जिंदगी की राहें

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Friday, January 29, 2021

प्रेम

 


प्रेम तो बस
डूबते हुए भी तैरते रहने का बहाना मात्र है
आखिर मर जाना कहाँ कोई पसन्द करता
इन दिनों...
....है न !

क्षणिका सा हो गया है, क्षणिक प्रेम
जब भी अच्छे से बात करती हो, हो जाता है
और फिर,
यूं डूबें कि तैर न पाएं
प्रेम में तेरे तर ही जाएं...

काश
ऐसी स्थिति माने
आगोश का सुख
फिर भरी आंखों को कौन निहारे
कभी सहमति हो शब्द भर की
और न चाहते हुए भी मर ही जाएं

भरी आंखों का वाचालपन शब्दों को मौन तो नहीं करता
वैसे भी एकतरफा आकर्षण ऐसे है
जैसे
भोर के साढ़े चार बजे
मिलेगी
मृत्यु दंड, पक्का पक्का !

सुना ही होगा न,
मुस्कराहट
जिंदगी की लड़ाई का सबसे कारगर हथियार है ।

~मुकेश~


3 comments:

Onkar said...

बहुत सुन्दर

Sheelvrat Mishra said...

भरी आँखों का वाचालपन शब्दों को मौन तो नहीं करता...वाह...सुन्दर लेखन

मेरी रचनायें पढ़ें- कठपुतली

Techiepoorvika said...

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