जिंदगी की राहें

जिंदगी की राहें

Followers

Tuesday, July 25, 2017

बारिश की बूंदें और स्मृतियाँ


थोडा बुझा सा मन और
वैसा ही कुछ मौसम
धुआँसा उज्जड कलपता
शुन्य आसमान पर टिकी नजरें
जिंदगी मृगतृष्णा सी
झांकती खिड़की से
उम्मीद हरियाली के लहलहाने की

और और,
ठंडी हवा के झोंके के साथ
जागी, उम्मीद बरसात की
उम्मीद छमकते बूंदों की
उम्मीद मन के खिलखिलाने की
होने लगी स्मृतियों की बरसात
मन भी हो चुका बेपरवाह
सुदूर कहीं ठंडी सिहरन वाली हवा
बह चले थे शायद मंद मंद
सूखी-सूखी धूल धूसरित भूमि
सौंधी खुश्बू बिखेरती पानी की बूंदे
टप-टप की म्यूजिक के बेकग्राउंड के साथ
छिछला बरसाती पानी
सूरज की उस पर पड़ती सीधी किरणें
परावर्तित हो, दे रही
सप्तरंगी चकमक फीलिंग !
गोल गोल गड्ढों में
बिखरे स्टील के थाली से
चमकते जल
और उसमे पल-पल
बदलती तस्वीरें
एकदम से आ ही गयी एक
चंचल शोख मुस्कराहट

क्योंकि
एक थाली में था मैं निक्कर टीशर्ट में
तो, दुसरे में जगमगा रही थी तुम
रेनबो कलर वाले फ्रॉक में
आज नहीं पहना था तुमने लाल फ्रॉक !
नकचढ़ी तुम, अकडू मैं
मुस्कुराते मन ने कहा तुम्हे 'धप्पा'
और खेलने लगे आइस-पाइस
तो कभी उसी पानी में मारा बॉल
खेला 'पिट्टो'
ठंडा बरसाती पानी ने बरसा ही दिया मन
खिलखिलाया आसमान
सहेजी स्मृतियों के साथ.......!

ओ बारिश की बूंदों
फिर बरसना
खोलूं खिड़की या दरवाजा
करूँगा इन्तजार
तुम्हारा और उस
नकचढ़ी का भी !
आओगी न!
ओ बारिश की बूंदें और स्मृतियाँ !

~मुकेश~



No comments: