जिंदगी की राहें

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Friday, April 1, 2011

इतिहास

फुर्सत के कुछ खास पलो में

एक दिन खोल बैठा

एक पुस्तक इतिहास कि

जैसे ही मेरे अँगुलियों ने

पलटे कुछ पन्ने,

तो फरफराते पन्नों

से उछल उछल कर बहुत सारे शब्द

करने लगे गुण-गान

कि कैसे बंद पड़ी थी म्यान

जहाँ से निकली तलवार

जिसके कारण बन गए राजा महान

कैसे राजाओं ने, रण-बांकुड़ो ने

दुश्मनों के खिंच लिए जबान

किसने बनवाया ताजमहल या कुतुबमीनार

किसके प्यार कि ये थी दास्तान.........



पर उस इतिहास कि पुस्तक

के हर पन्नो पर

उन उछलते कूदते शब्दों से बने वाक्य

जहाँ भी थमते थे

जहाँ भी होता था कोमा या पूर्ण विराम!

कुछ अनदेखे चेहरे

कुछ बेनामी लोगो

के साहस और दर्द कि आवाज

धीमे से कह रही थी.....

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."

58 comments:

Anupama Tripathi said...

बहुत सुंदर तरीके से आपने ये रचना लिखी है -
और उन लोगों को याद किया है जिनका नाम इतिहास में नहीं है .
बहुत खूब..!

vandana gupta said...

सच कहा जिनके नाम नही होते वो ही इतिहास रचते हैं।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

thanx anupama jee, vandana jee...itna quick response:)

आनंद said...

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."
...
बहुत ही सधे तरीके से...गुमनाम लोगों का दर्द बयां किया है तुमने मुकेश ...जिन्हें इतिहास में जगह नही मिल पायी !

shikha varshney said...

इतिहास में सिर्फ कुछ ही नाम होते हैं परन्तु इतिहास जिनसे बनता है वे तो अनाम ही रह जाते हैं.
बहुत ही बढ़िया रचना है. उत्तम ख़याल और सुन्दर प्रस्तुति.

Er. सत्यम शिवम said...
This comment has been removed by the author.
anshumala said...

सही कहा बेनाम रह जाने वाले भी इतिहास रचने वालो से काम नहीं होते है कुछ बेनाम हो जाते है कुछ को स्वार्थ वस कर दिया जाता है |

Deepak Saini said...

बहुत ही बढ़िया रचना है. उत्तम ख़याल और सुन्दर प्रस्तुति.

hem pandey said...

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."


- यही सच है |

रश्मि प्रभा... said...

itihaas se pare kai chehre hain , jinhe bhula nahi ja sakta ... darasal itihaas ko rachne mein unka hi benami saath hota hai

विभूति" said...

bhut khubsurat tarah se apne ham sabko ithas se parchit karaya hai...

anilanjana said...

इतिहास..कही अनकही बातों की एक सुरुली...प्रतिध्वनि है ..बहुत ही स्पष्ट ..यानि clean..रचना है ...नितान्त स्वाभाविक प्रत्रिकिया..अनकहा दर्द...उसके साथ अपनी होने का ..अपने अस्तित्व का भान कराती है..."इतिहास में हम बेशक हैं नहीं पर हमने भी रचा है इतिहास..'..विषयों के विस्तार के साथ हृदयग्राही शब्द चयन...कवी का निखार दिन प्रतिदिन होता दिख रहा है..बधाई....

डॉ. मोनिका शर्मा said...

कुछ अनदेखे चेहरे
कुछ बेनामी लोगो
के साहस और दर्द कि आवाज
धीमे से कह रही थी.....
"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं
पर हमने भी रचा है इतिहास.............."


बहुत बढ़िया ...सच कहा ...
ऐसे चेहरे अक्सर विस्मृत हो जाते हैं....

प्रवीण पाण्डेय said...

जिनके साहस से इतिहास बनता है, उनका नाम ही नहीं होता पुस्तकों पर।

Dr (Miss) Sharad Singh said...

कुछ अनदेखे चेहरे
कुछ बेनामी लोगो
के साहस और दर्द कि आवाज
धीमे से कह रही थी.....
"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं
पर हमने भी रचा है इतिहास.............."...



बहुत सुन्दर रचना....
मार्मिक भावाभिव्यक्ति....बधाई...

किलर झपाटा said...

बहुत ही अच्छी ऐतिहासिक हिस्ट्री लिखी आपने।

kshama said...

धीमे से कह रही थी.....

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."
Kya baat kah dee...wah!

अरुण चन्द्र रॉय said...

behad gambhir kavita... itihaas ke banane kee prakriya aur uske pichhe kee pristhbhumi ko behatreen roop se bayan kiya hai... shubhkaamna mukesh ji !

केवल राम said...

के साहस और दर्द कि आवाज
धीमे से कह रही थी.....
"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं
पर हमने भी रचा है इतिहास.............."

इतिहास अपने आप में एक दस्तावेज है बीते हुए पलों का जो कुछ समय के साथ घटित होता है उसे इतिहास अपने में समां लेता है और हें इंगित करता है हमें ..आपने बहुत सशक्त वर्णन किया है ..आपका आभार

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

Sachmuch har vyakti ka apna itihas hota hai.

-----------
क्या ब्लॉगों की समीक्षा की जानी चाहिए?
क्यों हुआ था टाइटैनिक दुर्घटनाग्रस्त?

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर प्रस्तुति ...कई लोग हैं जिनसे इतिहास बनता है पर उनका नाम नहीं होता .....

ZEAL said...

कुछ बेनामी लोगो

के साहस और दर्द कि आवाज

धीमे से कह रही थी.....

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास..........

Beautiful and very touching lines ...

.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@धन्यवाद् आनंद भैया, शिखा, अंशुमाला जी, हेम पाण्डेय जी, सुषमा !!
@शुक्रिया सत्यम...........इस लायक समझने के लिए...
@जी रश्मि दी..कुछ ऐसा ही मैंने समझाना चाहा
@बस अंजना दी, जो कुछ सरल सा सोच मान में आता है, लिख दिया...शुक्रिया..

Udan Tashtari said...

bilkul sahi kaha...badhiya rachna

DAISY ki batey DIL sein said...

bahut utam ji
chupa hua itihas aap hi ujagar kar saktey hein[aapki kalam]]

Anju (Anu) Chaudhary said...

कुछ अनदेखे चेहरे

कुछ बेनामी लोगो

के साहस और दर्द कि आवाज

धीमे से कह रही थी.....

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."
bahut sahi kaha hai...benam wale hi apne nam se itihass bana dete hai

ज्योति सिंह said...

कुछ अनदेखे चेहरे

कुछ बेनामी लोगो

के साहस और दर्द कि आवाज

धीमे से कह रही थी.....

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."
ati uttam ,ye to sach hai .

ओम पुरोहित'कागद' said...

अतिसुन्दर ब्लोग !
अच्छी कविताएं !
बधाई हो !

mridula pradhan said...

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं
पर हमने भी रचा है इतिहास.............."
bahut badi sachchayee hai yah to...achcha visay chune aap.

डॉ. जेन्नी शबनम said...

बहुत सहजता से बहुत गंभीर बात कह दी है आपने. इतिहास की किताब में सिर्फ बड़े लोगों के नाम होते, लेकिन इतिहास रचने में छोटा से छोटा व्यक्ति भी उतना हीं भागीदार होता लेकिन गुमनाम रह जाता...बहुत अच्छी रचना, बधाई मुकेश.

***Punam*** said...
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***Punam*** said...
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***Punam*** said...

हर इतिहास के पीछे कितने ही बेनाम चेहरे होते हैं...
लेकिन लोग केवल उनको ही पहचानते हैं जिनकी तस्वीरें उन पन्नों पर छपी रहती है..वो बेनाम चेहरे अपनी भूमिका निभा कर
गुमनामी में खो जाते हैं और सेहरा उन तस्वीरों के सिर पर लगा दिया जाता है....
या वो खुद लगा लेते है...
आज तक ऐसे ही इतिहास बना है..और आगे भी बनेगा ही....

क्रेडिट लेने वाले बहुतेरे मिलेंगे पर देने वाले.......????
यथार्थपूर्ण रचना...!
कल के सन्दर्भ में और आज के सन्दर्भ में भी.....!!

Neelam said...

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."

बहुत ही बढ़िया रचना है. उत्तम ख़याल और सुन्दर प्रस्तुति.

Minakshi Pant said...

देर से आने के लिए माफ़ी चाहती हूँ दोस्त |

हाँ ये सच है की इतिहास तो सबके साथ से ही रचा जाता है अगर उन्हें सबका साथ नहीं मिलेगा तो वो इतिहास रचा ही नहीं जा सकता अब देखो न वर्ल्ड कप का इतिहास हमारे खिलाडियों ने हमारे उत्साह और जूनून को देखते हुए तो रचा फिर हम उस इतिहास से अलग कैसे ? ये मिलाजुला ही तो प्रयास है |

तो आपने इतिहास के पन्ने पलट ही दिए | :(

अच्छी कोशिश |

दिगम्बर नासवा said...

नमन है इतिहास के ऐसे ही वीरों को ... लाजवाब रचना है ...

Anonymous said...

पर हमने भी रचा है इतिहास...!!! सही कहा मुकेश जी आपने इतिहास में बड़बोलों को ही जगह मिलती है ! व्यंग्य है !

Rajiv said...
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Rajiv said...

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं
पर हमने भी रचा है इतिहास.............."
बहुत खूब.परदे के पीछे रहकर भी रचा जाता है इतिहास .बेहतरीन रचना के लिए बधाई,मुकेश भाई.

Vandana Ramasingh said...

वाकी जो नींव की ईंट हैं वो चेहरे तो छुपे हुए ही हैं और उनके योगदान बिना तो इमारत खड़ी हो ही नहीं सकती ...संवेदनशीलता का परिचय देती रचना

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास............
बेहतरीन रचना मुकेश ji ...

हरीश सिंह said...

बेहतरीन रचना

सदा said...

साहस और दर्द कि आवाज

धीमे से कह रही थी.....

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."

सच कहा है ...हर पंक्ति अपने आप में गहन भाव समेटे हुए ...बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

लाल कलम said...

bahut sundar prastuti

देवेन्द्र पाण्डेय said...

..बहुत खूब।

man na vicharo said...

bahuuuut badhiyaaaa..

प्रेम सरोवर said...

अच्छी प्रस्तुति।धन्यवाद।

मेरे भाव said...
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मेरे भाव said...
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मेरे भाव said...

neenv ke patthar ko kisne jana hai.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

वाह!
बढ़िया ढंग से प्रकाश डाला है बीते पन्नों पर!

निर्मला कपिला said...

बहुत सुन्दर भाव।। प्रेरक रचना । बधाई।

दिलबागसिंह विर्क said...

इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.............."
bahut khoob

वन्दना अवस्थी दुबे said...

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं

पर हमने भी रचा है इतिहास.
बहुत बढिया. परोक्ष रूप से हम भी इतिहास रच ही रहे हैं.

परमेन्द्र सिंह said...

"इतिहास में हम बेशक हैं नहीं/ पर हमने भी रचा है इतिहास.............." इतिहास में झाँकती और नींव के पत्थर तलाशती एक खूबसूरत कविता। बधाई।

Amrita Tanmay said...

Aksharsah satya kaha...ab hamari baari hai itihaas banane ki.

dinesh said...

bahut badhiya.....shandaar!

Unknown said...

एक उम्दा रचना.. बधाई स्वीकार करें !
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?