जिंदगी की राहें
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Thursday, May 23, 2013
वक़्त
वक़्त
अजीब है तू भी
नरम हाथो से
तूने पकड़ा था हाथ
फिर हथेली पर
अश्क की बूंदें बिखर गई
टूटते खवाबों की
कतरन
ही तो थी
,
वे बूंदें
जो दिला रही थी याद
हर आँखों
में
खवाब प्यारे नहीं लगते !!
है न........
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