जिंदगी की राहें

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Thursday, February 3, 2022

मन्नत का धागा



कभी निहारना
मेरे घर से तुम्हारे घर तक
पहुंचने वाले रास्ते को
रास्ते में है एक पेड़
पेड़ पर बंधा मिलेगा
मन्नत का धागा
धागे का ललछौं रोली सा रंग
है रंग मेरे प्रेम का
बेशक जिंदगियां जी रही हैं
कठिनतम दौर में
विषाणु तैर रहे हवाओं में
फिर भी, लॉकडाउन के गलियारे में
जब भी चाहो मेरी उपस्थिति
बांध लेना उसी मौली को
कह देना धीमे से
"लव यू" - संस्कृत में
शायद प्रेम में बहती ये आवाज
शिवाले से आती
ॐ की प्रतिध्वनि सी हो
जो प्रस्फुटित हो
धतूरे के खिलने से
या आक के फूल के
बैगनी रंग में लिपटे अहसास तले
जिस कारण
शायद शिवलिंग से
छिटके एक बेलपत्र
जिस के तीन पत्तों में से
एक पर हो मेरा नाम
बाकी दो है न सिर्फ तुम्हारे खातिर
आखिर
तभी तो महसूस पाता हूँ कि
तुम चंदा सी छमकती हो
जटाओं के बाएं उपरले सिरे पर
मेरे चंदा
कल फिर उसी रास्ते से जाते हुए
तुम्हारे घर की सांकल को
हल्के तीन आवाज से बता दूंगा
कि हूँ तुम्हारे इर्द गिर्द
बेशक दूर-दूर पास-पास
के इस खेल में
समझते रहना
तुम प्रेम में हो, और मैं
मैं तो प्रेम समझता ही नहीं।
समझी न ! बकलोल !!
~मुकेश~


2 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रेम के भी अनेक रंग । मन्नत के धागे में लिपटा प्रेम और शिवालय से आता ॐ का स्वर दोनों ही भावपूर्ण । चंदा सी चमकती कर लीजिए ।
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति ।।

INDIAN the friend of nation said...

good artyicle ji achha laga