जिंदगी की राहें

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Thursday, August 5, 2010

सड़क!!!







काले कोलतार व
रोड़े पत्थर के मिश्रण से बनी सड़क
पता नहीं कहाँ से आयी
और कहाँ तक गयी
जगती आँखों से दिखे सपने की तरह
इसका भी ताना - बाना
ओर - छोर का कुछ पता नहीं

कभी सुखद और हसीन सपने की तरह
मिलती है ऐसी सड़क
जिससे पूरी यात्रा
चंद लम्हों में जाती है कट!
वहीँ! कुछ दु: स्वप्न की तरह
दिख जाती है सड़कें
उबड़-खाबड़! दुश्वारियां विकट!!
पता नहीं कब लगी आँख
और फिर गिर पड़े धराम!
या फिर इन्ही सड़कों पर
हो जाता है काम - तमाम!!

इस तरह कभी आसान
तो कभी मुश्किल दिखती सड़क
और उस पर मिलते हैं
उम्र जैसे मिलते हैं
"मील के पत्थर"
जो बीतते ही हो जाते हैं खामोश
लेकिन बोलती उनकी ख़ामोशी
और इस  ख़ामोशी में भी
कट जाता है पथिक का सफ़र
है न जिंदगी के हर पहलु
को उजागर करती सड़क!!!

69 comments:

vandana gupta said...

सडक के माध्यम से ज़िन्दगी की दास्तान सुना दी……………बेहद उम्दा।

ρяєєтii said...

जिंदगी के हर पहलु को उजागर करती सड़क ...

Kya baat hai, kya soch hai...din per din aapki lekhni to gazab kar rahi hai...!
keep it up..:-P

अरुण चन्द्र रॉय said...

"इस तरह कभी आसान
तो कभी मुश्किल दिखती सड़क
और उस पर मिलते हैं
उम्र जैसे मिलते हैं
"मील के पत्थर""...
bahut sunder kavita.. jindgi ko manjil deti

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत रचना....

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

एक दूर से आती है
पास आके पलटती है
एक राह अकेली सी
रुकती है न चलती है
ये सोच के बैठा हूँ
एक राह तो वो होगी
तुम तक जो पहुँचती हो
इस मोड़ से जाती है!
ई त हमरे गुरू जी का बात है ..लेकिन आप जो बताए हैं सड़क के बारे में बहुत सच्चा बात है..

mridula pradhan said...

bahot achchi lagi.

Apanatva said...

ha jee bilkul sahee ............. ek galat sadak lee aur aap manzil se bhatke............fir kismat ko kosana shuru.......
bahut hee sunder prastuti.....

Anonymous said...

bahut hi khubsurat rachna......
sach me sadak aur zindagi kaafi kuch ek hi jaise to hain....

शशि "सागर" said...

bade hee sundar dhang se aapne halaton ko bayaan kiya hai!!!

putul said...

मील के पत्थर भी बोलते हैं....सडक की सीख अच्छी है ...पर ये सडक अपने ऊपर से गुजरने वाले हर कदम की आहट पहचानती है...गुजरते हुए पथिक का इन्तेजार भी करती है...इसलिए मुकेश ...अब तुम्हारी ऐसी अच्छी रचना का इन्तेजार ये सडक भी करेगी ....

के सी said...

सडक के माध्यम से ज़िन्दगी, बहुत उम्दा।

Udan Tashtari said...

बहुत गहन और उम्दा रचना!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Tahe-dil se dhanyawad........vandana jee, arun jee, manoj jee, sangeeta di, mridula jee..........:)

Preeti kyon taang khinchai kar rahi ho.........:D

bihari babu! aapki baat sir aankho par! waise aapke guru jee ki baat jayda sateek dikh rahi hai......:)

Mahendra Arya's Hindi Poetry said...

Ek purana geet yaad aa gaya -

'Main hoon aadmi sadak ka.....' achha prayog Mukesh bhai.

संजय भास्‍कर said...

bahut hi khubsurat rachna......

संजय भास्‍कर said...

तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

Satish Saxena said...

जीवन की हकीकत बताती है यह रचना ...सुंदर और सत्य लगी ! शुभकामनायें आपको !

kavi kulwant said...

bahut khoob

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

सड़क का डिस्क्रिप्शन .... रियल लाइफ से जोड़ कर बहुत ... लाइव कविता लिखी है आपने...

निर्झर'नीर said...

मुकेश जी यक़ीनन आपकी कविता तारीफ़ की हक़दार है क्या जिंदगी को सड़क से जोड़कर पेश किया है आपने सुन्दर बहुत सुन्दर

Anonymous said...

आसान तो कभी मुश्किल दिखती सड़क
और उस पर मिलते हैं
उम्र जैसे "मील के पत्थर"

मार्मिक चित्रण - बहुत सुंदर रचना

shikha varshney said...

सड़क को जिंदगी से बहुत खूबसूरती और सरलता से जोड़ा है आपने ..
प्रभावशाली अभिव्यक्ति.

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया रचना है।....बधाई।

Anonymous said...

बहुत खूब! कोलतार की लम्बी,काली सड़क जीवन का प्रतीक सड़क,मंजिल तक पहुचने लगातार बढते रहने का संदेश देती सड़क और...माइल स्टोन.
पर...
निगल गई पगडंडियों को ये तुम्हारी सड़क
जिन पर बन जाते थे छोटे,बड़े पैरों के निशान
और बतलाते थी कोई गुजर है अभी यहाँ से
हा हा हा
तुम्हारी सड़क,मेरी कच्ची धुल भरी पगडंडियाँ.
वर्त्तमान और अतीत के प्रतीक.
ये हैं, वो थी.
अच्छा लगा भाई पढ़ कर.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Mridula jee, "Apnatva", Sekhar jee, Shasi jee...............dhanyawad!!

सुनील गज्जाणी said...

mukesh jee
namaskar !
sunder abhivyakti hai ; mukesh jee main apni ek pankti aap se sher karna chahuga
'' सड़क हर रोज जिंदा होती है और हर रोज मरती भी है किसो मंजिल में पंहुचा और किसी को मझधार में छोड़ ''
saadar

डॉ. जेन्नी शबनम said...

mukesh ji,
bahut gahre ehsaas aur hum sab ka sach likha hai aapne...

और इस ख़ामोशी में भी
कट जाता है पथिक का सफ़र
है न जिंदगी के हर पहलु
को उजागर करती सड़क!!!

yun grandtrunk road yaad aa gaya, jiska ore chhor pata hai par na sapne itne lambe hote na itne tikaau...koltaar aur kankrit se sapne nahin bante na. bahut sundar abhivyakti badhai sweekaaren.

anilanjana said...

एक कवि की धीमी परन्तु निरंतर प्रगति देख के बहुत खुश हूँ..जीवन चलने का नाम..तो उसके साथ जोड़ने के लिए सड़क से ज्यादा अच्छा अवलंब कुछ और हो ही नहीं सकता..चंद लम्हों में जाती है कट जाती है ये जिंदगी.....जो बीतते ही हो जाते हैं खामोश
लेकिन बोलती उनकी ख़ामोशी...बहुत खूब..माँ सरस्वती तुम पे कृपा बनाये रक्खें

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Putul!! Apka sadha hua comment hame andar tak khushi de gaya.........:)

Kishore jee, Sameer sir dhanyawad!!

anshumala said...

achchi kavita

gyaneshwaari singh said...

bahut khub socha..acha laga

Anju (Anu) Chaudhary said...

उबड़-खाबड़! दुश्वारियां विकट!!
पता नहीं कब लगी आँख
और फिर गिर पड़े धराम!
या फिर इन्ही सड़कों पर
हो जाता है काम - तमाम!!

बहुत सही कहा है आपने.....ये दर्द तो वही जान सकता है जिसने इन सडको पे अपना प्रिये खोया हो ...........अच्छी कविता के लिए बधाई

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Mahendra jee, Sanjay jee, Satish sir, kavi kulwant jee, mahfooz bhai.......dhanyawad apna samay dene ke liye..........:)

राजकुमार सोनी said...

सच तो यह है दोस्त कि हम लोग सोच लेते हैं सड़क कहीं तो जाकर खत्म होगी लेकिन सड़क कभी खत्म नहीं होती
जिन्दगी भी कुछ इसी तरह की है.
अच्छी रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Nirjhar neer, Rakesh jee, Sikha..........tahe dil se shukriya......blog pe mere ko protsahit karne ke liye...:)

रवि कुमार, रावतभाटा said...

बेहतर...

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

सिन्हा साब,
क्या बात है! सड़क.........
इस तरह कभी आसान
तो कभी मुश्किल दिखती सड़क
और उस पर मिलते हैं
उम्र जैसे मिलते हैं
मील के पत्थर........
बेहतरीन!
------------------------
सड़क, वायु, रेल, पानी, या सिंपल इन्टरनेट के माध्यम से आईये:
फिल्लौर फ़िल्म फेस्टिवल!!!!!

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत सार्थक रचना...........जीवन रहस्य उजागर करती हुई............

HBMedia said...

bahut shaandar abhivaykti...mukeshji!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

paramjeet jee dhanyawad

Indu di!! aapki baat sir aankho par!!

aapke comment ka jabab nahi.......:_)

Urmi said...

वाह बहुत सुन्दर कविता लिखा है आपने! सड़क के माध्यम से आपने ज़िन्दगी को बखूबी प्रस्तुत किया है!

Rohit Singh said...

एक सड़क औऱ जिंदगी के सारे रंग ....सब कुछ बयान कर दिया है..उसपर चित्र.....सही में भला लगता है सच लगता है इसलिए दिल के करीब लगता है...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Sunil Gajjani sir, sher ke liye dhanyawad.........:)

Jenny Jee, protsahan ke liye dhanyawad!

रंजू भाटिया said...

ज़िन्दगी की सच्चाई बताती सुन्दर रचना .बहुत पसंद आई शुक्रिया

Alpana Verma said...

सड़क के ज़रिये से आप ने जीवन के उतार चढ़ाव के बारे में इस कविता में बहुत सुन्दर तरीके से बताया है.सच ही लिखा है कि
जिंदगी के हर पहलू को उजागर करती है सड़क!

संजय भास्‍कर said...

ज़िन्दगी की सच्चाई बताती सुन्दर रचना
mUKESH JI..
DOBARA PADHNE SE ROK NAHI SKA..
ISILIYE DOBARA CHALA AAYA.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Anjana Di! hame khushi hai, aap jaise chand logo ke protsahan se mujhe aisa laga ki main kar sakta hoon, waise abhi bhi mujhe pata hai, mere pass shabdo ki kami hoti hai..........:)

geet said...

Hamesha ki tarah es baar bhi aapke kavita kuch alag hai
Esme jivaan ki sachae dikhte hai or ye haqueekat batate hai.
इस तरह कभी आसान
तो कभी मुश्किल दिखती सड़क
yahi sach hai es sadak ka. bahut achche rachna hai hamesh yu hi likhte rahe.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

anshumala, sakhi jee, anju jee bahut bahut dhanyawad...........

Urmi said...

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स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Babli jee, swantrata diwas ki subhkamnayen aapko bhi......:)

Rajkumar soni jee, Aashishi, Suman meet aap sabko dhanywad.......

रश्मि प्रभा... said...

इस तरह कभी आसान
तो कभी मुश्किल दिखती सड़क
और उस पर मिलते हैं
उम्र जैसे मिलते हैं
"मील के पत्थर"
जो बीतते ही हो जाते हैं खामोश
लेकिन बोलती उनकी ख़ामोशी
और इस ख़ामोशी में भी
कट जाता है पथिक का सफ़र
है न जिंदगी के हर पहलु
को उजागर करती सड़क!!!
bahut badhiyaa varnan kiya hai

मुकेश कुमार सिन्हा said...

hamare blog pe aane ke liye tahe dil se dhanyawad PK Singh jee, Babli aur "bole to bindass".........:)

ज्योति सिंह said...

बेहद सुन्दर ,आज़ादी के इस शुभ अवसर पर आपको बधाई .वन्दे मातरम .

मुकेश कुमार सिन्हा said...

ranjana jee dhanyawad!!

alpana jee, bas koshish ki hai, shabdo ko samtne ki.....:)

Akanksha Yadav said...

बेहद उम्दा कविता।
______________
'शब्द-शिखर' पर प्रस्तुति सबसे बड़ा दान है देहदान, नेत्रदान

HUMMING WORDS PUBLISHERS said...

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मुकेश कुमार सिन्हा said...

Sanjay jee, agar aapko lagta hai, mere post dubara padhne layak hain, to is se behtar mere liye kya baat ho sakti hai........thanx!!


thanx geeta for ur wonderful words...

हरकीरत ' हीर' said...

रोड़े पत्थर के मिश्रण से बनी सड़क
पता नहीं कहाँ से आयी
और कहाँ तक गयी
जगती आँखों से दिखे सपने की तरह
इसका भी ताना - बाना
ओर - छोर का कुछ पता नहीं

मुकेश जी तस्वीर वाली सड़क तो स्वर्ग जैसी है .....कोई रोड़े पत्थरों वाली लगाते ....

दीपक 'मशाल' said...

सड़क पर मैंने कम ही कवितायें पढीं हैं.. और इस तरह की शानदार कविता तो लगभग ना के बराबर ही.. शुक्रिया मुकेश जी..

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Geeta, Rashmi di, Jyoti jee...........dhanyawad!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सड़क ने कवियों को लिखने के लिए हमेशा प्रेरित किया. वाकई सड़क के माध्यम से जिंदगी के हर पल को उजागर किया जा सकता है. आपने भी अपनी कविता में सड़क में गड़े मील के पत्थरों को उम्र से अच्छी तुलना की है..

..उम्र जैसे मिलते हैं "मील के पत्थर"जो बीतते ही हो जाते हैं खामोश..
..बधाई.

Urmi said...

आपकी टिपण्णी मिलने पर बहुत अच्छा लगता है! इस हौसला अफ़जाही के लिए आपका शुक्रिया! आपके नए पोस्ट का इंतज़ार रहेगा!

Neelam said...

"इस तरह कभी आसान
तो कभी मुश्किल दिखती सड़क
और उस पर मिलते हैं
उम्र जैसे मिलते हैं
"मील के पत्थर""...
bahut sunder kavita.. jindgi ko manjil deti.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Rashmi di, jyoti jee, ankanksha jee ko dhanaywad.......:)

Harkeerat jee!! sahi kaha apne, dhyan nahi raha..........picture choose karne me..:) dhanyawad......batane ke liye...

Sanjay Grover said...

Mukesh ke gaaye apne priye geet ki priye paNkti yaad aa gayi..
Nikal pade haiN khuli sadak par..apna seena taane...Manzil kahaN, kahaN rukna, ye....

रंजना said...

वाह....क्या बात कही....एकदम सटीक साम्यता दिखाई है आपने...

बहुत ही सुन्दर रचना.

bilaspur property market said...

विकास की शुरुवात

मीनाक्षी said...

सड़क मुझे धरती की माँग जैसी लगती है कभी सीधी तो कभी टेड़ी..ऊबड़ खाबड़ पगडंडियाँ उसकी उलझी लटें...ज़िन्दगी का सीधापन तो कभी उलझनें उसे खूबसूरत बना देती हैं और मन को लुभाती है..