जिंदगी की राहें

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Wednesday, March 26, 2014

वक़्त




तुम्हारा गुस्से से कहना कि
“कभी वक़्त है तुम्हारे पास,
सिर्फ मेरे लिए !”
तुम्हारा
अपने लिए समय का मांगना
मेरे अंदर की
जलती प्रेम की मोमबत्ती से
तुम्हारे प्यार के हलचल से
डबक कर मोम के गिरने सा
देता है अनुभव

आखिर ये अतिरेक प्रेम ही तो कहता है
“हर दम चाहिए साथ"
काश! तुम ताजिंदगी
ऐसे ही मेरे साथ की
रखो चाहत !
वैसे भी, प्रेम के सिक्के के
दूसरी ओर ऐसे ही होता है
गुस्सा व क्षोभ
पर सिक्का उछलने पर
जीत की संभाविता
प्रेम का ही है !
विशुद्ध प्रेम !!
“लव यू”
(चमकती स्मृति और प्रेम पुराना थोड़ी होता है)
~मुकेश~