जिंदगी की राहें

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Sunday, June 9, 2013

माँ का दर्द


माँ के फटे आँचल
को पकड़े गुजर रहा था
बाजार से ननकू
ऐ माँ! वो खिलौने वाली कार
दिलवा दो न !
बाप रे, वो महंगी कार
ना बेटा, नहीं ले सकते
चलो माँ, वो टाफी/चिप्स ही दिलवा दो न
पेट खराब करवानी है क्या
क्यों परेशान कर रहा है
लगातार …………
घर आने ही वाला है
खाना भी दूँगी, प्यार व दुलार भी मिलेगा बेटा
मेरा राजा बेटा
चल अब चुपचाप !

पर माँ, घर मे चावल-दाल
कुछ भी तो नहीं है
तुमरे अचरा में पैसे भी तो नहीं
कहाँ से आएगा खाना

चुप कर, चल घर
जीने भी देगा, या चिल्लाते रहेगा !
माँ, ये पके आम ही दिलवा दो
देखो न कैसे चमक रहे .....
उफ़्फ़!
(कलपती माँ का दर्द, कौन समझाये?)