जिंदगी की राहें

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Monday, July 26, 2010

तो तुम याद आती हो....


मेरे अत्यंत प्रिय और घनिष्ट मित्र "गणेश" के एक पुरानी डायरी के पन्नो से उतारी हुई..........

रात के लम्बे सफ़र में
जब में करवटें बदलता हूँ
तो तुम याद आती हो....

सुबह जब टहलने निकलता हूँ
और ठंडी हवा का कोमल स्पर्श होता है
तो तुम याद आती हो....

कॉलेज जाते समय
जब अकेला राहें नापता हूँ
तो तुम याद आती हो.......

क्लास के उस खाली समय में
जब खाली कुर्सियों के कतारों के बीच
अकेला बैठा होता हूँ
तो तुम याद आती हो....

हिंदी के पाठ्यक्रम में
जब विषय, प्रेम के गलियारे में रहता है
तो तुम याद आती हो....

साइकल से घर लौटते समय
जब उन राहों से गुजरता हूँ
जहाँ से तुम गुजरी थी
तो तुम याद आती हो....

हरित बागों में जब बैठा होता हूँ
और कोयल की कुक सुनाई पड़ती है
तो तुम याद आती हो....

और अंततः जब पुरे दिन की
भाग दौर से थक जाता हूँ
तो तुम याद आती हो....


70 comments:

रेखा श्रीवास्तव said...

koi to hota hai jise ham har kshan yaad kar sakte hain aur yahi vah shakti hoti hai jo sambal bhi hoti hai.

geet said...

hi
bahut achche kavita hai aap etna achcha likhte hai hamesh yu hi likhte raho

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dhanywad Rekha di aur Geet! itna twarit comment dene ke liye....:)

vandana gupta said...

बेहद खूबसूरत भावों से लबरेज़ कविता।

shikha varshney said...

ये याद कमबख्त चीज़ ही ऐसी है :) बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.

Shekhar Kumawat said...

bahut khub

shandar

Asha Joglekar said...

Sunder !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरती से लिखी याद

अजय कुमार said...

भावपूर्ण रचना ।

आपका अख्तर खान अकेला said...

jnaab chpn kaa pyaar lgtaa he jos skul kolej or fir bistr tk kaa rhaa he to yaad to aayegi hi shi khubsurt andaaz men kaalpnik bhaavnaayen pesh krne ke hunr men aap maahir hen bdhaayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

कहाँ रहे भाई एतना दिन तक... हमको त याद आने लगा था अऊर हम एगो पोस्ट भी लिख दिए... खैर चलिए आ गए हैं त एतना पुराना याद लेकर आए हैं कि का कहें... अब त ई सब बात सुनने में अच्छा लगता है, बाकी याद से उतर गया है... बहुत कोमल भावना है अऊर मन को छूता भी है, गुदगुदाता भी है...
कविता में “कोयल की कुक” को “कोयल की कूक” अऊर “भाग दौर” को “भाग दौड़” कर लीजिए..

kshama said...

Zindgee kee rahon me aisa koyi mil jaye to phir kar maqam hasil hote hain..

ज्योति सिंह said...

बहुत सुन्दर
और अंततः जब पुरे दिन की
भाग दौर से थक जाता हूँ
तो तुम याद आती हो...
दिन ढले यू तेरी आवाज़ बुलाती है हमे ,ये जमीन चान्द से बेहतर नज़र आती है हमे .....

ज्योति सिंह said...

डायरी के पन्नो से उतारी हुई..........
रात के लम्बे सफ़र में
जब में करवटें बदलता हूँ
तो तुम याद आती हो....
बहुत खूब

Alpana Verma said...

हर पल..हर मौसम ..हर अहसास ,हर जगह किसी की याद से जुड़ा होता है ऐसी खूबसूरत कविताएँ बनती हैं.
आप के मित्र भी बहुत खूब कविता लिखते हैं.बधाई.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

tahe dil se dhanyawad
vandanajee, Shikha, Sekhar jee, Abha Mam, and Sangeeta di!!

putul said...

तुझे भूल जाने की कोशिशें कभी कामयाब न हो सकीं
तेरी याद शाख -ए - गुलाब है ...
जो हवा चली लचक गई....
यादें ऐसी ही होती हैं...हर पल साथ चलती हैं....एक बार फिर याद ..याद आ गई
अच्छी कविता है..

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dhanyawad Ajay jee, akhtar jee......:)

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बेहद खूबसूरत भावों से लबरेज़ कविता।

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बेहद खूबसूरत भावों से लबरेज़ कविता।

Urmi said...

आपने बहुत सुन्दर कविता लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बहुत बढ़िया लगा!

Neelam said...

yaaden bhi bde kaam ki hoti hain..jaab koi nahi hota tab inhi ke sahare jeevan kat =ta hai.
bahut sunder abhivyakti Mukesh jee. badhai.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Bihari babu, bas apne Bihar gaye the, isliye aap sabo se dur the.........:)

waise aapne jo kaha, un sansodhan ko kar dunga........

dhanyawad!!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

tahe dil se dhanyawad.........Kshama, jyoti jee!

dhanyawad alpana jee!!

Apanatva said...

ye umr hee aisee hotee hai.........
sunder abhivykti.

Apanatva said...

are nahee aisa to ho hee nahee sakta bhai.ha kabhee kabhar der ho jatee hai........iseke liye kshamaprarthee hoo.

स्वाति said...

KHOOBSURAT KAVITA...
PURANI DIARY ME SANJOI ANMOL YADO KO VYAKT KAR RAHI HAI YAH KAVITA...

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi pyaari rachna....

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Putul jee, aapne badi achchhi lines likhi hain.........dhanyawad!!

Vandana Shrivastava said...

bahut achchi rachna...! :)

alka mishra said...

मैंने आपकी प्रोफाइल पढी ,जानना चाहती हूँ कि क्या हम ब्लॉगर आपकी छोटी सी दुनिया के अंग नहीं?
गणेश जी की कविता हमें भी यादों के जंगल में लिए जाती है

Rohit Singh said...

मित्रवर की रचना बेहतर है। कॉलेज के छात्र की छाप स्पष्ट है इसमें।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Mahfooz bhai.......achcha laga, aapko dekh kar......:)

dhanyawad Babli! Neelam!!

वाणी गीत said...

कैसे कहूं कि तुम किस किस तरह से याद आती हो ...
अच्छी कविता ...!

डॉ. जेन्नी शबनम said...

bahut komal rachna, ganesh ji ko badhai aur aapka dhanyawaad, hum sabhi tak ise pahuchaane keliye.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

thanx to Apnatwa, Swati jee

Rashmi Di ..........ko bhi dhanyawad!!

Prem Prakash said...

Good Compilation

but BTW bhabhi jee knows this thing "JO YAAD AATI HAI"

संजय भास्‍कर said...

खूबसूरती से लिखी याद

संजय भास्‍कर said...

"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...

नीरज गोस्वामी said...

मुकेश जी बहुत मधुर रचना है आपकी...याद करने के कितने बहाने हैं...वाह...मेरा एक शेर इसी विषय पर है आपको सुनाता हूँ:-

भूलने की इक वजह भी न मिली
याद के लाखों बहाने हो गए

नीरज

राजेश उत्‍साही said...

मुकेश भाई गणेश जी की डायरी में और भी कविताएं होंगी। उन्‍हें भी ले आइए। बहुत सरल शब्‍दों में उन्‍होंने अपनी बात कही है। कविता के लिए उनको और प्रस्‍तुति के लिए आपको बधाई।
यह सही है कि भाव तो समझ आ ही जाते हैं पर भाषा में गलतियां खटकती हैं। अगर उन पर ध्‍यान दें तो बेहतर होगा। मैं यहां अपनी तरफ से आपको इसमें मदद का प्रस्‍ताव रखता हूं। आप चाहें तो पोस्‍ट करने से पहले अपनी कविता या रचना मुझे मेल कर दें। ऐसे छोटे-मोटे संशोधन करके मैं आपको वापस भेज दूंगा।
इस कविता में पन्‍नों,
कुर्सियों की कतारों, गुजरी थीं,कोयल की कूक,पूरे दिन,भाग दौड़,होना चाहिए।

Udan Tashtari said...

यादों का बदस्तूर सिलसिला मुआ परेशान करके रख देता है :)

बढ़िया.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

tahe dil se sukhriya........Vandana jee, alka jee & "bole to bindass".....:)

Anonymous said...

bahut hi behtareen....
badhai.....

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Vani jee aur Jenny jee ko bahut bahut sukhriya...........:)........mere blog pe samay dene ke liye!

Shikha Deepak said...

yaadon ka bahut sunder chitran...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Samvit (prem prakash) jee,iss blog ke through pata chal hi gaya hoga.....waise ye post mere mitra ki hai........:)

sanjay jee, sab chalta hai, samay bhi to hona chahiye, ab dekhiye na main bhi to blog ki duniya se 15 days bahar tha.......

neeraj sir, sundar sa sher sunane ke liye sadhuwad......:)

hem pandey said...

प्रेम में डूबी याद !

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

याद ना जाए.... बीते दिनों की!
सिन्हा जी, हम भी बहुत दुखी हैं, ये कमबख्त यादें पीछा ही नहीं छोड़तीं!

ज्योति सिंह said...

aapke mitr ki rachna hai is liye aapko is avsar par badhai .

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Rajesh Bhaiya aapke comment sir aankho par......:)
aur aapke advises ka dhyan rakhunga, itna biswas dilata hoon....:)

"Udan-tastari", Sekhar, Sikha-Deepak jee dhanyawad.......!

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut sundar aur bahut hi khoob surat kavita janaab har pal har ghadi aapko bhi kisi ki yaad aati hai to jaroor likhiyega.
poonam

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Hem Pandey, Ashish jee, Jyoti jee, bahut bahut dhanyawad!! aap sabko!!

रचना दीक्षित said...

और अंततः जब पुरे दिन की
भाग दौर से थक जाता हूँ
तो तुम याद आती हो....

बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.सुन्दर रचना

Akanksha Yadav said...

खुबसूरत अभिव्यक्ति....सुन्दर भाव लिए रचना ...बधाई.

रंजना said...

किशोर मन की सरल सहज भावुक भावाभिव्यक्ति...

देवेन्द्र पाण्डेय said...

भावुक अभिव्यक्ति.
..दोस्त की डायरी पढ़ता हूँ तो तुम याद आती हो !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

भावुक अभिव्यक्ति.
..दोस्त की डायरी पढ़ता हूँ तो तुम याद आती हो !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Poonam jee!! dhanyawad!! koshish karunga.......apni yaad ko batane ka!!

Rachna jee, Akanksha jee, Ranjana jee!! tahe-dil se dhanyawad!!

www.dakbabu.blogspot.com said...

बहुत खूबसूरती से लिखा..बधाई.
कभी 'डाकिया डाक लाया' पर भी आयें...

www.dakbabu.blogspot.com said...

Mukesh ji,

Thanks for visit...
अपने प्रधान डाकघर में फिलेटली ब्यूरो से संपर्क कीजिये. वहां इस तरह की डाक-टिकटें प्राप्त हो सकेंगीं. आप चाहें तो न्यूनतम 200/- से फिलेटलिक डिपाजिट अकौंट भी खोल सकते हैं और हर माह आपके पते पर ये नई डाक-टिकटें इत्यादि आती रहेंगीं, कोई झंझट नहीं.

स्वप्न मञ्जूषा said...

ख़ूबसूरत अहसास से लबरेज़ है ये कविता...
सादगी लिए हुए...कितना कुछ कह गयी है ये..
सच में ...यादें याद आतीं हैं ..किसी दिलो-जानम के चले जाने के बाद...!
शुक्रिया...!

हरकीरत ' हीर' said...

हिंदी के पाठ्यक्रम में
जब विषय, प्रेम के गलियारे में रहता है
तो तुम याद आती हो....

ओये होए मुकेश जी ये dost ki थी ya आपकी .......?
wo jab याद aaye bohot याद aaye .......


मेरा शहर मुझे अपने जवानी की याद दिलाता है, मुझे अपने कॉलेज की याद दिलाता है और कभी कभी मंदिर परिसर तथा शिव गंगा का तट याद दिलाता है.......तो कभी दोस्तों के संग की गयी मस्तियाँ याद दिलाता है.....

आज आपकी प्रोफाइल पढ़ रही थी तो मुज्घे भी अपने स्कूली दिन याद आ गए .....ब्रहमपुत्र के बिलकुल किनारे था हमारा स्कूल...और हम अक्सर टिफिन टाइम में ब्रहमपुत्र के किनारे कभी किसी नाव में बैठे होते तो कभी बांध के लिए लगाये पत्थरों पर ... बड़ा ही सुहावना दृश्य होता .....

Akshitaa (Pakhi) said...

बहुत अच्छा लिखा आपने...
________________________
'पाखी की दुनिया' में 'लाल-लाल तुम बन जाओगे...'

मुकेश कुमार सिन्हा said...

dhanyawad "Baichain Atma"

Dhanyawad Yadav jee, blog pe aane ke liye aur Phillately ke baare me jankaaree ke liye bhi......:)

Anand said...

mujhe bhi apne school ke din yaad aa gaye...bahut hi sadgi bhari aur kaumal yaadon liye hue hai ye kavita...hardam taza rahne vali hai ye kavita...

www.kavyalok.com

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Ada aapki baaten achchhi lagi......:)

Pakhi thanx......:)

दिगम्बर नासवा said...

और अंततः जब पुरे दिन की
भाग दौर से थक जाता हूँ
तो तुम याद आती हो....


सच में देखो तो तुम जाती ही नही हो हमेशा दिल में ही रहती हो .... तो याद तो आनी ही हो .... बहुत लाजवाब रचना ...

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Harkeerat jee, kaise aap logo ke andar ki baat jaan jaati hain......:)

waise aapke comments mere liye sach me bahut mayne rakhte hain.........dhanyawad!!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Thanx to Pakhi, Anand and Digamber jee.........very very thanx