जिंदगी की राहें

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Wednesday, May 11, 2016

स्टोपर्स



सड़कों पर मिलने वाले स्टोपर्स
और फिर ड्राइव करते गाड़ियों के
बदलते गियर्स व ब्रेक्स पर
रिदम के साथ चलते हाथ-पांव
अजीब सा स्टॉप-स्टार्ट!!

बढे चलो!
अरे भाई रुको न
क्यों हो जल्दी में!
हर मोड़ पर मिलते
उपदेश और सलाह
जिंदगी तो जैसे
1980 के जमाने का
दूरदर्शन !!
हर दस-बारह मिनट बाद ही
ब्लिंक करता दृश्य
रुकावट के लिए खेद है !

काश जिंदगी और सड़कें
होती राजमार्ग !
बिना रुके
फर्राटेदार ड्राइविंग के साथ
पा जाते डेस्टिनेशन!!

हाँ वहां भी मिलता
टोल या हाफ वे ढाबा
जिंदगी फिर होती
सिर्फ मुस्कान और भरी जेब के नाम

हे भगवान बचा लो
इस स्टॉप स्टार्ट से !

कहीं जिंदगी का पेट्रोल/इंजन आयल
ख़त्म न हो जाये वक़्त से पहले

हो न जाये ब्रेक डाउन
फिर चौकुठे बक्से में बंद मैं
इन्तजार करूँगा
तुम्हारे चढ़ाये जाने वाले
रीथ का ....!!
----------
तब भी रहेगी उम्मीद !!


आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा 

3 comments:

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12-05-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2340 में दिया जाएगा
धन्यवाद

kuldeep thakur said...

जय मां हाटेशवरी....
आपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 13/05/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 301 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।

Onkar said...

बढ़िया प्रस्तुति