जिंदगी की राहें

जिंदगी की राहें

Followers

Monday, December 30, 2013

ज्ञान/विज्ञान/स्वाभिमान

DIFF 2013 से खींची हुई पेंटिंग की तस्वीर 


विज्ञान कहता है
ध्वनि के गति के
तुलना में
है प्रकाश की गति
बहुत तेज !!

ज्ञान कहता है
कुतर्क व चिल्लाने से
बेहतर है
तर्क व ज्ञान से
रोशनी फैलाने की कोशिश !!

स्वाभिमान कहता है
डरने/झुकने के बदले
करो, डट कर मुक़ाबला
संस्कार का, स्मिता का
दिया जलाओ !

ज्ञान/विज्ञान/स्वाभिमान
अगर है उनसे जुड़ाव
तो उठो ! बैठो !! जागो !!!
जिंदगी नहीं, ज़िंदगानी बनो
ज्योतिर्मय बनो !

बस यही है चुटकी भर शुभकामनायें !! नए वर्ष की शुभकामनायें !!! 

DIFF 2013 से खींची हुई पेंटिंग की तस्वीर 


Thursday, December 26, 2013

गुलमोहर की सफलता पर आकाशवाणी पर संपादक द्वय (मुकेश कुमार सिन्हा और अंजु चौधरी) का साक्षात्कार



24.12.2013 को सुबह 7.30 पर शब्द-संसार कार्यक्रम के तहत 819 KHz.. (इंद्रप्रस्थ चैनल) (मीडियम वेव लेंथ) पर 30 कवियों की प्रतिनिधि कविताओं के संग्रह 'गुलमोहर' की सफलता पर हम संपादक द्वय (मेरा और अंजु चौधरी) का साक्षात्कार प्रसारित हुआ. जिसमें हमने 'गुलमोहर' के लिए चयन की प्रक्रिया, नये लोगों तक पहुँचने के लिए नए प्रयोगों और सोशल मीडिया के इस पर पड़ने वाले प्रभाव की बात की। उम्मीद है आपको आनंद आएगा और हमें खुशी मिलेगी। गौरतलब है कि इस किताब का प्रकाशन हिन्द युग्म ने किया है। यह किताब सभी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों पर उपलब्ध है।
__________________________________________
कभी कभी अच्छा लगता है, जब एक दम से एक सामान्य से व्यक्ति को कुछ अहमियत मिलने लगे
सुनिएगा !!

Tuesday, December 24, 2013

पगडंडी


अपर्णा के एल्बम से 

कोई नहीं
नहीं हो तुम मेरे साथ
फिर भी
चलता जा रहा  हूँ
पगडंडियों पर
अंतहीन यात्रा पर ...

कभी तुम्हारा मौन
तो, तुम्हारे साथ का कोलाहल
जिसमें होती थी
सुर व संगीत
कर पाता हूँ, अभी भी अनुभव
चलते हुए, बढ़ते हुए
तभी तो बढ़ना ही पड़ेगा ...

मेरे बेमतलब वाली
बिना अर्थ वाली कविता
जैसी ही तो हो तुम !
लोग तो बेवजह
बिना पढे, कह देते हैं “वाह”
मैं स्वयं भी
कहाँ  हो पाता हूँ संतुष्ट
फिर भी, बढ़ना तो पड़ेगा ही ...

बस तुम हो न साथ
अहसासों में
साँसो में
रहना ! रहोगी न !! 


Tuesday, December 17, 2013

साइकल और चाय



रोड-साइड ढाबे पर
तीन साइकल
हीरो, हरक्युलस और एवन के
अगले एक से टायर
थे, एक जगह जुड़े हुए
पर हम थे चार
चल रही थी मंत्रणा
सामने चूल्हे पर उबलती चाय
लो अब आ गई
कटिंग चाय की ग्लास
साथ ही दो समोसे, पर चार हिस्सेदार
और! और !
कालेज के ही सुंदरी के खूबसूरती पर
उसके सादगी पर भी
चल रही थी लंबी बहस
यार !! वो तो पढ़ाई में भी है अव्वल
देखो न कैसे सर की हो गई है चहेती
कुछ तो करना ही होगा
बेशक, उसके लिए पढ़ना ही होगा
ऐसी ही सिरियस बहस के लिए
करनी पड़ती थी पीरियड बंक
चाय की चुसकियों में लगाते थे
लंबा समय हम
बिल पे करने वाला बकरा
हर दिन होता था अलग !!

पर यार! आज भी
उन निरुद्देश्य मीटिंग्स
के सहेजे हुए दृश्य
मानस पटल पर ला देते हैं
खूबसूरत मुस्कुराहट !!

अच्छा लगता है न !! 


Friday, December 6, 2013

ये भी है प्रेम


दो काफी मग
साथ मे फिफ़्टी-फिफ़्टी
के बिस्किट
दोनों और सोफ़े पर
मैं और तुम
सुनो ! एफ़एम भी लगा दो
अरे वाह, शानदार संगीत भी
हम तेरे बिन रह नहीं सकते
तेरे बिना क्या वजूद मेरा ........
कितना रोमांटिक सीन
हो गया न क्रिएट !!

चलो अब तेजी से
गटक लेते हैं काफी
बिस्किट भी डुबो कर
खा ही लो
हम दोनों को ऑफिस भी तो जाना है न !!

(ये समय भी न, शादी-शुदा प्रेम की ऐसी की तैसी कर देती है :D )