जिंदगी की राहें

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Friday, July 18, 2008

!!~:मकान:~!!


मुहब्बत की खुशबु से जब महक उठता है
ईंट गारे से बना मकान!
तो बन जाता है प्यार का घरोंदा
चहक उठता है मकान!
जब इस घरोंदे में
दो दिलो के प्यार की निशानी
खिलता है एक नन्हा सा फूल
तो स्वर्ग मैं तब्दील हो जाता है यह मकान!

पर इतना आसान होता नहीं
मुहब्बत का हसीं जहाँ बसाना
इसकी खातिर,
मुहब्बत के एहसास
और रिश्तो की महक से होता है सींचना
तब जाकर बनता है स्वर्ग जैसा मकान!

फिर, मकान के आँगन में,
खिलता है रिश्तो का फुल
जिसके प्यार की खुशबु
रहती है ता-उम्र बरक़रार
इस खुबसूरत सफ़र में
माँ बनाने की जिम्मेदारी पाता है मकान!

एक अटूट और अनोखा रिश्ता होता है
जब शिशु की जन्म का साथ
जन्म होता है एक नयी माँ का
और इस जन्म का साथ
माँ का हर पल हो जाता है संतान का नाम
साथ ही शिशु की किलकारी से
जगमगा उठता है मकान!

फिर वो दिन आता है
जब प्रकाश व फूलो से सज उठता है मकान
क्योंकि वह शिशु हो गया है जवान
है घोडी पर चढ़ने को तैयार
माँ के ह्रदय को पुलकित देख
अंगराई लेता है मकान!
.
इस नश्वर जीवन मैं क्या रखा है
बहुत किया, बहुत कुछ उम्मीद रह गयी
मृत्यु सैया पर पड़ी है माँ
बेटे को अंतिम समय मैं निहारने के लिए
थक गयी है माँ की अंखिया
पर रो भी तो नहीं सकता है मकान!
माँ की अनुभूति को देख तड़प रहा है मकान!!
.

36 comments:

!!अक्षय-मन!! said...

एक अटूट और अनोखा रिश्ता होता है
जब शिशु की जन्म का साथ
जन्म होता है एक नयी माँ का
और इस जन्म का साथ
माँ का हर पल हो जाता है संतान का नाम
साथ ही शिशु की किलकारी से
जगमगा उठता है मकान!
..................
इस नश्वर जीवन मैं क्या रखा है बहुत किया, बहुत कुछ उम्मीद रह गयीमृत्यु सैया पर पड़ी है माँबेटे को अंतिम समय मैं निहारने के लिएथक गयी है माँ की अंखिया पर रो भी तो नहीं सकता है मकान!माँ की अनुभूति को देख तड़प रहा है मकान!!.................
poori jinadi ko likh gaye aap
sab kuch likh diya sab kuch
bahut hi acche hain aapke vichar aur ho bhi kyun na apni didi ka pyar jo sath hai............
aapka naam jaroor likha jayega swaran aksharon main....
mujhe poora vishwaas hai

रश्मि प्रभा... said...

घर और माँ और बनते रिश्ते,
घर का सुकून होता है
पर अंत में यही घर दर्शक दीर्घ में मौन तड़प
लिए रह जाता है,यही है काल-क्रम.....
बहुत सुन्दर ढंग से तुमने हर पल को चित्रित किया,
हर रिश्तों को घर से बाँधा...........
आशीर्वाद तुम्हारे घर बरसे.

GOPAL K.. MAI SHAYAR TO NAHI... said...

वाह, अच्छी कविता है..!!

Unknown said...

bhaiya, bahut achha likha hai..very nice thinking..

Unknown said...

bahut hi sunder racha thi yeh "makan" ghar ka apne sahi me acha chitr pesh kiya hai....ghar sirf eith aur rod ka nahi rahta par usme kafhi sara emotion bhi hota hai jo apne likha hai....par uska epilogue usko ek tragic ending de raha hai...

Chetan Soren said...

Beautiful Lines

Anju said...

sayad mere liye tippania nhi bani hain par main bahut impress hui hoon aur chahti hoon aur achchhi-achchhi kabita padne ko mile.......


adbhut thinking so nice !!!!

Prem Prakash said...

bahut accha likha hi
dharti se juri hai rachana

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dhanyawad aap sabo ko tatha haushla afjai ke liye sukriya....!!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Anjana:
सारे रिश्ते जेठ दुपहरी गरम हवा आतिश अंगार
झरना दरिया झील समंदर झीनी सीपुरवाई अम्मा
घर के झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधरते देखे
चुपके चुपके कर देती थी जाने कब तुरपाई अम्मा.
makan aur amma ki kahani main to jo samrasta aur ek roopta hai use bahut khoobsurti se vyakt kiya hai apne mukesh.........
mujhe apke blog main comment karna tha main kar nahin pa rahi aap plz apne se ise copy n paste kar dijiyega

श्रद्धा जैन said...

wah kya baat hai ek anokha rishta aur zindgi ke har pahloon ko likhti aapki kavita

vipinkizindagi said...

अच्छी कविता

डा ’मणि said...

सादर अभिवादन मुकेश जी
" वाह "

अच्छी रचना के लिए बहुत बधाई
अपने परिचय का एक मुक्तक और एक कविता भेज रहा हूँ ,
देखके बताईएगा

मुक्तक

हमारी कोशिशें हैं इस, अंधेरे को मिटाने की
हमारी कोशिशें हैं इस, धरा को जगमगाने की
हमारी आँख ने काफी, बड़ा सा ख्वाब देखा है
हमारी कोशिशें हैं इक, नया सूरज उगाने की ..

कविता

चाहता हूँ ........
एक ताजी गंध भर दूँ
इन हवाओं में.....
तोड़ लूँ
इस आम्र वन
के ये अनूठे
बौर पके महुए
आज मुट्ठी में
भरूं कुछ और
दूँ सुना
कोई सुवासित श्लोक फ़िर
मन की सभाओं में
आज प्राणों में उतारूँ
एक उजला गीत
भावनाओं में बिखेरूं
चित्रमय संगीत
खिलखिलाते
फूल वाले छंद भर दूँ
मृत हवाओं मैं ......

डॉ.उदय 'मणि'कौशिक
umkaushik@gmail.com
हिन्दी की श्रेष्ठ ,और सार्थक रचनाओं के लिए देखें
http://mainsamayhun.blogspot.com

Unknown said...

एक अटूट और अनोखा रिश्ता होता है
जब शिशु की जन्म का साथ
जन्म होता है एक नयी माँ का
और इस जन्म का साथ
माँ का हर पल हो जाता है संतान का नाम
साथ ही शिशु की किलकारी से
जगमगा उठता है मकान!
...
बहुत खुबसूरत अनुभूति!!

सरस्वती प्रसाद said...

एक घर अपने गूढ़ अर्थ के साथ
तुम्हारी कलम की स्याही में ढल गया है,
अम्मा का आशीर्वाद लो

Advocate Rashmi saurana said...

bhut sundar. kya baat hai. itane badhiya rachanakar ko ab tak kyo nahi padh paye hum. maaf kijiyega.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene me aasani ho.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dhanyawad!!

word verification hatane ke liye kya karna parta hai??

एहसास said...

sorry aaj kal paristhitiyan anukul nahi so itnee sundar rachna ko nayano main bharne main kafee der ho gayee...par sach kahoon bhaeeya ab se aap inhe tukbandi na kahen warna sahity ka apmaan ho jayega....

kabhi kabhi ek lamha kalam main sametna mushkil hota hai aapne to saargarbhit jeewan shabdon main piro diya wo bhee kavita ka roop saja kar....shayad yahi Kavi ki kalam hai....

ek baat kahoonga ki...

shabdon ko jajam pe rakh kar...
hum numaish - e - bazar, sadak par baithe!
koyee sant samajh jhuk baitha, koyee samajh tamasha hanse!!
...Ehsaas

..bhaeeya waise to main bhee kavi nahi jo tipani karoon par saargarbhit rachna....ehsaas ko choti hai

...Aapka Ehsaas!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

thanx ehsaas!!

Satish Saxena said...

पहली बार आपको पढ़ा है, अच्छा लिखते हैं !
PS: please remove word verification, it serve no purpose

मुकेश कुमार सिन्हा said...

How can I remove this system, I dont know....pls guide!

!!अक्षय-मन!! said...

namaste mukhesh bhaiyya

मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑

आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन

Akanksha Yadav said...

बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.
कभी मेरे ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी आयें !!

DAISY D GR8 said...

mohabat ek ahsas hein jo dil ko chon jati hein............

Unknown said...

bahut khoob bhaiya ..... kavi man bhi ajeeb hota hai...har kriyon main bhavnayein dhoon hi leta hai...pratidin jis aangan ki chanv main rehte hai uski kahani...uski vednayein ek kavi man hi apni vilakshan dhang se chitrit kar deta hai...jahan raat aur din ..bachpan ki kilariyan se lekar antim saas tak hum lete hai..uski mahatatvata tabhi smiriti patal par ubhar kar aati hai jab koi aisi hi rachna man ko jhankrit karti hai...naari jeevan ka shaswat roop makan ke saath jis khoobsurati se ujagir kiya gaya hai wo kabile tareef hai.... इस नश्वर जीवन मैं क्या रखा है बहुत किया, बहुत कुछ उम्मीद रह गयी मृत्यु सैया पर पड़ी है माँ बेटे को अंतिम समय मैं निहारने के लिए थक गयी है माँ की अंखिया पर रो भी तो नहीं सकता है मकान!माँ की अनुभूति को देख तड़प रहा है मकान!!.................
akhiri panktiyan to jaise jeevan ka saara sar hi nichod ke samne rakh deti hai...

bhaiya keep writing up such gud wrk......

मुकेश कुमार सिन्हा said...

aap sabo ko mukesh ka sprem dhanyawad!! aapke shabdo ke liye...........:)

Neelam said...

वो चंचल शरारतें
चंदामामा की लोरी
दूध की कटोरी
मिश्री की चोरी !
आज भी बहुत सुकून देता है
वो बचपन की यादें
वो यादगार बचपन!!!!!
bahut khoobsurat bachpan ka ahsaas hua hume bhi.

Yashwant R. B. Mathur said...

फिर, मकान के आँगन में,
खिलता है रिश्तो का फुल
जिसके प्यार की खुशबु
रहती है ता-उम्र बरक़रार
इस खुबसूरत सफ़र में
माँ बनाने की जिम्मेदारी पाता है मकान!

बहुत अच्छी पंक्तियाँ हैं सर!

सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत गहनता से लिखा है मकान को घरौंदा बनाने की प्रक्रिया को

vandana gupta said...

बस यही तो ज़िन्दगी हो या मकान उसका हश्र होता है जब वो बूढा हो्ता है तब तन्हा होता है

सच्चाई को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा है।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत खूब सर!

सादर

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

पूरा जीवन..
बहुत सुन्दर रचना...
सादर...

Mamta Bajpai said...

बहुत सुन्दर भावनाओं से ओतप्रोत रचना ..आभार

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

खुबशुरत पन्तियाँ उम्दा पोस्ट ...........

मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....

सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
चुल्लू भर जनता के हिस्से,इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,


पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे

आनन्द शेखावत said...

बहुत खूब श्रीमान,

Swapan priya said...

अहा बेहतरीन अभिव्यक्ति