जिंदगी की राहें

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Saturday, October 27, 2018

लाल फ्रॉक वाली लड़की


स्मृतियों के गुल्लक में
सिक्कों की खनक और टनटनाती मृदुल आवाजों में
फिर से दिखी वो
लाल फ्रॉक वाली लड़की
शायद उसके पायल की रुनझुन 
बता रही थी दूर तलक
कि नखरैल और अभिमानी लड़की
चलाएगी हुकुम
स्नेहसिक्त टिमटिमाती नजरों के प्रभाव में !


चन्द सिक्के, कुछ चूड़ियाँ और कुछ चकमक पत्थर भी
सब सब
आज भी है ताजमहल के मिनिएचर रूप में
एक ख़ास पेन्सिल बॉक्स में सहेजे हुए
थी कभी उससे जुडी, आज है मेरी थाती
बस नहीं सहेज पाया वो बूँदें
जो बरसी थी, कभी मेरी वजह से
दो जोड़ी आँखों के कोने से
क्योंकि सूख चुके थे वो भी
आखिर दूरियां हो जो चुकी थी अवश्यम्भावी !

समय की टिकटिक भी आखिर कब तक
बताती रहे कि
याद है ना
वो कुछ अनमोल क्षण जो लड़ते झगड़ते हुए थे महसूस
कि पनप चुका था प्यार
आखिर तंज कसना और अजीब सी उम्मीदें
प्रेम का ही तो हिस्सा थी
खैर समय ने बदला सब कुछ !

बदलती उम्र का तकाजा कहूँ
या फिर स्थिर नजरों का प्रौढ़पन
दूर से आती प्रकाशबिंदु नहीं ठहर पा रही
बिना चश्मे के
कहीं मोतियाबिंद तो नहीं
फिर भी एक दम से कॉर्निया के मध्य
बनने लगी है
एक नई खिलखिलाती सी तस्वीर

यहाँ तक कि
अलिंद-निलय को जोड़ते
ह्रदय की शिराओं से
आई इको करती ठहरती सी आवाज
कि गुलाबी पार वाले साडी में
ग्रेस से भरे गुलाबी होंठो पर
जब आती है मुस्कुराहट तो
गुलाबी गालों पर
थिरकती मुस्कुराहटों की वजह
नजरों का मिलना तो नहीं ?
एंजियोग्राफी ही बताएगी कि शिराओं में
बहने तो नहीं लगी हो कहीं।

वैसे भी आकर्षण हो भी क्यों न
आखिर साडी के चमक के साथ
सुनहरे शब्दों में बंधे वाक्यों का
अलबेला समूह
बता रहा था
कुछ बेवजह की बातें
वजह बन जाती है
जिंदगी में नए धूप के चौरस टुकड़े के रूप में
खिलखिलाने के लिए

फिर
जरुरी तो नहीं कि
जिंदगी की रूमानियत
गुलाब के पंखुड़ियों सी गुलाबी ही रहे हर पल

सुनों
गुलाबी फ्रेम वाले चश्में में
मिलना कभी !!
ताकि रंग और प्रेम दोनों का वजूद खिलखिलाए
तुम्हारे गरिमामय चेहरे पर !

समझी ना !

~मुकेश~