जिंदगी की राहें

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Thursday, February 18, 2016

प्रेम खिड़की-दरवाजे का


घर के
कुछ दरवाजे और
कुछ से थोड़ी ज्यादा खिड़कियाँ
शायद आपस में कर रहे थे संवाद !!
शायद डेट पर जाने की कवायद या फिर कोई
उच्च स्तरीय बैठक, घर की सुरक्षा पर !!

दरवाजे पर लटका, पूरा कवर करता मटमैला पर्दा
जैसे दरवाजे ने पहन रखा हो स्वीपर का एक रंग का ड्रेस
वहीँ खिड़कियाँ दिख रही थी सजीली स्वप्नीली
एक लम्बा गाउन सा पर्दा,चमकीले कपडे का
लगी थी लम्बी चमकती डोरी भी ...
साथ में आधी खिड़की तक सफ़ेद शिफॉन का पर्दा
जैसे पहना हो उसने स्कर्ट !!

खिड़कियाँ मचल रही था,
शायद हवा चली थी, शायद उसकी चुनरी बलखाई थी
खिडकी के पल्लों ने बाहें फैलाई थी
दरवाजे पर चिटखनी चढ़ी थी
बेचारा बंद छटपटा रहा था
उसके पल्ले ऐसे बंद थे जैसे
बेचारा किवाड़ दोनों बाहों को भींच कर
खिड़की पर चिड़चिड़ाया था

पल भर में शायद कोई हुई वजह
दरवाजे का पल्ला चरमराया
खुल गया किवाड़,
उसका भी पर्दा ऐसे बलखाया
जैसे एक मर्द ने
शर्ट के बटन को खोल अपनी मर्दाना छाती दिखाई

देख कर किवाड़ को, खिड़की मुस्काई
उसके जान में जान आयी
प्रेम सिक्त उसकी बाहें फ़ैली
तभी बाहर से बहार की  फुहारें भी छिटकी
एक घर के अन्दर खिड़की दरवाजे
दोनों की मुस्की,
जैसे लैला मजनू को देख चिहुंकी !!

रात हो चुकी थी,
खिड़कियाँ और दरवाजे दोनों बंद थे,
सुखद सपने में सोये थे, भोर के सूरज के साथ
फिर बाहें फैलाने का वादा कर परदे में लिपटे थे
ये है न .....
खिड़की दरवाजे का ये अद्भुत प्यार
चमक रहा था घर संसार !!
________________________
:)


6 comments:

nayee dunia said...

bahut sundar

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (20-0122016) को "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का माहौल बहाल करें " (चर्चा अंक-2258) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Amrita Tanmay said...

सच में अनोखा प्रेम !

Onkar said...

अलग तरह की सुन्दर रचना

yashoda Agrawal said...
This comment has been removed by the author.
shashi purwar said...

सुन्दर रचना