बच कर रहे ......

रेखा श्रीवास्तव said...

समय पर एक सार्थक कथन !

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भाव्।

Satish Saxena said...

अच्छी व्याख्या कर रहे हो समय की , सामान्य जरूर मान रहे हो मगर अछे लगते हो ! अछे दिल के लिए हार्दिक शुभकामनायें !!

ज्योति सिंह said...

इसके गति के साथ
जिसने भी बैठाया ताल-मेल
सफलता की बुलंदियों पर
पहुंचा बन कर सुपर मेल
परन्तु, हम जैसे साधारण लोगो की सोच..?
हमारे लिए तो ये वही है
पसेंजेर, वही रलेम-पेल!!!!!!!!!!
bahut khoobsurat rachna aapne bulaya aur hum hazir ho gaye waise bhi jindagi ki rahe hai chalna to hai hi inpar bas pate ki kami rahi so ......

अरुण चन्द्र रॉय said...

समय पर सार्थक कविता ... मुकेश जी आपकी यह कविता अन्य कविताओं से अधिक सशक्त है.. आपका मैं नियमित पाठक हूँ.. प्रशंशक भी हूँ..

Alpana Verma said...

समय के साथ चलना आसान नहीं है मगर नामुमकिन भी नहीं.
अच्छी कविता है

सुशीला पुरी said...

sundar likha aapne ........

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

मुकेस बाबू... बिना मात्रा का तीन अक्षर का ई सब्द, आदमी के जीवन में भरपूर मात्रा में पाया जाता है, लेकिन जो इसको उपलब्ध हो गया ऊ अर्श पर, नहीं त फ़र्श पर... साहिर साहब का बात याद है न, कौन जाने किस घड़ी, वक़्त का बदले मिजाज़... वक़्त भी अढाई अक्षर का सब्द है, अऊर दोसरा ढाई आखर के सब्द के जैसा लोग का जिन्नगी बदल देता है...
आप भी सानदार लिखे हैं..कलम का जोर बना रहे …

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...
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वन्दना अवस्थी दुबे said...

सुन्दर रचना. बधाई.

soni garg goyal said...

great defination of time ........

दिगम्बर नासवा said...

ये सच है की तीन अक्षर का समय है ... पर बड़े से बड़े यौद्धा भी इसके आयेज नतमस्तक है .... अच्छी रचना है ...

Anonymous said...

"इसके गति के साथ जिसने भी बैठाया ताल-मेल सफलता की बुलंदियों परपहुंचा बन कर सुपर मेल"
बिलकुल सही

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Jyotsna jee, Harkeerat jee, Putul.....aap sabo ka bahut bahut tah-e-dil se shukria karta hoon, yaahna aane ke liye:)

रश्मि प्रभा... said...

samay kahin nahin rukta...bas ismein nihit khoobiyon ke janna hai jo tumne bahut hi saargarbhit likha hai

स्वप्न मञ्जूषा said...

समय की विवेचना 'समय' शब्द के साथ...सुन्दर है...
समय ने उसी का साथ दिया है जिसने समय का साथ दिया है..
खूबसूरत..

Anonymous said...

@ज्योत्सनाजी - सह नही सही शब्द है 'शै' वक्त की हर शै गुलाम ,वक्त का हर शै पर राज.

मुकेश! समय हर दर पर दस्तक देता है,जिसने उठ कर स्वागत किया,साथ चला आगे बढ़ गे अन्यथा ....
समय को खूब खूबसूरत रेखांकित किया है आपने.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

दीप्ति तुम्हारी बातो को आगे से ध्यान रखूँगा...
धन्यवाद् संवित जी( प्रेम प्रकाश), वंदना जी
रेखा दी......आपके आशीष की जरुरत है......:)

geet said...

mukesh hi
hamesha ki tarah bahut hi achche hai aapke kavita. har baar aap ek naye vishay par likhte hai, achche soch hai aapke. sahi likha hai ye sirf teen ashar hai par pure duniya es par hi hai jisne bhi eska sath diya vo aage gaya or jo eske sath nahi chal paya vahi hai passenger sahi kaha hai bahut achcha hamesha es tarah hi likhte rahiye

kshama said...

Bahut khoob!"Waqt kee har shai gulaam, Waqt ka har shai pe raaj!"

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

mukesh baboo,
kabhi kabhi hamaro sukriya adaa kar diyaa kijiye..are tahedil se nahin t upariyaa man se bhi chalegaa... (majak kiye hain-buraa mat maaniyegaa)..

डॉ. जेन्नी शबनम said...

mukesh ji,
waqt ko bade achhe se samjhaya hai aapne. waqt ke sath chalta rahe ye zaruri hai aadmi keliye. bade sahaj shabdon mein aam insaan ko passeger mail aur safal vyakti ko supar fast express kah kar paribhaashit kar diya...

इसके गति के साथ
जिसने भी बैठाया ताल-मेल
सफलता की बुलंदियों पर
पहुंचा बन कर सुपर मेल
परन्तु, हम जैसे साधारण लोगो की सोच..?
हमारे लिए तो ये वही है
पसेंजेर, वही रलेम-पेल!!!!!!!!!!1

uttam soch aur sundar prastuti keliye badhai sweekaren.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बहुत सुन्दर.....बहुत खूब.....

ओम पुरोहित'कागद' said...

bhai mukesh ji,
aapka blog dekha-achha laga !
bahut si rachnayen padhi-aanand aaya.
aapki samy kavita bhi padh gaya hun.achha likha hai aap ne -badhai ho !
aapke blog ko follow bhi kiya hai taki bad me tassali se padh sakun .

राजेश उत्‍साही said...

जिसमे है सिर्फ तीन अक्षर
जो है एक छोटा सा शब्द मात्र
लेकिन है इसमें समाहित
अति विशाल शक्तियों को
समेटे रखने वाला पात्र
जड़ जगत के जीव सर्वत्र
नाचते हैं, गाते हैं...
इसके धुरी पर हो कर एकत्र.........!!!

इसके गति के साथ
जिसने भी बैठाया ताल-मेल
सफलता की बुलंदियों पर
पहुंचा बन कर सुपर मेल
परन्तु, हम जैसे साधारण लोगो की सोच..?
हमारे लिए तो ये वही है
पसेंजेर, वही रलेम-पेल!!!!!!!!!!1

बुरा न मानें तो बहुत ही साधारण व्‍याख्‍या है समय की। और उसमें भी हिन्‍दी के हिसाब से ये संशोधन आवश्‍यक हैं-इसके धुरी नहीं,इसकी धुरी। इसी तरह इसके गति नहीं इसकी गति।पैसेंजर का बिगड़ा हुआ रूप पसैंजर है पसेंजेर नहीं। रलेम-पेल नहीं सही शब्‍द रेलम-पेल है।

राजेश उत्‍साही said...
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राजेश उत्‍साही said...

और कुछ शब्‍दों में अनुस्‍वार लगाने की जरूरत है। ये शब्‍द हैं-जिसमे(जिसमें), है(हैं), लोगो (लोगों)

Anonymous said...

विचारों की गहराई के साथ समय पर मार्मिक व्यंग्य ! बधाई !

seema gupta said...

very nice expressions

regards

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Rajesh Utsahi jee!!
सर मेरे ब्लॉग पे आने के लिए धन्यवाद्! मेरे ब्लॉग पे आने के लिए........

दुसरी बात ये की मैंने ये बहुत कम देखा है जब कोई कविताओं की खामी के बारे में बततो हो, अधिकतर क्या मैं भी कविता के सिर्फ अच्छे गुणों को देख कर ही कमेन्ट करता हूँ!! लेकिन मुझे इसकी जरुरत है......मैं चाहता हूँ, आप मुझे बताएं, कहाँ मुझसे गलती हो रही है.......वैसे मैं खुद को कवि जैसा कुछ समझता भी नहीं, बस आप जैसो के ब्लोग्स के चक्कर लगा कर कुछ शब्दों को जोड़ना सीख गया हूँ............

अततः आपको बहुत बहुत धन्यवाद!! आगे भी ऐसी उम्मीद रहेगी..........[:)]
जहाँ तक मात्राओं का सवाल है, वो सर, गूगल की गलती के कारण हुई, और हाँ मैंने भी उससे उस समय ध्यान से नहीं देखा, क्योंकि मेरी समझ इतनी नहीं थी...........

आगे से ख्याल रखूँगा....

Aditya Tikku said...

shabd aur bhav ka atulniy mishran

ρяєєтii said...

kya baat hai ... din per din soch gehri hoti ja rahi hai, behad umda chitran kiya aapne samay ka aam aadmi ki nazar se....!

شہروز said...

समय पर केन्द्रित अच्छी रचना !!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

सतीश सर, धन्यवाद् आपकी शुभकामनाओं के लिए ...
ज्योति जी, हमारे ब्लॉग पे आपका स्वागत है.........:)
अरुण जी, .......हमें आप जैसो की जरुरत है........!
अल्पना जी, सुशीला जी धन्यवाद्......

बिहारी बाबु!! .......अरे आपको भी धन्यबाद कहना पड़ेगा क्या!!
हम तो हर बार आपके कमेन्ट के लिए इंतज़ार करते हैं......:)

Satish Saxena said...

लेख की तारीफ करेंगे तो अधिक अच्छा लगेगा मुकेश जी ! अगर कुछ लोग भी लिखे से प्रेरित हों तो लेखन सफल हो जायेगा ! वैसे ऐसे लोगों की कमी नहीं जो इसे चोंचला मानते हैं ! यह तो अपनी अपनी भावना है और इसे स्वाभाव अनुसार व्यक्त कर आदमी अपनी नस्ल बताता है !
सादर

स्वाति said...

बहुत सार्थक!!बहुत सुन्दर!!

अजय कुमार said...

समय बहुत बलवान हौ भाई

Dev said...

Superb..Superb...such much gr8..i lvoe this poem...Regards

Lines Tell the Story of Life "Love Marriage Line in Palm"

देवेन्द्र पाण्डेय said...

समय पर लिखी गयी अच्छी कविता के लिए बधाई.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

समय पर लिखी गयी अच्छी कविता के लिए बधाई.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

समय पर लिखी गयी अच्छी कविता के लिए बधाई.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

समय पर लिखी गयी अच्छी कविता के लिए बधाई.

Unknown said...

Vaastav mein bahut hi prashanksa yogya likha hai ..Mukesh ji.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

वंदना जी, सोनी जी, राकेश जी धन्यवाद्...
दिगम्बर जी आपका ब्लॉग कौन सा, ये पता नहीं चल पाया....
रश्मि दी!! आपका आशीर्वाद चाहिए बस.......:)

Urmi said...

बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो प्रशंग्सनीय है! बधाई!

putul said...
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putul said...
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मुकेश कुमार सिन्हा said...

अदा जी, गीता, क्षमा,,,,,,धन्यवाद्!!
इंदु दी, आपका कमेन्ट दिल को छूता है, कृपया बराबर मेरे साथ बनी रहें.......

बिहारी बाबु..........अरे बाबु साहब, आपको भी धन्यवाद कहने की जरुरत है का...:)

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dhanyawad Jenny jee, Prassan sir, usha jee, seema jee........
Om purohit jee aapne hamare blog ko follow kar ke hame khush kar diya.....:)
Rajesh bhaia, aapke comment sir aankho par...........aur aapke aise comment mujhe jarur ek achchha poet bana sakta hai.............

Anju (Anu) Chaudhary said...

इतने कम शब्दों में ...समय को परिभाषित किया... बहुत खूब ....
हमारे कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं है अब

आभा खरे said...

sundar shabdon ke saath aapne samay ko paribhaashit kiya hai ... saargarbhit prastuti ke liye badhai sweekaaren