जिंदगी की राहें

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Sunday, November 18, 2012

लेंड-क्रूजर का पहिया




एक महानगर से सटे
एक छोटे से गाँव में
थी चहल पहल
चमक रहा था
कैमरे की लैंस 
न्यूजरूम के स्टीकर वाले
चौकुठे काले माइक्रोफोन पर
बोल रही थी
रोती कलपती 
मनसुख की मैया -
हमरा एक ही बेटा रहा
ऊ भी जवान
हाँ पीता था दारू
बीडी की लत तो रहबे करी 
पर था, हमरा जिगर का टुकड़ा 
हमरे बुढ़ापे का लाठी रहा
अब कैसे जियेंगे 
ई  फ़ट्ट्ल  साड़ी 
औ सुख्खल रोटी
तो मिल जात रही 
अब तक, ओकरा वजह से....
.
दूर पड़ी थी 
सफ़ेद कपडे में ढकी लाश 
पर मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज
मैं नहीं थी, मनसुख की मैया
या उसका  इंटरव्यू ...
टी.आर.पी. कहाँ बनती है ..
भूखी बेसहारा माँ से 
इसलिए टी.वी. स्क्रीन पर
चिल्ला रहे थे..
न्यूज रीडर...
लेंडक्रूजर के नीचे
सी.पी. के व्यस्त चौराहे पर
गया मेहनतकश नौजवान
और बार बार सिर्फ ...
दिख रहा था स्क्रीन पर
चमकता लेंड-क्रूजर
व उसका
निर्दयी पहिया...


Thursday, November 1, 2012

चाय का एक कप!


























पहली बार
मैं गया था उसके घर
रौबदार आवाज..
चाय लाना..
वो सामने चाय के साथ
मिले दो हाथ, हुआ स्पर्श, प्लेट के नीचे
क्षण भर को तरंगित
कारण चाय का एक कप!
.
कॉलेज केन्टीन
ऑर्डर पे गयी एक चाय,
उफ़! तुम भी गए
भैया! एक खाली कप देना.
बाँट गयी दो दोस्त में ..
स्नेह से भरी
चाय का एक कप!
.
रोड साइड दुकान
बेरोजगारी के दिन..
चाय पिलाएगा..?
एक दोस्त ने कहा...
भैया देना चाय
दो बटा तीन कटिंग
हम तीनो के सामने थी..
दोस्ती से लबालब
चाय का एक कप!
.
सुनो!
उठ रहे हो.
जग जाओ ...
अलसाई सुबह में
कानो में घोलती श्रीमती जी की आवाज
इन्तजार कर रही थी
चाय का एक कप!
.
ट्रिन ट्रिन !!
पुराने मित्र का फ़ोन
कहाँ है? कैसा है?
बहुत दिन हो गए..
पुरानी यादें ताजी करते हैं
मिल कभी!
पीते हैं साथ में
चाय का एक कप!
.
आफिस टेबल
सरकारी कार्यों पर मीटिंग
टेंडर, एप्रूभल.
बहुत सी बातें..
और
चाय का एक कप!
.
ये अदना चाय का कप
लोगों को जोड़ता है
मिलाता है
बांटता है प्यार
जगाता है अहसास
बढ़ता है व्यापर
हर बात का जबाब
चाय का एक कप!