हर
दर्द को कविता में नहीं पिरोया जा सकता, हाँ उस दर्द को झेलने के बाबजूद जिंदगी जीने की तमन्ना
रचना के काबिल होती है...
एक
दर्दनाक हादसे की शिकार दामिनी (काल्पनिक नाम, यही कह रहे हैं टीवी वाले) के जिन्दादिली को समर्पित उसके ही कथन .....!!
" माँ -पापा को कुछ मत बताना "
- दर्द से डूबी प्रार्थना
जब उसे ले जा रहे थे अस्पताल
"वो बेहोश थी, पर आँखों में आंसू थे"
-सफ़दरजंग अस्पताल के डाक्टर
के हवाले से आयी खबर
" मैं जीना चाहती हूँ "
- ये भी उसने ही कहा
अस्पताल के बाहर किसी ने बताया
.
क्या ये तीन कथन से भी
दर्दनाक !
पर जिंदगी जीने के तमन्ना
से भरी हुई !
हो सकती है कोई रचना !!!
33 comments:
अब बस
अब और नहीं
न ही सहेंगे
न ही रोएँगे
बस लड़ेंगे
और
लड़ते रहेंगे
खामोश जब तक वो रहेंगे
तब तक वे
जनाक्रोश का सामना
करते रहेंगे
बेहद मुश्किल दौर है।
मेरे समेत बहुत कहा और सुना जा रहा है ,पर अब मंजिल का तय होना जरुरी हो गया है
दामिनी के लिए यह बहुत ही मुश्किल समय है
भगवान उसका मनोबल बढ़ाये....
उन बदमाशों के लिए कोई शख्त सजा तो होनी ही चाहिए
शब्द तो रुंधे मन की चीख हैं ............... तनाव का कसाव जो दिल दिमाग पर है,उसे सहना है ताउम्र
सच बेहद दर्दनाक है पर उसके शब्द सामना करने का हौसला भी दे रहे हैं .......
क्या कहूँ...शब्दों से परे बन चुकी है स्थिति |
लड़ाई आसान नहीं लेकिन असम्भव भी नहीं क्योंकि अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष तो करना पड़ेगा .
bahut hi dardnak sach hai ....no words to express it ... :(
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (24-12-2012) के चर्चा मंच-११०३ (अगले बलात्कार की प्रतीक्षा) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
इन तीन वाक्यों में दामिनी ने जो कुछ कहा वह एक मर्यादित नारी की सोच का निचोड़ है और उसकी अदम्य जिजीविषा की एक छोटी सी झलक है ! मन बहुत व्यथित है उस बच्ची के लिए !
ये तीन वाक्य स्वतं में सभी भावनाओं को समेटने में सक्षम हैं..
जीने का अदम्य साहस आज उसे जिंदा रखे हुये है ... दामिनी की चमक नए रास्ते तलाशेगी ....
दर्द से डूबी प्रार्थना
जिंदगी और जीने में विश्वास ही जीते , दुआ यही रहेगी !
आँख नम है
न्याय की माँग में
जुल्म देख
सलाम है जीवन की इस रचना को ...
मार्मिक ... पर कितना साहस लिए ...
बहुत कठिन समय है...
अच्छी सामायिक रचना। आशा करें सब कुछ बेहतर होता जाये।
बहुत मार्मिक...
मन को बहुत व्यथित करती मार्मिक प्रस्तुति,,,,
आपकी पोस्ट पर पहली बार आना सार्थक रहा,,बधाई,
recent post : समाधान समस्याओं का,
एक पीड़ित लाचार और मशीनों की सहायता से जीवित लड़की के दिल में अब भी जीने की चाह है ....सच में व्यथित कर देने वाला क्षण ......मार्मिक अभिव्यक्ति मुकेश जी
हृदय विदीर्ण हो जाता है, यह सब सुन कर।
दर्दनाक सच है जो इस में मुखरित हुआ है
बेहद दर्दनाक
हर दिल रो रहा है हर आँख है नम है बस न्याय हो यही है इन्तजार अब तो
नहीं पढ़ा जाता अब और ..हर दिल रो रहा है. बस न्याय हो, दोषियों को कठोर सजा हो.
ab bas nyay ki parteekshaa.....
अब तो बस न्याय की प्रतीक्षा है।
बहुत सुंदर एवं बहुत ही भाव-प्रवण कविता । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
दामिनी के दिल में जीने की तमन्ना है...वह हंमेशा के लिए जिन्दा रहेगी!...जानवरों से बदतर किस्मके मनुष्यों का अंत अब ज्यादा दूर नहीं है!
मौत से जूझती उस साहसी बच्ची की अदम्य शक्ति को नमन ...
उसके ये तीन वाक्य ..समाज का चेहरा अनावृत्त करते कतारवद्ध प्रश्न ...
उस बच्ची की पीड़ा को महसूस कर पंक्तियों में संजोने के लिए मुकेश जी बहुत आभार ...
मौत से जूझती उस साहसी बच्ची की अदम्य शक्ति को नमन ...
उसके ये तीन वाक्य ..समाज का चेहरा अनावृत्त करते कतारवद्ध प्रश्न ...
उस बच्ची की पीड़ा को महसूस कर पंक्तियों में संजोने के लिए मुकेश जी बहुत आभार ...
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