(लोकार्पण के अविस्मरनीय पल)
(पगडंडियाँ कवर पेज)
कुछ मेहनत, कुछ शुभकामनायें, कुछ लोगो का साथ, कुछ काव्यात्मक सोच और रच
गई, हम सबकी "पगडंडियाँ" ... साथ मे श्रीमति अंजु चौधरी, श्रीमति रंजना भाटिया और श्री शैलेश भारतवासी
की अदम्य ताकत तो थी ही....... फिर क्यों नहीं होता एक सफल आयोजन।
जीवन से
रूबरू होते कभी कोई रास्ता नज़र नहीं आता तब हम सब अक्सर गंतव्य तक
पहुंचेंने केलिए पगडंडियाँ बना ही लेते हैं
...और सम्हाल लेते हैं अपने आपको .. वर्तमान सुरक्षित
करते हुए एक प्रतीक्षारत
सार्थक भविष्य की ओर मंथर किन्तु निरंतर रूप से गतिमान भी
रहते हैं ..
(चेहरे की चमक बता रही, हम खुश हैं)
(श्री आनंद द्विवेदी, नीता पोरवाल, रंजना भाटिया, नीता कोटेचा, मैं व अंजू चौधरी)
आखिर "पगडंडियाँ" के सभी 28 रचनाकारों के उत्साह का प्रतिफल नजर आया, जब 10.02.2013 को इसके लोकार्पण के अवसर पर वरिष्ठ कथाकार श्रीमति चित्रा मुदगल, श्री विजय किशोर मानव, कवि व पूर्व संपादक "कादंबनी", श्री बलराम, कथाकार व संपादक, "लोकायत", श्री विजय राय, कवि व प्रधान संपादक, "लमही" एवं श्री ओम निश्चल, कवि-आलोचक पधारे ...
आखिर "पगडंडियाँ" के सभी 28 रचनाकारों के उत्साह का प्रतिफल नजर आया, जब 10.02.2013 को इसके लोकार्पण के अवसर पर वरिष्ठ कथाकार श्रीमति चित्रा मुदगल, श्री विजय किशोर मानव, कवि व पूर्व संपादक "कादंबनी", श्री बलराम, कथाकार व संपादक, "लोकायत", श्री विजय राय, कवि व प्रधान संपादक, "लमही" एवं श्री ओम निश्चल, कवि-आलोचक पधारे ...
(श्री शैयेद, न्यूज़ रीडर, आजतक, मीनाक्षी मिश्र के पति के साथ मैं और रंजू जी)
इस आयोजन को सफल करने हेतु, बहुत से रचनाकार बाहर से आए, ये उनकी प्रतिबद्धता दर्शा रही थी॥ उनमे से श्री सैयद, न्यूज़ रीडर, आजतक, श्रीमति गुंजन श्रीवास्तवा, श्रीमति गीता पंडित, श्रीमति नीता पौरवाल, श्रीमति अनुपमा त्रिपाठी, श्रीमति नीता कोटेचा, श्रीमति रेखा श्रीवास्तवा, श्रीमती सरस दरबारी, श्री कमल शर्मा, श्रीमति नीलम पूरी, श्रीमति मीनक्षी तिवारी, श्री गुरमीत सिंह, श्रीमति सुनीता शानू, श्री अशोक अरोरा, श्री आनंद द्विवेदी, श्री संतोष त्रिवेदी, श्री अविनाश वाचस्पति, श्री किशोर चौधरी, श्रीमति मीनाक्षी पंत, श्री राजीव तनेजा, श्रीमति वंदना गुप्ता, श्री खुशदीप सहगल, श्री मोहिंदर श्रीवास्तव, श्री मोहिंदर कुमार, सुश्री आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति", श्री अभिषेक जैसे रचनाकारो को देख कर मन प्रसन्नता से भर गया॥! मेरी धर्मपत्नी श्रीमति अंजु व बहन श्रीमति रीना सिन्हा भी मेरे साथ रह कर बता रही थी, बेशक हिन्दी की ज्यादा समझ नहीं पर आपके साथ मेरा साथ है। मेरे मित्र श्री अनूप, श्री आदर्श व श्री राकेश मोहन भी पधारे.....
इस आयोजन को सफल करने हेतु, बहुत से रचनाकार बाहर से आए, ये उनकी प्रतिबद्धता दर्शा रही थी॥ उनमे से श्री सैयद, न्यूज़ रीडर, आजतक, श्रीमति गुंजन श्रीवास्तवा, श्रीमति गीता पंडित, श्रीमति नीता पौरवाल, श्रीमति अनुपमा त्रिपाठी, श्रीमति नीता कोटेचा, श्रीमति रेखा श्रीवास्तवा, श्रीमती सरस दरबारी, श्री कमल शर्मा, श्रीमति नीलम पूरी, श्रीमति मीनक्षी तिवारी, श्री गुरमीत सिंह, श्रीमति सुनीता शानू, श्री अशोक अरोरा, श्री आनंद द्विवेदी, श्री संतोष त्रिवेदी, श्री अविनाश वाचस्पति, श्री किशोर चौधरी, श्रीमति मीनाक्षी पंत, श्री राजीव तनेजा, श्रीमति वंदना गुप्ता, श्री खुशदीप सहगल, श्री मोहिंदर श्रीवास्तव, श्री मोहिंदर कुमार, सुश्री आराधना चतुर्वेदी "मुक्ति", श्री अभिषेक जैसे रचनाकारो को देख कर मन प्रसन्नता से भर गया॥! मेरी धर्मपत्नी श्रीमति अंजु व बहन श्रीमति रीना सिन्हा भी मेरे साथ रह कर बता रही थी, बेशक हिन्दी की ज्यादा समझ नहीं पर आपके साथ मेरा साथ है। मेरे मित्र श्री अनूप, श्री आदर्श व श्री राकेश मोहन भी पधारे.....
(सरस दरबारी दी, गुंजन श्रीवास्तव जी, नीलू नीलम जी, नीता पोरवाल, रेखा दी)
(मैं और मेरी अंजू)
(अविनाश वाचस्पति जी, संतोष सर,पीछे किशोर चौधरी जी अपनी धर्मपत्नी के साथ)
एक बार फिर हिन्दी के किसी समारोह मे इतनी अधिक उपस्थिती देखी गई, पूरा हाल भरा हुआ था, उपस्थिती करीबन 125 लोगो की थी… इस पुस्तक के साथ साथ "ए री सखी" (कवियत्री श्रीमति अंजु चौधरी) और उनके सम्पादन मे साझा कविता संग्रह "अरुणिमा" (जिसमे मैं भी शामिल हूँ) का भी लोकार्पण साथ ही हुआ...
एक बार फिर हिन्दी के किसी समारोह मे इतनी अधिक उपस्थिती देखी गई, पूरा हाल भरा हुआ था, उपस्थिती करीबन 125 लोगो की थी… इस पुस्तक के साथ साथ "ए री सखी" (कवियत्री श्रीमति अंजु चौधरी) और उनके सम्पादन मे साझा कविता संग्रह "अरुणिमा" (जिसमे मैं भी शामिल हूँ) का भी लोकार्पण साथ ही हुआ...
(श्री बलराम,श्री विजय मानव, श्री निश्छल व श्रीमती गीता पंडित )
घिरी है घटाएं सकुचाई हैं पगडंडियाँ
प्राण प्रण से सहेज रही राह की दुश्वारियां
सृजन के उत्सव संग अंतस की बोलियाँ
वृष्टि से सृष्टि तृप्त ..दृष्टि आस्मानियाँ
घिरी है घटाएं सकुचाई हैं पगडंडियाँ
प्राण प्रण से सहेज रही राह की दुश्वारियां
सृजन के उत्सव संग अंतस की बोलियाँ
वृष्टि से सृष्टि तृप्त ..दृष्टि आस्मानियाँ
(मेरी बहन श्रीमती रीना सिन्हा, पत्नी अंजू, नीलू सरस दी, आदि )
(अशोक अरोरा जी, नीता कोटेचा, राजीव तनेजा जी )
आप सब की उपस्थिती और शुभकामनाओं के कारण, हम बहुत खुश हैं... धन्यवाद ... मुकेश !!
आप सब की उपस्थिती और शुभकामनाओं के कारण, हम बहुत खुश हैं... धन्यवाद ... मुकेश !!