जिंदगी की राहें

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Saturday, December 18, 2010

मेरी "मैया"



क्या दिन थे वो भी
जब होती थी धड़कन तेज़
और कांपने लगता  मैं
मेरे दर्द को अपने अन्दर भींच लेतीं
समां लेतीं मुझे खुद के भीतर
समेट लेती  मुझे
अपनी आंचल के साये में
मैं भी अपनी
छोटी छोटी उँगलियों को
उसके ढीले   
सलवटों से भरे पेट पर
प्यार से लगता फिराने
खो जाता उन उबड़ खाबड़ रास्तों में
और भूल जाता अपनी बढ़ी धड़कन
और बिखरी सांसो का कारण 
हो जाता शांत

वो बचपना
वो गाँव का मेरा
बिचला घर.....:)
जहाँ थी
पुरानी सी बड़ी सी पलंग
जिस पर था मेरा राज
क्योंकि मैं था दबंग
शान से मैं होता पलंग पे
और मेरे एक और बाबा
दूसरी और "वो"
और फिर एक दम सुरक्षित मैं

वो दिन अनमोल
जब मेरी हर चाहत को
का उसे था मोल
चाहे हो दूध की कटोरी
या मेरे स्कूल जाने की तैयारी 
मेरे हाल्फ पैंट  का बटन
या बुखार से तपता मेरा बदन
हर वक़्त उसने दी
प्यार और ममता की फुहारी!!

आज भी जब होता है 
कभी असहनीय दर्द
तो खुद निकलता है एक स्वर
ए मैया...........!!
पर पाता नहीं क्यूं 
लगता है किसी ने मुझे खुद
में समेटा.........
और फिर दर्द रफ्फूचक्कर ....:)
जानता हूँ
है ये मृग-तृष्णा .... 
.
वो थी मेरे पापा की माँ
मेरे सारे भाई-बहनों की मामा (दादी)
लेकिन मैंने तो पहले दिन से ही 
देख लिया था उसमे
पहचान लिया था उसको
वो और कोई नहीं 
सिर्फ और सिर्फ थी
मेरी "मैया"
मैया!!!!!!!!!!!!!

थी तो वो एक औरत ही
दिखने में  साधारण
लोगों को लगती हो शायद
किसी हद तक बदसूरत
लेकिन मेरे लिए, मेरे लिए....
सबसे अधिक खुबसूरत
क्योंकि थी वो ममता की मूरत!!!
मेरी "मैया"
मैया!!!!!!!!!!!!!  


(मेरी प्यारी मैया मेरी दादी) 
मेरे बचपन के सबसे अनमोल दिन मैंने अपने मैया के आँचल के छावं में गुजारे....खूब मजे किये, खूब मैया से प्यार पाया, बीमार पड़ा तो तीमारदारी भी करवाई....कभी कभी पिटा भी....लेकिन अब उसकी कमी शायद समझ में आती है...

92 comments:

putul said...

मइया..यूँ ही तुम्हारा दर्द खुद में समेट लेंगी आज भी...बहुत खूब लिखा है...
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है.
माँ दुआ करती ख्वाब में आ जाती है..

Shekhar Suman said...

मेरी आँखों में नमी छलक आई है..और क्या कहूं...

Neelam said...

Maa ..kahan ho ..kaash lout aatin mere bulaane se..[:(]
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है.
माँ दुआ करती ख्वाब में आ जाती है.
Mukesh ji..hats off to u.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

bas putul jee, jab dard hota hai to sabse najdiki yaad aata hai, isliye maiya ko yaad kiya.......(mera accident ho rakha hai na)

संजय भास्‍कर said...

आदरणीय मुकेश सिन्हा जी
नमस्कार !
बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

संजय भास्‍कर said...

आज भी जब होता है कभी असहनीय दर्दतो खुद निकलता है एक स्वरए मैया...........!!पर पाता नहीं क्यूं लगता है
.........कमाल की लेखनी है आपकी लेखनी को नमन बधाई

मुकेश कुमार सिन्हा said...

*Sekhar jee thanx.......achchha laga aapke concern ko dekhkar...
*Neelum jee maa nahi wo maiya thi.......yani wo meri dadi thi..:)
*Sanjay jee lekhni to kamal ki nahi hai, par haan bas kisi ki yaad ko sanjoya hai maine...:)

Rajiv said...
This comment has been removed by the author.
Rajiv said...

बेहद करीब से महसूसी गई रचना.इसने तो बचपन की याद दिलाकर भावुक कर दिया.मां( दादी मां उसी का विस्तार है और इस विस्तार का अंत नहीं है.) तो स्वयं में ही एक अद्भुत रचना हैं इस रचनाके माध्यम से आपने उसे अमर कर दिया ,मुकेश भाई.बधाई.

कविता रावत said...

वो बचपना
वो गाँव का मेरा
बिचला घर.....:)
जहाँ थी
पुरानी सी बड़ी सी पलंग
जिस पर था मेरा राज
क्योंकि मैं था दबंग
शान से मैं होता पलंग पे
और मेरे एक और बाबा
दूसरी और "वो"
और फिर एक दम सुरक्षित मैं
....maa ko samarpit rachna ko aapne bahut hi sundar dhang se amit yaadon mein samet diya hai.... dil chhu gayee aapki rachna..aabhar

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

मुकेश जी!
इतनी प्यारी अनुभूति और इतने प्यार से आपने संजोयी है कि बस मन भर आता है... मैंने अपनी दादी को नहीं देखा... मगर मेरे पिटा जी अपनी मान को बहुत प्यार करते थे (जैसा हर कोई करता है)इसलिए उनसे दादी के किस्से सुने हैं बहुत.
मेरी ओर से भी दादी मैया के चरणों में शत शत प्रणाम!!

रेखा श्रीवास्तव said...

वो जो आँचल में छुपा कर प्यार देती है और हर पीड़ा हर लेती है या फिर तड़प उठती है हमारी पीड़ा पर, वो वह अनमोल हस्ती है जिसे हम संजो नहीं पाते लेकिन दिल में रखे उसको भुला भी तो नहीं पाते. वो छवि अंत तक हर पीड़ा को शांत करने वाली होती है.

रेखा श्रीवास्तव said...

वो जो आँचल में छुपा कर प्यार देती है और हर पीड़ा हर लेती है या फिर तड़प उठती है हमारी पीड़ा पर, वो वह अनमोल हस्ती है जिसे हम संजो नहीं पाते लेकिन दिल में रखे उसको भुला भी तो नहीं पाते. वो छवि अंत तक हर पीड़ा को शांत करने वाली होती है.

Ankit Khare said...

थी तो वो एक औरत ही
दिखने में साधारण
लोगों को लगती हो शायद
किसी हद तक बदसूरत
लेकिन मेरे लिए, मेरे लिए....
सबसे अधिक खुबसूरत
क्योंकि थी वो ममता की मूरत!!!
मेरी "मैया"
मैया!!!!!!!!!!!!!
.
.
Awesome

Apanatva said...

badee hee bhavmayee rachana.....
sunder abhivykti...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत भावनात्मक रचना ..दादी का प्यार ऐसा ही होता है :):)

shikha varshney said...

बेहद भावुक लिख दिया है आपने ..दादी का प्यार कहाँ कोई भुला पाता है .
सुन्दर कविता.

मनोज कुमार said...

मैय्या के चरणों में नमन।
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।

vandana gupta said...

दर्द की मार्मिक प्रस्तुति…………दादी का प्यार्…………समझ सकती हूँ क्या गुजरती होगी…………वो लम्हे तो हमेशा यादो मे रहते हैं।

Satish Saxena said...

बहुत बढ़िया मुकेश !
इससे बढ़िया रचना और इनसे बढ़िया सुन्दरता कही मिल ही नहीं सकती ! दिल से अगर माँ की आवाज निकले तो प्यार का वह मंज़र अनूठा ही होता है !
ममता को समर्पित रचना के लिए बधाई !

Satish Saxena said...
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राजेश उत्‍साही said...

मुकेश भाई मां/दादी की याद सबको ही आती है। आपके भाव कविता में उतरे हैं। आखिर में आपने जो टिप्‍पणी लिखी है उसमें एक वर्तनी की वजह से अर्थ का अनर्थ हो रहा है, उसे ठीक कर लें।
....कभी कभी पीटा भी....पक्‍के तौर पर आपने मां या दादी को कभी पीटा नहीं होगा, बल्कि आपही पिटे होंगे। यानी आप कहना चाहते हैं ....कभी कभी पिटा भी....

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

मुकेश जी माँ और दादी की यादों के साथ बचपन इतनी गहन अनुभूति के साथ आपके अन्दर मौजूद है कि वह एक मर्मस्पर्शी कविता में बदल सकता है ,यह आपकी एक उपलब्धि है । कविता दिल को छूती है ।

रश्मि प्रभा... said...

mrigtrishna nahi yah , maiya her waqt rahti hai saath ... pyaar denewale , hausla denewale kabhi paas se nahin khote ........
unhone rakh diya hai sar pe haath...dard gayab n ...

वीना श्रीवास्तव said...
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वीना श्रीवास्तव said...

आज भी जब होता है
कभी असहनीय दर्द
तो खुद निकलता है एक स्वर
ए मैया...........!!
पर पाता नहीं क्यूं
लगता है किसी ने मुझे खुद
में समेटा.........
और फिर दर्द रफ्फूचक्कर ....:)
जानता हूँ
है ये मृग-तृष्णा ...

बहुत ही ह्रदयस्पर्षी, भावनाओं में रची-बसी, भावुक कर देने वाली रचना...

Alokita Gupta said...

bahut hi hruday sparshi rachna hai. laga jaise in kuch palon mein jee ayi aapki maiyaa ke saath.

Er. सत्यम शिवम said...

mujhe apni dadi yaad aa gayi....bhut hi sanwedanshil ........dil bhar aaya

मुकेश कुमार सिन्हा said...

on orkut

Iris Seeking Solace-22:50-
tum bhabnaon ko bari himakat se sabdon mein utarte ho bahut achcha! keep it up!

amrendra "amar" said...

dil k behad kareeb se gujri aapki ye rachna .............mujhe apni dadi ka khyal aa gaya.....

मुकेश कुमार सिन्हा said...

on facebook:

@Anand Dwivedi: adbhut hai...... mukesh apne ateet me vichran karna hamesa se bahvuk aur mridul hota hai.......bahut sundar rachna!
Saturday at 5:02pm

@Abhishek Srivastava :bhaiya....aapki yeh rachna woh rachna padhi.......lekin "Maiya" ki kuch lines toh sach mein kafi achchi hain. lekin chota muhn badi baat... sudhar ki gunjaish hai as per me....
Saturday at 5:45pm

@Aastha Kulshrestha: ohhh woww bahut achcha bhaiya v nicen touching
Saturday at 7:22pm

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@राजीव जी, दादी मां बचपन का विस्तार है और इस विस्तार का अंत नहीं है. कितनी प्यारी बात कह दी आपने................धन्यवाद् :)
@कविता जी कोशिश मात्र है........धन्यवाद्....
@बड़े भैया (बिहारी बाबु) अच्छा लगा आपकी बात सुनकर...:)
@हाँ रेखा दी मेरी मैया ऐसी ही थी...............:)
@Thanx ankit...:)

JAGDISH BALI said...

बहुत दिलकश अंदाज़ में आपने दादी मां की तस्वीर उतार ली ! बधाई !

दिगम्बर नासवा said...

बहुत मार्निक ... बचपन के गलियारे में खड़ा कर दिया आपने मुकेश जी ... माँ दादी की यादें ... उनके साथ बिताया वक़्त बस सपनों जैसा ही लगता है बड़े होने पर .....

रश्मि प्रभा... said...

जब हम अपनी अपनी पगडंडियाँ बनाकर एक ख़ास पड़ाव तक आते हैं , तो वो दिन -जहाँ हमारा दर्द जादू से छूमंतर होता था , बहुत याद आता है

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@सरिता दी ............धन्यवाद्, बहुत दिनों बाद आप आयें...
@संगीता दी...धन्यवाद............
@शिखा .............तुम लोग से सीख रहा हूँ.............:)
@मनोज जी ............धन्यवाद...
@वंदना जी, सही कहा आपने दादी की बस याद आ गयी, और लेखनी चल पड़ी ...........

रौशन जसवाल विक्षिप्त said...

अति सुन्‍दर। आपको साधुवाद।

ρяєєтii said...

Mehsus karo aaj bhi saath hi hongi maiyaa, aaj bhi unke naam se bikhri saase simat jaayegi, Aaj bhi unke smaran maatr se apne aap ko surakshit mehsus honga.. YAhi to hai NiSwarth Pyaar, apnapan, Divine love...

anshumala said...

कविता बहुत अच्छी लगी | माँ पर कई कविताए पढ़ी है पर पहली बार दादी माँ को याद करती कविता पढ़ी अच्छा लगा | हमारे घर की सारी बेटियों में अपनी बात कहने किसी से ना डरने और कुछ करने का साहस हमारी दादी के कारण ही है उन्होंने कभी भी पोते और पोतियों में फर्क नहीं किया बल्कि हमारे घर में बेटियों की पूछ ज्यादा होने की परंपरा बना दी जो आज तक कायम है | यही वजह है की हम सभी बहने बड़े गर्व से खुद को अपनी दादी की पोती ज्यादा कहते है |

डॉ टी एस दराल said...

खुशनसीब होते हैं वो , जिन्हें दादा दादी का प्यार मिलता है ।
बहुत भावपूर्ण रचना ।

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

bahut hi bhawna se paripurn rachna!

वाणी गीत said...

ममता की घनी छाँव हमेशा बनी रहती है , यादों में ही सही ...
मैया के इस प्रेम को नमन !

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

आँख भर आई पढकर ... दादी को खोने के बाद ही मैंने उनकी कीमत समझा ...
हमारे बड़े-बुज़ुर्ग किस तरह हमारे ख्याल रखते हैं और रखते थे ... ये शायद हम समझ नहीं पाते हैं ... बहुत सुन्दर तरीके से आपने भावों को उकेरा है ..

Anonymous said...

मर्मस्पर्शी रचना - बधाई
समझें लोग रुपैया
लेकिन सबसे बड़ी है मैया

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@सतीश सर! आपने अच्छा कहा यही बहुत बड़ी बात है....:)
@राजेश भैया सच में छोटी छोटी भूलो को आप तुरंत पकड़ लेते हो, मैंने सही कर दिया! धन्यवाद्!
@आपका कमेन्ट सर आँखों पर गिरिजा जी!
@हाँ रश्मि दी!! यही तो अजूबा है न...:)
@वीणा जी, आलोकित, सत्यम .... धन्यवाद्:)

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मुकेश भाई, आपके जज्‍बात मन को छू गये। हार्दिक बधाई।

---------
आपका सुनहरा भविष्‍यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्‍या जानते हैं?

Unknown said...

बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@धन्यवाद् अमरेन्द्र जी, जगदीश जी !
@हाँ दिगंबर सर, मैंने भी मैया को सपने में ही देखा और सब्दो का जमा पहनने की कोशिश की:)
@रोशन जी आपका आना अच्छा लगा!
@प्रीती,...जो जा चुकी उसे महसूस ही करने की कोशिश की है:)....
@अंशुमाला जी आप दादी की पोती थइ न...मैं तो अपनी दादी का बेटा था.....उनके बेटे यानि मेरे पापा से जायदा प्यारा:)
@दर!ल साहब , वंदना सुक्रिया....:)

रेखा श्रीवास्तव said...

भाई आपकी ये रचना वाकई मैया के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है. वो ममत्व और दुलार फिर कहाँ मिलता है और आज कल तो बच्चे इससे बिल्कुल ही वंचित हैं. जिनके आँचल में नहीं छिपे तो उसकी ऊष्मा का अनुभव कहाँ से होगा?

पूनम श्रीवास्तव said...

mukesh ji
dil ke bhavo v se jude apne apni dadi maa ki (maiya)se ude jajbaaton ki jis jis khoobsurati ke saath likha hai vah to kabile -tarrif hai hi,par man itna bhar aaya ki aapki yah post bar bar padhne ko ji chata hai.
bahut hi kismat wale lig hote hain jinhe apne dadi baba aur ghar parivaaar ka pura pyaar milta hai.
maa shad nahi athah sagar hai,
jo anmol khajane ki taraah hai.


थी तो वो एक औरत ही
दिखने में साधारण
लोगों को लगती हो शायद
किसी हद तक बदसूरत
लेकिन मेरे लिए, मेरे लिए....
सबसे अधिक खुबसूरत
क्योंकि थी वो ममता की मूरत!!!
मेरी "मैया
bahut bhautbadhai itni achhi maiya ke liye.
poonam

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@haan vaani jee bas jo prem andar tha usko sajne bas ki koshish ki hai:)aapki baat achchhi lagi!
@ Indranil jii...ab kya kahun...aapke comment ne dil ko chhua...:)
@Rakesh sir! aapko bhut dino baad dekh kar achchha lga:)
@Thanks Zakir!!

Smart Indian said...

भावप्रणव रचना!

Anupama Tripathi said...

बहुत मर्मस्पर्शी रचना -
भाव विभोर कर गयी .

Anonymous said...

I thought it was going to be some boring old post, but it really compensated for my time. I will post a link to this page on my blog. I am sure my visitors will find that very useful.Thanks
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निर्मला कपिला said...

थी तो वो एक औरत ही
दिखने में साधारण
लोगों को लगती हो शायद
किसी हद तक बदसूरत
लेकिन मेरे लिए, मेरे लिए....
सबसे अधिक खुबसूरत
क्योंकि थी वो ममता की मूरत!!!
मेरी "मैया"
मैया!!!!!!!!!!!!!
दादी हो या नानी ये मैया ऐसे ही प्यारी होती है।मुझे तो खुद दादी नानाएए बन कर भी अपनी मैया नही भूल पाती। सुन्दर रचना के लिये बधाई।

सहज समाधि आश्रम said...

सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली ।
भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज ।
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।

Patali-The-Village said...

मेरी ओर से दादी मैया के चरणों में शत शत प्रणाम! बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

dadi maa'...
hridayshparshi rachna..
mujhe bhi apni 'badi maa'(dadi)ki yaad aa gayi..
alpayu me hi ma ke dehavsan ke baad wahi to thi meri maa..

Rahul Singh said...

मां की महसूसियत रिश्‍ते से अधिक भाव में ही होती है.

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

मुकेश जी,
बेहद भाव पूर्ण,मर्म स्पर्शी कविता आपने लिखी है !
कविता मैं माँ की ममता की गहराई सी गहरी अभिव्यक्ति है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@"पुरवैया" धन्यवाद्!
@पूनम जी आपके कमेंट्स से अभिभूत हो गया मैं ....धन्यवाद्!
@स्मार्ट इंडियन, अनुपमा शुक्रिया...:)
@निर्मला दी! आप जैसे लोगो के कारण दिल के जज्बात उबल पड़ते हैं, धन्यवाद्!!
@राजीव कुमार कुलश्रेष्ठ धन्यवाद्!

geet said...

bahut khub kavita hai. esko pad kar apne dadi yaad aa jate hai. ma par tu bahut baar pada but dadi par pahle baar hi pada , bahut achche hai ye kavita

ZEAL said...

सुन्दर रचना !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@Patali-The-Village Thanx....
@सुरेन्द्र सिंह " झंझट " agar aisa hai to aap ne sach me feel kiya hoga....dadi kya hoti hai..:)
@Rahul sir aapki baat sir aankho par....
@Gyan jee dhanywad
@Geeta bas kya kahun, apni soch ko darshaya hai maine...
@Zeal thanx...........

DR.ASHOK KUMAR said...

बहुत ही संवेदनशील और हृदयस्पर्शी भाव सँजोय हैँ आपने।
प्रणाम आपके जज्बातोँ को मुकेश जी ।
बहुत ही प्यारा लिखते है आप ।

मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत हैँ ।

" ना जाते थे किसी दर पे हम..........कविता "

Khushdeep Sehgal said...

मां तो है मां,
मां जैसा दुनिया में है कोई कहां...

मुकेश यार, बड़े दिनों से तुम्हारे ब्लॉग पर आने की इच्छा थी...लेकिन मेरा वक्त ही सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है...चाह कर भी कई पसंदीदा ब्लॉग्स पर कमेंट्स नहीं कर पाता...लेकिन जो मेरे अज़ीज़ है, वो हमेशा मेरे दिल
के करीब रहते हैं...

जय हिंद...

Khushdeep Sehgal said...
This comment has been removed by the author.
Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत अच्छी प्रस्तुति ! आपकी लेखनी को नमन !

Arun sathi said...

सुन्दर

भावपुर्ण

Dorothy said...

क्रिसमस की शांति उल्लास और मेलप्रेम के
आशीषमय उजास से
आलोकित हो जीवन की हर दिशा
क्रिसमस के आनंद से सुवासित हो
जीवन का हर पथ.

आपको सपरिवार क्रिसमस की ढेरों शुभ कामनाएं

सादर
डोरोथी

मुकेश कुमार सिन्हा said...

डॉ. अशोक धन्यवाद् ...आपके कमेंट्स के लिए, जरुर आऊंगा आपके ब्लॉग पे...:)
खुशदीप भैया, बहुत दिन बाद हइ सही...ए, अच्छा लगा...:)
बबली, अरुण जी, धन्यवाद्.
डोरोथी आपको भी बड़ा दिन की शुभकामनाएं...

Akshitaa (Pakhi) said...

माँ तो सबसे प्यारी होती है...
बहुत सुन्दर और प्यारी कविता..बधाई.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Thanks Pakhi.....:)

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

मन को छू गये भाव। हार्दिक शुभकामनाऍं।

---------
अंधविश्‍वासी तथा मूर्ख में फर्क।
मासिक धर्म : एक कुदरती प्रक्रिया।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Zakir bhai.........bahut bahut thanx...:)

Rohit Singh said...

वाह क्या बात है। पहले पत्नी जी को याद किया फिर मैया को। चलिए कोई बात नहीं। दोनो ही जीवन के दो सिरे हैं। इन्हीं के बीच होकर बनता है इंसान। देता है संसार को कुछ भी अच्छा या बुरा। पर बेहतर है जब कोई साथ देने वाला हो। दिल का रिश्ता हमेशा मजबूत होता है। खैर अभी हम अकेले मस्त हैं. ये तो आप जान ही गए होंगे। सो पत्नी जी का पता नहीं कितना असर होता है। पर हां स्वीट हार्टों का असर काफी रहा है अपने जीवन में। तो फिलहाल उन्हीं लोगो पर कविता मार देते हैं कभी कभी। पर कई दिनों से तो जाने क्या क्या मुद्दे आकर टकराने लगे हैं. मालूम नहीं। बाबा भोले भंडारी जाने कैसे कैसे मस्त अलंग कर देते हैं। जानता ही नहीं।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

वाह रोहित जी क्या बात कही आपने...!! हाँ पहले पत्नी को याद किया क्योंकि हमारी विवाह वर्षगांठ थी...फिर मैया को ....यार मैया मेरी दादी है.........जो मेरी माँ से बढ़ कर थी...:). वैसे दिन दूर नहीं जब आप भी याद करोगे...:D
धन्यवाद आपको....:)

डॉ. जेन्नी शबनम said...

mukesh ji,
mujhe meri dadi ki yaad aa gai, bachpan se lekar pichhle do saal pahle tak dadi ka saath raha. kitni yaadein kitni baaten, kuchh nahin bhool pata mann. bahut achha laga padhkar, apni yaadon mein kho gai. bahut shubhkaamnaayen.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

haan jenne di.....yahi to kuchh yaden thi jisko maine sabd roop de diya:)

Asha Lata Saxena said...

बहुत बहुत अच्छा लिखा है मैया से प्यारा कोइ नहीं होता |बधाई |नव वर्ष शुभ और मंगलमय हो
आशा

मुकेश कुमार सिन्हा said...

aasha di!! aapke comment ne maiya ko jeevant kar diya:)
dhanyawad!!

Anju (Anu) Chaudhary said...

maa..........tho maa hai
bhale hi tan se sundar naa ho par uska man hamesha sunder hi hota hai

anilanjana said...

kya kahun...siway iske...मेरी ख्वाहिश है की में फिर से फ़रिश्ता हो जाउं
माँ से इस तरह लिपटूं बच्चा हो जाउं .........hamesha khush raho..sukhi raho..bus itna yaad rakhna....zindgi ke andhere mein...maiya..ki yaad bhar se..ujala ho jata hai... ...शहद में पगी बात की निम्बौली mein..
ममता की खनकती चूड़ी की छुवन ...aur ise bada sach.aur rahat....shayad aur kuch nahi

nayee dunia said...

किस्मत वालों को ही दादी का प्यार मिलता है , मैंने तो दादी को देखा ही नहीं ,मेरे पापा ने बचपन में ही माँ को खो दिया था ......दादी को समर्पित बहुत सुन्दर रचना

अज़ीज़ जौनपुरी said...

हृदयस्पर्शी, मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

इस्मत ज़ैदी said...


थी तो वो एक औरत ही
दिखने में साधारण
लोगों को लगती हो शायद
किसी हद तक बदसूरत
लेकिन मेरे लिए, मेरे लिए....
सबसे अधिक खुबसूरत
क्योंकि थी वो ममता की मूरत!!!
मेरी "मैया"
मैया!!!!!!!!!!!!!

हृदयस्पर्शी रचना !!

Tamasha-E-Zindagi said...

निशब्द हूँ और अश्रुपूरित भी |

दिगम्बर नासवा said...

हृदय्स्पर्शीय ...

kavita verma said...

maa aur bachpan ki bhavpoorn abhivyakti...

सदा said...

अविस्‍मरणीय पलों को समेटे
बचपन और दादी माँ का प्‍यार

Unknown said...

risto ki marmsparshi prastuti

Unknown said...

आज हमे भी बस अपने पापा याद आ रहे हैं,आपकी ये कविता पढ़कर...वो होते तो आज मुझे समेट लेते....बेहतरीन कविता