Monday, June 24, 2013
Saturday, June 15, 2013
प्यार: पापा का
कर रहा था इंतज़ार
ऑपरेशन थियेटर के बाहर
तभी नर्स ने निकल कर पकड़ाया
और था, हाथो में, नन्हा सा नाजुक सा
होगा सिर्फ डेढ़ या दो बितता
था, अंडर वेट भी
पर था, पहली नजर में ही दिल
का टुकड़ा
एक क्षण में समझ आ गया था
क्या होता है, बनना पापा .......
पहले आता था गुस्सा, अपने पापा
पर
क्यों? करते हैं इतना इंतज़ार
इतनी ज्यादा बात बात पर देखभाल
पर क्षण भर मे , चल गया था पता
क्या होता है दर्द, पापा बनने का
हुक सी लगी थी
जब वो नर्स की हाथों में चिंहुका ...
अन्तर्मन से निकली थी आशीष
बेटा! है बस एक तमन्ना
तू मेरे नाम से नहीं
मैं तेरे नाम से जाना जाऊँ.........
Sunday, June 9, 2013
माँ का दर्द
माँ के फटे आँचल
को पकड़े गुजर रहा था
बाजार से ननकू
ऐ माँ! वो खिलौने वाली कार
दिलवा दो न !
बाप रे, वो महंगी कार
ना बेटा, नहीं ले सकते
चलो माँ, वो टाफी/चिप्स ही दिलवा दो न
पेट खराब करवानी है क्या
क्यों परेशान कर रहा है
लगातार …………
घर आने ही वाला है
खाना भी दूँगी, प्यार व दुलार भी मिलेगा बेटा
मेरा राजा बेटा
चल अब चुपचाप !
पर माँ, घर मे चावल-दाल
कुछ भी तो नहीं है
तुमरे अचरा में पैसे भी तो नहीं
कहाँ से आएगा खाना
चुप कर, चल घर
जीने भी देगा, या चिल्लाते रहेगा !
माँ, ये पके आम ही दिलवा दो
देखो न कैसे चमक रहे .....
उफ़्फ़!
(कलपती माँ का दर्द, कौन
समझाये?)
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