जब हवाओं में
हो बारूद की गमक
उस समय सबसे जरूरी होती हैं
कि लिखी या पढ़ी जाएं
प्रेम कविताएँ।
ताकि
बारूद के प्रयोग की आशंका
हो सके निर्मूल
प्रेमिल एहसासों से पगे
प्रेम पत्र बदल जाएं
संधियों के दस्तावेज़ में ।
प्रेम भी बेशक युद्ध ही है
पर इन गुलाबी युद्धों में
सेनापतियों पर बरसती हैं
गुलाबी पंखुड़ियां ।
ऐसे में बाणों को
इश्क़ के इत्र से डुबो कर
छोड़ी जाती हैं बिन कहे,
गर लगे तो प्रेम सफल।
और न हुए सफल तो भी
मुस्कुराहटों के बादल ही संघनित होंगे।
...है न!
~मुकेश~