जिंदगी की राहें

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Thursday, September 25, 2025

बेटे के जन्मदिन पर



समय कितनी जल्दी सरक जाता है
कल तक नन्हें कदमों संग चलना था,
आज वही कदम
नई दिशाओं की ओर बढ़ चले हैं।

बेशक यादगार ज़िंदगी न दे पाए,
पर यादों में दर्ज है
गुस्से और मुस्कुराहटों का गुलदस्ता,
जो हमने तुम दोनों पर लुटाया था।

याद है मुझे
दिल्ली की गलियों में
तुम्हारे सहमे हाथों ने हमें थामा था,
हवाओं के थपेड़ों में
तुम हमारी पीठ से चिपके रहते थे।
बाइक पर मम्मी-पापा को कसकर पकड़े,
साहस जुटाते हुए,
हवाओं के झोंके सहेजते रहे
वही दृश्य आज भी आँखों में ताज़ा हैं।

अब जब तुम उड़ान भरो
सुदूर दक्षिण की ओर,
तो मन गर्व से भर उठता है,
हाँ, यही तो चाहते थे हम,
कि बेटा अपने सपनों का आकाश छू सके।

याद आया कि कैसे
दिन बीते, महीने और बरस गुज़रे,
तुम मुस्कुराते हुए दूर कॉलेज गए,
हम सोचते रहे—कैसे रहेंगे हम अकेले?
फिर समय बदला, लगा,
अब तो साथ का सान्निध्य बरसेगा।
पर तुम्हें और आगे जाना है,
क्योंकि तुम्हारे सपने बड़े हैं,
तुम्हारी ऊँची हैं उम्मीदें

ख़ैर…
अब स्नेह की तारें
मोबाइल और इंटरनेट से जुड़ेंगी।
पर क्या दूरियाँ
कभी मुस्कुराने की वजह बन सकती हैं?
फिर भी एक कोना भीग जाता है
सोचकर कि मुस्कुराहटें
अब स्क्रीन पर चमकेंगी,
गले की ऊष्मा
सिर्फ नेटवर्क की लकीरों में ढल जाएगी।

जाओ बेटा,
दुनिया जीतने की हसरतें समेटो।
बेशक कम पैसे कमाना,
पर ढेर सारा प्रेम लुटाना,
अथाह स्नेह बटोरना।
याद रखना कि
दुनिया का सबसे बड़ा खजाना
प्यार बाँटना है,
दिलों को जीतना है।

भाषा से परे भी
प्रेम समझा जाता है,
यहाँ तक कि ब्रेल लिपि में भी
दिल की रौशनी सुनहरी हो उठती है।

तुम्हारा सफ़र मंगलमय हो,
हर कदम पर ऊपरवाले का हाथ हो,
और हर मोड़ पर
अम्मा-पापा की दुआएँ
तुम्हारा आसमान बनकर
साया करती रहें।

जन्मदिन मुबारक हो, बेटे! 🎂💐



Friday, June 27, 2025

रजनीगंधा या रेन लिली




आज टैरेस पर टहलते हुए

रजनीगंधा की भीनी ख़ुशबू
और रेन लिली की गुलाबी चमक
छा गई कहीं भीतर तलक...
बारिश भी आई
बस तुम्हारी ख़ुशबुओं की तरह...
तुम मुस्काई,
जैसे लटों पर
छतरी से फिसली कोई बूँद
झिलमिलाई हो चुपचाप...
अपने प्रिज्मीय अपवर्तन के साथ
तुम्हारे शब्द भी
उस पल हँस पड़े थे —
काश!
तुम होती रजनीगंधा
और तुम्हारी फ्रॉक पर
टँकी होती गुलाबी लिली...
और मैं, हाँ मैं
माली सा जुड़ा रहता
तुम्हारी देखभाल में
चुपचाप, मगर मगन...
काश! तुम होती
मेरे गमलों की कोई खिलती कविता...!
रचते रहता दिन रात 🥰

Monday, May 5, 2025

चिट्ठियाँ

 

1.

चिट्ठियाँ,
जो कभी प्रेम की संवाहक थीं,
लौटती डाक में आकर
प्रेम की मज़ार बन गईं।

कभी कभी उन्हें पढ़ कर ही
चमकती आंखों का दीया दिखाता हूँ

चिट्ठियां लिखी जानी चाहिए।

2.
गलत पते पर भेजी गयी थी
जो तुम्हें चिट्ठियां
लौट कर बताती रहीं अहमियत
दो-दो बार

भेजने से ज़्यादा,
तब खुद से हो गया था प्यार।
जब वापस लौटी लिफाफे में से
खुद के लिखे गुलाबी शब्दों को
महसूस कर, खुद ही हुआ गुलाबी।

3.
ढलती उम्र में भी
सहेज रखा है मैंने —
तुम्हारी चिढ़, जलन,
वो चिट्ठियाँ और कलम भी।
सूखी गुलाबी पंखुडियां संग
स्नेह व अथाह प्यार भी

सब है धरोहर
कुछ पर्स में
कुछ बक्से में
कुछ दिल के गलियारे में !

4.
पुराने
प्रेम पत्रों को पढ़ते हुए
जी रहा था
हर्फ़-हर्फ़ प्रेम को
कुछ पन्ने गुलाबी हुए
कुछ ने रोष जताया
पर हर पन्ने ने व्हिस्पर कर
लगाई गुहार

- बचाये रखना प्रेम को ।

5.
मोबाइल चोरी हुई
नम्बर भी गया तुम्हारा
संदेशें जो कागज पर थे
बस वही रह गए
इतना बताने को कि

बस इतना बताने को था —
लिखा करो अब भी चिट्ठियाँ,
चाहे बेनाम, बेतिकाना ही सही।

...ठीक है न!

~मुकेश~