बचपन में सात रंगो को
हम सतरंगा या इन्द्रधनुष पुकारा करते थे ..
पर शिक्षक हमें ...इसे बेनिआह्पीनाला बताते थे
{बैगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल}
किन्तु आज जाना,
जब इन सभी रंगो को मिलाते हैं
तो एक रंग को उद्भव होता है ....
वो एक रंग ही इन सातो को मिश्रण है ...
यही वह रंग है जो सबको अपने में समेटे है
यही वह रंग है जो शांति का रंग है
जो सद्भाव का रंग है
जो उजाला है, जो सफ़ेद है, जो प्रकाश है ....
अर्थात , चाहे हम हो हिन्दू ,
सिख मुस्लिम हो या इसाई .....
हमें बन के रहना है भाई भाई ...
10 comments:
bahut hi sundar,gahre ehsaason se purn rangon ka chitran hai,kalam tumhaari taakat bane,duniya uski jai bole...........
क्या खूब लिखते हो ...
बहुत सुन्दर लिखते हो ...
फिर से लिखो ...
लिखते रहो ...
अच्छा लगता है ....
dhanyawad!!
rango ka rang, safed rang!!
bahut khoob kaha hai.......surya subah se shaam tak bus ye hi rang batne tu aata hai.......kahi peele phool,hare patte, neela pani bhap banker fir badal mein kho jata hai...aur kitne roop hai rahg ke ...her rang ke ...sab milker hi roshan hota hai jaha ......kab seekhnge ....hum insaan ......ki ek rang se roshni nahi banti
बहुत सुन्दर भाव .
कल 22/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
sach mein bhut achi rachna hai aapki yeh ....insaaniyat ka rang sirf ek hi hota hai n vo sab rango ko milakar banta hai ....:)
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