10 फरवरी को विश्व
पुस्तक मेला में लोकार्पित हुई
मेरे सह सम्पादन मे साझा कविता संग्रह "पगडंडियाँ" से मेरी एक रचना आप सबके लिए...
मेरे सह सम्पादन मे साझा कविता संग्रह "पगडंडियाँ" से मेरी एक रचना आप सबके लिए...
ऐ भास्कर !
सुन रहे हो
आज मान लेना एक नारी का कहना
आजकल हो जाती हूँ लेट
तो थोड़ा रुक कर डुबना !!
सुन रहे हो
आज मान लेना एक नारी का कहना
आजकल हो जाती हूँ लेट
तो थोड़ा रुक कर डुबना !!
तुम सब ही तो कहते हो
नारियों आगे बढ़ो
घर से बाहर निकलो
निभाओ जिम्मेवारी
पर ये घूरती आंखे ??
डरा देती है यार
तो मान लेना मेरा कहना
थोड़ा रुक कर डुबना !!
नारियों आगे बढ़ो
घर से बाहर निकलो
निभाओ जिम्मेवारी
पर ये घूरती आंखे ??
डरा देती है यार
तो मान लेना मेरा कहना
थोड़ा रुक कर डुबना !!
क्या करूँ? क्या न करूँ?
समय जाता है बीत
फिर इस तिमिर में
आती है फब्तियों की आवाज
रखती हूँ साहस, पर
कंपकंपा ही जाती है हड्डियाँ
सुनो! मान लेना मेरा कहना
थोड़ा रुक कर डुबना !!
समय जाता है बीत
फिर इस तिमिर में
आती है फब्तियों की आवाज
रखती हूँ साहस, पर
कंपकंपा ही जाती है हड्डियाँ
सुनो! मान लेना मेरा कहना
थोड़ा रुक कर डुबना !!
इस दौड़ते शहर मे
भागती जिंदगी मे
नहीं है समय किसी के पास
फिर भी दिखते ही अकेली नारी
सदाचारी, ब्रहमचारी या अत्याचारी
सबको मिल जाता है समय
इसलिए कहती हूँ प्यारे, सुन लेना
थोड़ा रुक का डुबना !!
भागती जिंदगी मे
नहीं है समय किसी के पास
फिर भी दिखते ही अकेली नारी
सदाचारी, ब्रहमचारी या अत्याचारी
सबको मिल जाता है समय
इसलिए कहती हूँ प्यारे, सुन लेना
थोड़ा रुक का डुबना !!
ऐ रवि !!
इस रक्षा बंधन में
रख दूँगी रेशम का धागा तेरे लिए
अब तो तू भी बन गया भैया
करेगा रक्षा, मानेगा मेरा कहना
बस थोड़ा रुक कर डुबना !!
मेरे घर तक लौटने पर ही डुबना !!
मानेगा न कहना !!
इस रक्षा बंधन में
रख दूँगी रेशम का धागा तेरे लिए
अब तो तू भी बन गया भैया
करेगा रक्षा, मानेगा मेरा कहना
बस थोड़ा रुक कर डुबना !!
मेरे घर तक लौटने पर ही डुबना !!
मानेगा न कहना !!
अगर ये संग्रह आप खरीदना
चाहें तो 150/- मूल्य की पुस्तक सिर्फ 120/- मे www.infibeam.com, ebay.in, bookadda.com etc. साइट से खरीद सकते हैं...
26 comments:
बहुत सुन्दर रचना | बधाई
यहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
nice words n thinking too ...
evry man must think like it ..
congrats !!!!!
तुम सब ही तो कहते हो
नारियों आगे बढ़ो
घर से बाहर निकलो
निभाओ जिम्मेवारी
पर ये घूरती आंखे ??
डरा देती है यार
तो मान लेना मेरा कहना
थोड़ा रुक कर डुबना !! ......... शरीर,मन दोनों सिहर गए
बहुत ही अच्छी रचना...
एक निवेदन सिर्फ़ अपनों से ....
अच्छी रचना!
अंधेरे से डरने वाले क्या जानें...
हैवानों को तो भास्कर का भी... नहीं कोई डर..
~सादर!!!
बहुत सुन्दर रचना | बधाई
बहुत सुंदर और सार्थक रचना..........
बधाई....
सटीक भाव ... गहरी अभिव्यक्ति लिए रचना
बहुत ही बढ़िया..शब्द भाव दोनों उत्तम.
हाँ इंसान भाई कहने से माने न माने (आसाराम बापू के कहने पर) सूरज को तो मान ही लेना चाहिए कहना. अब महिलाओं को देवताओं का ही सहारा है.
बहुत ही सुन्दर रचना
very nice ... Congrats
ऐ रवि !!
इस रक्षा बंधन में
रख दूँगी रेशम का धागा तेरे लिए
अब तो तू भी बन गया भैया....... वाह ! क्या खूबसूरत रिश्ता जोड़ा है.... बहुत मर्मस्पर्शी रचना!
वाह मुकेश ...बहुत सुन्दर आयाम दिया इस समस्या को ...बिलकुल नई पेशकश
बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है ......
सादर , आपकी बहतरीन प्रस्तुती
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
पृथिवी (कौन सुनेगा मेरा दर्द ) ?
ये कैसी मोहब्बत है
बहुत सुन्दर भावों से परिपूर्ण रचना ...ह्रदय के भावों को उद्द्वेलित करती ...!
तिमिर हटेगा, जीवन बढ़ेगा।
कोमल भाव ...
सुंदर रचना ...
इस दौड़ते शहर मे
भागती जिंदगी मे
नहीं है समय किसी के पास
फिर भी दिखते ही अकेली नारी
सदाचारी, ब्रहमचारी या अत्याचारी
सबको मिल जाता है समय
इसलिए कहती हूँ प्यारे, सुन लेना
थोड़ा रुक का डुबना !!
मर्मस्पर्शी निवेदन
अंधेरे से डरने वाले क्या जानें...
हैवानों को तो भास्कर का भी... नहीं कोई डर..
इस दौड़ते शहर मे
भागती जिंदगी मे
नहीं है समय किसी के पास
फिर भी दिखते ही अकेली नारी
सदाचारी, ब्रहमचारी या अत्याचारी
सबको मिल जाता है समय
इसलिए कहती हूँ प्यारे, सुन लेना
थोड़ा रुक का डुबना !!
एक करुण पुकार .......उत्तम रचना
बहुत सुंदर कविता ..........यथार्थवादी :)
मुकेशजी आपने आज के समय के अनुसार नारी के बारे मै बहुत ही अच्छी कविता लिखी है पद कर मान खुश हो गया दिल तक जाने वाली कविता है
बहुत ही बढ़िया भाव संयोजन के साथ एक अलग तरह की बहतरीन रचना... :)
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...यथार्थवादी ....
आजकल हो जाती हूँ लेट
तो थोड़ा रुक कर डुबना !!
....निवेदन बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
बहुत मर्मस्पर्शी रचना.......मुकेश जी
Post a Comment