जिंदगी की राहें

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Friday, May 29, 2020

डर



डर
कोरोना नहीं होता
पर
कोरोना
होती है वजह
मरने की
मरने से
डर तो लगता
ही है न
हां,
भूख भी
मरने की
वजह हो सकती है
भूखे लोग
डरे रहते हैं कि
मर न जाएं
डरे लोग
दुबके हैं
पर भूख और डर की समग्रता
करवा रही है
सफर
कोरोना पीड़ित
मर ही जायेंगे क्या?
शायद नहीं
पर
भूख पक्का
मारती है
काश
इतने अन्योन्याश्रय सम्बन्ध
नहीं हुआ करते
काश
कोरोना भी नहीं होता
काश
भूख भी सफर नहीं करता
कितनी बेबसी
कितनी लाचारी
मौत अपना प्रभाव
छोड़ेगी ही
चाहे वो भूख की हो
या हो किसी अदृश्य वायरस की
जहां 'काश' की
गुंजाइश तक नहीं
है तो सिर्फ अंतहीन प्रतीक्षा
और करुणा से भीगी प्रार्थना
जिंदगी
है अभी मुसीबत भरी आपदा
है 'काश' का पुलिंदा
....है न!!!
~मुकेश~

4 comments:

kuldeep thakur said...


जय मां हाटेशवरी.......

आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
31/05/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......

अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर और सामयिक।
पत्रकारिता दिवस की बधाई हो।

Onkar said...

सुन्दर प्रस्तुति

डॉ. जेन्नी शबनम said...

ज़िन्दगी मुसीबत भरी आपदा ही तो है. बहुत अच्छी रचना.