जिंदगी की राहें

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Thursday, November 30, 2017

सत्रहवीं सालगिरह



मई 2000 की बात थी, जब पहली बार अपने शहर में, भैया के साथ अंजू जिस लखोटिया कंप्यूटर इंस्टिट्यूट में जॉब करती थी, वहां मिलने गया था | अर्रंजड मैर्रेज का एक पार्ट था, वहां से निकले तो मैंने सहमते हुए भैया को कहा - पसंद नहीं आई पर उससे से भी तो पूछ लो ! उन्होंने मई की गर्मी में कोल्ड ड्रिंक पिलवाते हुए इतना थीसिस दे दिया कि पंद्रह मिनट के अन्दर ही सबसे खुबसूरत लगने लगी, और फिर करीब छः महीने हमने भी लबालब रोमांस के छौंक वाला जीवन जिया| अंततः 30 नवम्बर 2000 को दांपत्य सूत्र में बांध दिए गए थे 

सत्रह वर्ष हो गए, अपने उच्छ्रिन्ख्लता और उसके गंभीरता के गठबंधन को सहेजे जिए जा रहे हैं | बहुत सारे यादगार पल रहे, बहुत सारे ऐसे भी पल आये जिसने दर्द ही दिया और खूब दिया ! एक यादगार पल ये भी था कि पहली एनिवर्सरी हमने अपने बड़े बेटे के साथ मनाई

वर्ष 2010 को एनिवर्सरी का ही दिन था, दस वर्ष होने के ख़ुशी थी, कुछ अभिन्न लोगो को बुला भी रखा था, शाम के लिए अधूरी तैयारी सुबह ही हो चुकी थी, मंदिर गए फिर अंजू को छोड़ा और फिर ओफ्फिस बाइक से जा रहे थे ! तुगलक रोड थाने के पास एक दम साफ़ सुथड़े सड़क पर एक शराबी बीच सड़क पर लडखडाते हुए जा रहा था, और पता नहीं मेरे दिमाग को क्या हुआ, खाली सड़क में सिर्फ वही दिखा गले मिलाने को | सीधा बाइक लेजाकर उसको ठोक मारा, वैसे तो बाइक की स्पीड भी बेहद कम ही थी, पर हम दोनों गिरे, और मैं गिरते ही बेहोश हो गया | दो तीन मिनट बाद होश में आते ही पहले तो मैंने उसको ढूंढा क्योंकि धक्का तो मैंने मारा था, गलती मेरी ही थी | पर भाई साहब दूर लडखडाते हुए जा रहे थे| अब मैंने खडा होने की कोशिश की, तो मेरा टखना अन्दर की ओर एकदम से मुड़ गया, समझ ही नहीं आया की क्या हुआ, हथेली में भी बेहद पेन हो रहा था | कुछ लोग आ चुके थे | एक बार फिर से आराम से उठा, तो दर्द के बावजूद उठ गया, बाइक किसी व्यक्ति ने उठा दी, अब बाइक स्टार्ट करने के लिए जैसे ही किक मारी, उई अम्मा, फिर से टखना गजब तरीके से बाहर की ओर मुड़ गया | पुलिस भी आ गयी थी, मोबाइल से अंजू को बुला चुका था| फिर किसी भले आदमी ने घर पूछा, घर भी मेरा नजदीक ही था, तो उसने मुझे पीछे बिठा कर मेरी बाइक से घर पहुंचा दिया | दर्द जान निकाल रही थी, करीब एक घंटे बाद ओर्थोनोवा हॉस्पिटल पहुंचे, पता चला टखने का फिलामेंट कट गया और दुसरे तरफ के हाथ की हड्डी बुरी तरह से टूट गयी, जिसमें रोड डालेगा | इतना सुनकर मैडम को अब चक्कर आने लगा, समझ नहीं आ रहा था कौन किसका ध्यान रखे | तो एक यादगार एनिवर्सरी का दिन वो भी रहा |

कल अपनी एनिवर्सरी है
और आज रात
चलचित्र के भांति
सामने से गुजर रहा
तुम्हारा ये सत्रह साल का साथ !
पहली बार तुम्हारे ही ऑफिस मे मिलना
दूसरे बार एक साथ रिक्शे पर सफर
तीसरे बार इंगेजमेंट पर स्पर्श
और फिर चौथी, पाँचवी ... अंतहीन
सफर व साथ ... अबतक ... !!

जब भी मैं याद करता हूँ तुम्हारा प्यार
तो याद आता है तुम्हारा गुस्सा
पर साथ में मेरे लिए
तुम्हारा केयर व पोजेसिवनेस
कई बार देखा व परखा
जब भी हमारे में होते हैं झगड़े
तुम रैक पर रखे लकड़ी के लव वर्ड्स के चोंच को
लगती हो मिलाने
घर के ईशान कोण पर
थोड़ा पानी का रखना
ताकि दाम्पत्य जीवन रहे खुशहाल !

याद है मुझे
तुम्हें नहीं था पसंद
चाय, चाकलेट, बिस्किट आदि
और भी बहुत कुछ !
पर आज वो सब है पसंदीदा
क्योंकि तुम्हें चाहिए बस मेरा साथ !
याद है मुझे वो दिन भी
जब हाथ-पैर दोनों तुड़वा बैठा था
और तुम दिखाना चाह रही थी साहस
पर डाक्टर के सामने
तुम्हारी बेहोशी के साथ दिखी तुम्हारी
बेचैनी और प्यार !

ओह 12 बजने वाले हैं
और देखो हम दोनों की मोबाइल का अलार्म
बता रही है
हमें एक दूसरे को करना है विश
क्योंकि हैं एक दूसरे के लिए अहम !
सदैव रहेंगे न !!
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आज हमारे शादी की सालगिरह है, आप सबके शुभकामनाओं की जरूरत है 






Saturday, November 18, 2017

टॉफ़ी



कुछ टॉफियों के रैपर से
निकाल कर गटक ली थी
लाल पिली नारंगी टॉफियाँ

फिर सहेज लिए रैपर्स, जिसमे था
स्वाद, खुशियाँ, प्यार

आज पुराने किताबों से झांकते
ये चटक रंगों के रैपर्स
एक पल को बोल गये ''धप्पा"

पलकें झपकाते हुए
मुस्काते चेहरे के साथ
हूँ अब तक विस्मृत !!

~मुकेश~