जिंदगी की राहें

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Thursday, November 27, 2014

वर्चस्व की लड़ाई


कुछ बातें अचंभित करती है
जैसे कहते है,
जंगल में, होता है एक शेर!
बेवकूफ बनाते हैं, देखा है मैंने
गिर वन में, कुछ दूरी पर 
दो !! अलग अलग शेर
वैसे फारेस्ट ऑफिसर भी बता रहा था
होती है, वर्चस्व की लड़ाई उनमें !
गुर्राते हैं, एक दुसरे पर, भाव खाते हैं
ऐसे जैसे, कोई एक ही है
है उस जंगल का शहंशाह
ये भी बताया उन्होंने
कई बार उनके बीच के झगडे में
लगा कोई एक मारा जायेगा !
आखिर उन्हें बहुत रखना पड़ता है ध्यान
संरक्षित जीव जो हैं !
पर घटनाएँ, आश्चर्यचकित करती हैं
लड़ाई शेरों के बीच होती है
लेकिन मारे जाते हैं
बारहसिंघा, खरगोश या बकरे भी
आखिर हर बड़ी लड़ाई की परिणति
ख़त्म होती है
दावत और राउंड टेबल पर
फिर परोसे जाते हैं 'नरम मांस'
और हाँ! शेर क्या सियार भी नहीं मरते
आखिर कोई समझौता करवाने वाला भी तो हो
हमारे राजनितिक शेरों के बिसात में भी
होता है, ऐसा ही न !

मैंने अपने में खरगोश देखा है !
पुनश्च : 
शेरों के वर्चस्व की लड़ाई जारी रहेगी,
ताकि लोकतंत्र कायम रहे
यश-ऋषभ हमिंग बर्ड के साथ 

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (29-11-2014) को "अच्छे दिन कैसे होते हैं?" (चर्चा-1812) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कविता रावत said...

राजनीति में कब क्या हो जाय कुछ निश्चित नहीं ..