जिंदगी की राहें

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Thursday, January 6, 2011

नारी या पुरुष??


चल रही थी बहस
नारी या पुरुष??
एक सुदर्शना नारी
जो थी बड़ी प्यारी
लरजते हुए बोली
सज्जनों!
माटी की बनी मैं
पर माटी  में ही सिमट कर रह गयी मैं

कभी बेटी का फर्ज निभाया
कभी बहन के रूप में घर को चहकाया
कभी अर्धांगिनी बन कर निभाया
या माँ की ममता का नेह बरसाया
कर दिया अपने को अर्पित
जीवन समर्पित
पर न बन पाई पहचान
क्यूंकि इन पुरुषो के आगे
बिखर गये हमारे अरमान!!!

तभी पीछे की पंक्ति से
आई एक कड़कती आवाज
हमारी भी सुनो
बेशक हम कहलाते हों जंवाज
हमने शिद्दत से छिपा रखा है दर्द
वो अब हो गयी है सर्द
ये दुनिया है बेदर्द
बहुत हो गयी पौरुष की बात
अब नही हो पाता दर्द आत्मसात

हे नारी!!  जब तुम थी बेटी!
पापा ने तुम्हें जिंदगी के पथ पर चलना सिखाया
जब तुम थी बहन
हर पल राखी के बंधन
की रक्षा, तेरे भाई के मन में रहा
जैसे ही तू बन के आयी अर्धांगिनी
ता-जिंदगी तुझे खुश रखने का
सातो वचन तेरे पति ने निभाया
फिर माँ की अनमोल ममता
और दूध के कर्ज में
जीवन-पर्यंत बेटे ने बिना कुछ कहे
अपना जीवन लुटाया!!!

सच तो ये है
जिंदगी है एक तराजू
जिसमे एक के साथ करो न्याय
तो दुसरे के साथ दिखता है अन्याय
और इस तराजू के दोनों पलडो
से कर सकते हो तुलना
नारी और पुरुष की.................!

अब बोलो
नारी या पुरुष?
नारी या पुरुष?
नारी या पुरुष ???????



वैसे तो बस कुछ शब्द बुने हैं मैंने, क्यूंकि मैंने बराबर पढा की हर नारी का पूरी जिंदगी शोषण हुआ है.....उसके  हर रूप के साथ! बेशक हम भारत वासी उससे देवी के रूप में पूजते हैं, लेकिन आज की जिंदगी में हम पुरुषों का भी तो शोषण होता है..हम किसे कहेँ.....हमारी पीड़ा को कौन समझेगा....................

पढ़े और बताएं....अगर त्रुटी बताएँगे तो जायदा ख़ुशी होगी...............:)



वैसे एक बात और आज मेरे छोटे सुपुत्र "ऋषभ कीर्ति सिन्हा (रिशु)" का जन्मदिन भी है.
आपकी शुभकानाएं मुझे ख़ुशी देगी और उसे जिंदगी में सफलता  ...:)

89 comments:

अरुण चन्द्र रॉय said...

रिषभ को जम्नदिन की हार्दिक शुभकामना और मेरा आशीष!
बाकी आपकी कविता चिरंतन काल से चले आ रहे स्त्री-पुरुष विमर्श को पुनः परिभाषित कर रही है !

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत बढ़िया रचना ... सच तो यह है कि दोनों एक दुसरे के परिपूरक हैं ... मेरे ख्याल से दुसरे जानवरों में ऐसे बहस नहीं होते होंगे :)

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

रिशु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें और आशीष !

M VERMA said...

न नारी न पुरूष : नारी-पुरूष
रिशु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

vandana gupta said...

रिशु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें और आशीष !
ये ऐसा विषय है जिस पर जितना कह लो कम है मगर हर क्षेत्र मे संतुलन जरूरी है।

वाणी गीत said...

सबसे पहले ऋषभ को जन्मदिन की बहुत बधाई ...

समाज में तेजी से आ रहे बदलाव में पुरुषों का शोषण भी हो रहा है , इसमें कोई दो राय नहीं है ,वही ये भी सही है की तुलनात्मक रूप में शोषित पुरुषों की संख्या कम है...
स्त्रियाँ अगर माँ , बेटी , बहू , पत्नी है तो पुरुष भी पिता , बेटा , दामाद और पति के रूप में अपना कर्तव्य निभाता ही है ...फर्क बस ये है की उसे अपना घर छोड़ कर जाना नहीं पड़ता..

हम तो प्रताड़ित/शोषित के पक्ष की बात करते हैं ...वो पुरुष हो या स्त्री ... !

रेखा श्रीवास्तव said...

सबसे पहले रिशु को लम्बी उम्र का आशीष और ढेर सा प्यार.
विषय बहुत अच्छा लिया है लेकिन कभी किसी भी तस्वीर का एक ही रुख नहीं होता बल्कि सदियों से नारी और नर के दोनों ही रूप देखने को मिलते रहें हैं. आज से १०० साल पहले भी नारियों में कुछ बहुत दबंग होती थी और साहसी भी. पुरुष का वर्चस्व जो सदियों से चला आ रहा है बस उसमें प्रतिशत का अंतर हैं. आज भी नारी अगर 50 प्रतिशत शोषित है तो २५ प्रतिशत पुरुष भी इससे पीड़ित हैं और उनके पक्ष को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. शेष सामान्य की श्रेणी में रखे जा सकते हैं.

shikha varshney said...

सबसे पहले रिषभ को जन्म दिन की ढेरों शुभकामनायें.
अब नारी और पुरुष.
कौन शोषित है और कौन शोषण कर रहा है ये बहस ही बेकार है,किसी भी तरह की तुलना ही बेकार है.दोनों एक दूसरे के पूरक हैं बस इतना ही समझना चहिये.

राजेश उत्‍साही said...

ऋषभ को जन्‍मदिन की शुभकामनाएं और आपको बधाई।
*

सवाल को इस तरह से देखें कि अगर पृथ्‍वी से सारे पुरुष गायब हो जाएं तो क्‍या होगा या फिर सारी नारियां गायब हो जाएं तो क्‍या होगा।
*

दोनों एक दूसरे के पूरक नहीं एक व्‍यवस्‍था के अनिवार्य अंग हैं।
*

शोषण नर या नारी का नहीं व्‍यवस्‍था में फंसे लोगों का होता है।
*

deepti sharma said...

रिशु ko happy birthday
bahut hi sundre rachna

is bar mere blog par
"mai aa gyi hu lautkar"

ZEAL said...

रिशु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें

Bharat Bhushan said...

दुनिया में दो ही जातियाँ हैं- नारि जाति और पुरुष जाति. ये आपस में प्रेम भी करती हैं और झगड़ा भी.
रिषभ को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें और आशीष

कडुवासच said...

... ऋषभ को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें !!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@बस अरुण सर, कुछ मन में आया, और उसको कागज पे उतर दिया,अब आप बताएं कैसी है:)
@ हाँ इन्द्रनील जी, देखिये न, हम मानव में ही ऐसी बहस क्यूं?? धन्यवाद्!!
@धन्यवाद् वर्मा जी...!!
@सही कहा वंदना जी आपने...पर संतुलन हो नहीं पाता. कभी....!! धन्यवाद्...
@वाणी जी!! आपके बात से पूर्णतया सहमत हूँ...पर दर्द तो हम पुरुष भी झेलते हैं कभी??:) धन्यवाद्...

DR.ASHOK KUMAR said...

रिशु को बर्थ डे की शुभकामनायेँ ।
मुकेश जी बहुत सुन्दर भाव भरे हैँ आपने रचना मेँ। अच्छी तुलनात्मक प्रस्तुति पेश की है ।

" गजल..........खुदा से भी पहले हमेँ याद आयेगा कोई "

आपका अख्तर खान अकेला said...

naari purush ke bger adhuri he yaani arddhangni he or purush nai ke bger adhura he yani arddh purush he .akhtar khan akela kota rajsthan rishb ji ko jnm din pr bdhaayi. akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय said...

हर पुरुष में एक नारी और हर नारी में एक पुरुष होता है। बड़ी विचित्र है विधि की संरचना।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

सम्पूर्ण प्रकृति एक विरोधाभास से भरी है...और देखें तो वह विरोध नहीं परिपूरक है... अंधेरे और उजाले, निर्धन और धनी, चाँद और सूरज, रात और दिन.. वैसे ही नारी और पुरुष, आदम और हव्वा... किसी भी एक बिना दूसरा परिपूर्ण हो ही नहीं सकता... इसके बीच शोषित और शोषक का स्थान ही नहीं!!
.
रिशू को कोटिशः आशीष!!

Kunwar Kusumesh said...

रिशु को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाये.
नारी पर तो नारी ही सबसे ज़ियादा अत्याचार करते दिखाई पड़ती है.
सास -बहू के किससे नहीं सुने क्या ?

Anupama Tripathi said...

रिशु के जन्मदिन पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं -
बहुत अच्छे से कही है आपने अपने मन की बात par
मैं इस बात से सहमत हूँ की दोनों एक दुसरे के पूरक हैं .दोनों को एक दुसरे को समझ कर चलाना चाहिए -debate will take us nowhere.

मनोज कुमार said...

इस कविता में आपकी वैचारिक त्वरा की मौलिकता नई दिशा में सोचने को विवश करती है।

VICHAAR SHOONYA said...

आपने अपने मन के भावों को कविता रूप में बड़े अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया है बाकी इस विषय में राजेश जी की बात से सहमत हूँ की शोषण व्यवस्था में फंसे लोगों का होता है.

रश्मि प्रभा... said...

बिल्कुल सच कहा ... पुरुषों का भी शोषण होता है . बराबरी की दौड़ में सारी मान्यताओं को तोड़कर
स्त्री अन्नपूर्णा नहीं रही. सारी व्यवस्था गड़बड़ हो गई , पुरुष के पौरुषत्व का एक तेज होता था , जो
लुप्तप्रायः है . बराबरी शिक्षा के लिए थी, पर यहाँ तो ..... बहुत बड़े सत्य को उठाया है

रिशु को आशीष

Shalini kaushik said...

sabse pahle rishabh ko janamdin ki shubhkamnayen kuchh in shabdon me,
har din nayee safalta laye,
har nishi sukh ke saz sajaye.
har saptah pragati path soochak.
har versh "rishabh"nayee khyati paye.
ab aapki kavita to ye hamesha se vivad ka vishay raha hai jabki stri purush ka jo jeevan me sthan hai kam hai vah sajha hai dono ek rath ke pahiye hain aur dono ke bina hi jeevan adhoora hai.kavita achchhi lagi blog achchha laga.koshish karoongi ki ye nirantarta bani rahe aur aap ke blog par aakar nit naye vichar pati rahoon..

वीना श्रीवास्तव said...

पहले तो रिशु को जन्म दिन की बधाई
ये तो बहस का मुद्दा है...फिर भी दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं...

देवेन्द्र पाण्डेय said...

त्रुटी कैसी!काफी संतुलित लिखा है आपने।

Anita kumar said...

रिशु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें और आशीष !
मुझे खुशी है कि कोई तो नर है जो नारी के शोषण को ले कर अपराध बोध की भावना से ग्रस्त नहीं और नर के दर्द की बात कर रहा है। संतुलन बनाये रखने के लिए ऐसी आवाज की बहुत जरूरत है

Rohit Singh said...

पहते तो रिषभ को जन्मदिन की बहुत ही बधाई हो मित्र। नया साल भी मुबारक हो।
भई मर्दों का दर्द तो दर्द माना ही नहीं जाता। एक पोस्ट लिखने की सोच रहा था कि मर्द को भी दर्द होता है। पर क्या करें सोचते ही रहे ..पर अच्छा हुआ कि आपने पुरषों का दर्द रखने का साहस किया।आप दर्द भरे परुषों की आवाज हो.....रह गई त्रुटि की बात तो बिरादर ये तो अपने बस के बाहर है।

anilanjana said...

ऋषभ को ढेर सारी दुआएं ..इश्वर उसे सुख समृद्धि से संपूर्ण रक्खे ..दीर्घायु हो ..
अपनी अपनी खूबियों और कमजोरियों के साथ चलने वाले ये नारी और पुरुष एक दुसरे को पूर्णता प्रदान करते हैं ..सामानांतर रेखाओं की तरह..नदी के दो पाटों की तरह ..विविधता भरे ..परिदृश्यों की तरह.साथ चलते हुए भी..अपना अपना अस्तित्व बनाये हुए....
भावनात्मक रूप से पुरुष..नारी से कहीं ज्यादा ..कमज़ोर होता है ..और नारी शारीरिक रूप से..परस्थिति जन्य प्रभाव दोनों के ही मनोबल और अस्तित्व पे पड़ता है..इसलिए...तुलना का कोई प्रश्न ही नहीं..पर..हम अभी भी पुरुष प्रधान समाज में रह ही रहे हैं..माने या न माने...ये कटु सत्य है..पर ये भी उतना बड़ा सच है...की परिवर्तन दिखाई दे रहा है..जो कहीं तो स्वागत योग्य है..और कहीं हमारे संस्कारों को ठेस भी पहुंचा रहा है ..ये अलग बहस का मुद्दा है
मुकेश..एक अच्छा प्रयास ... और पुरुष का योगदान भी जीवन यात्रा में बराबरी का महत्व रखता है..बिना पूर्वाग्रह से ग्रसित हुए एक बार फिर से.इस विषय पे .निष्पक्ष सोच देखना चाहूंगी तुम्हारी..

संजय भास्‍कर said...

रिषभ को जन्मदिन की बहुत ही बधाई हो मित्र। नया साल भी मुबारक हो।

संजय भास्‍कर said...

नई दिशा में सोचने को विवश करती है।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@हां रेखा दी!! मैंने भी तो यही कहा और मन, नारियों को वो स्थान नहीं मिल पा रहा jiske वो अधिकारिणी हैं, लेकिन पुरुष, उन्हें भी तो गिला है....है न...:!
@शिखा, सच कहा आपने दोनों एक दुसरे के पूरक हैं, लेकिन फिर भइ दोनों की अपनी identity होनी चाहिए...धन्यवाद्
@ राजेश भैया , बहुत बढ़िया उदहारण देकर आपने निः शब्द कर दिया....धन्यवाद्
@धन्यवाद् दीप्ति....उदय जी .......और डॉ. दिव्या..............!!
@जी भूषण सर!! लेकिन इन् दोनों जातियों में श्रेष्ठता की बात चलती रहती है....धन्यवाद्...

निर्मला कपिला said...

रिषभ को जम्नदिन की हार्दिक शुभकामना और आशीर्वाद। आपकी पोस्ट के लिये एक शेर कहना चाहूँगी इसका निचोड है
इक दूसरे के साथ हैं खुशियाँ जहाँ की साजना
तेरे बिना क्या ज़िन्दगी मेरे बिना क्या ज़िन्दगी
बस दोनो एक दूसरे के पूरक हैं। कोई समझे तो। शुभकामनायें।

Anonymous said...

पक्षपात या शोषण जिसका भी वो निंदनीय है.

(जुग जुग जियो रिशु) ऋषभ को जन्मदिन की हार्दिक बधाई, शुभ आशीष तथा सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

मुकेश कुमार सिन्हा said...

on FACEBOOK:

Amitabh Ranjan: wah wah wah Mukesh jee, bahoot sunder rachna aur vivechna hai is Nari-Purush sabandha pe!!! Bhagwan aapki kalam ko aur shakti de.
11 minutes ago · UnlikeLike · 1 person

मंजुला said...

रिशु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें और आशीष !
आपकी बात सही है दर्द से सब को गुजरना पड़ता है चाहे स्त्री हो या पुरुष ..

Asha Lata Saxena said...

बहुत बहुत सुन्दर भाव लिए रचना |बधाई |
"पर न बन पाई पहचान ---- बिखर गए सारे अरमान "
बहुत प्यारी पंक्तिया |
आशा

दिगम्बर नासवा said...

Chote Sinha saahab ko janam din mubaarak ... aur aapne kya lajawaab prashn par rachna ko choda hai ... vaise mere vichaar se dono poorak hain ek dooje ke ...

anshumala said...

देर से ही सही मेरी तरफ से भी ऋषभ को जन्मदिन की बधाई | रेखा जी और राजेश जी की बात से सहमत हु और ये भी मानती हु की मर्द को भी दर्द होता है |

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@डॉ. अशोक....बस एक कोशिश की है, आपने सराहा, अच्छा लगा !
@अख्तर साहब धन्यवाद्....बहुत दिनों आप हमारे ब्लॉग पे दिखे! धन्यवाद्!!
@ प्रवीण जी, आपके बातो में मेरी सहमती है...!
@ बड़े भैया (बिहारी बाबु) हाँ भैया ये सहचर शब्द एक दुसरे के पूरक ही तो हैं............:)
@धन्यवाद् कुंवर साहब............अनुशरण करने के लिय अलग से धन्यवाद्!!
@ धन्यवाद् अनुम्पमा....आपके बातें हमारे लिए motivation का काम करेगी...:)

आप सब को रिशु के जन्मदिन पे आशीर्वाद व आशीष देने के लिए अलग से धन्यवाद्...:D

नीरज गोस्वामी said...

रिशु तुम जियो हजारों साल...साल के दिन हों पचास हजार...हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं...

एक के बिना दूसरा अधूरा है...और ये शास्वत सत्य है...

नीरज

आनंद said...
This comment has been removed by the author.
आनंद said...

सबसे पहले तो रिशु को जन्म दिन बधाई और ढेर सारा आशीर्वाद !
उसके बात बात नारी पुरुष की, बिलकुल सच कहा तुमने मुकेश
कि नारी और पुरुष
वास्तव में एक दूसरे के पूरक है एक दूसरे के प्रतिद्वंदी नही
सरे विश्व में जहाँ भी औरतों के साथ भेदभाव होता है उसकी भर्त्सना करनी चाहिए ...
हर जगह और हर समाज में नारी दोयम है ए मानना भी गलत है
साधुवाद मुकेश तस्वीर को सही परिप्रेक्ष्य में देखने के लिए !!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@मनोज जी! इतने अच्छे शब्द के लिए शुक्रिया!
@VICHAAR SHOONYA (पाण्डेय सर) राजेश भैया की बातो में मेरी भी सहमती है:)....पहली बार आने के लिए धन्यवाद्!
@ रश्मि दी! सही कहा न मैंने:), ..........आपने मेरे बातो में सहमती दी, ये बहुत बड़ी बात है!
@शालिनी जी आपके विचार अच्छे लगे! रिशु के लिए लिखी पंक्तियाँ दिल खुश कर गयी:)
@वीणा और देवेन्द्र जी धन्यवाद्!

रिशु के जन्मदिन की बधाई के लिए अलग से धन्यवाद.............:)

Minakshi Pant said...

हम कहते हैं की मर्द बेवफा होता है !
तो क्या उनके सीने मै दर्द नहीं होता ?
ओरत तो अपने दर्द को आंसुओ से बयाँ कर देती है
मर्द का व्यक्तित्व तो उसे इसकी भी इज्ज़ाज़त नहीं देता !

आपने दोनों का संतुलन बिलकुल सही किया है दोस्त !
दोनों की जिंदगी मै एक बराबर का दुःख सुख है !
भावनाओं का सही समन्वय !
बेटे के जन्मदिन की हार्दिक बधाई दोस्त !

मेरे भाव said...

ऋषभ कीर्ति सिन्हा को जन्म दिवस पर ढेरों शुभाशीष उनके स्वस्थ, दीर्घायु और यशस्वी जीवन के लिए. नारी और पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक हैं . कोमलांगी होने और पुरुषप्रधान समाज की वर्जनाओं के कारण उसे बेचारी और कमजोर समझ लिया जाता है. सटीक विवेचन . आभार

Neelam said...

Rishu bete ko janam divs ki dheron shubhkmnaayen aur dheron aashirvaad.

Mukesh ji...
naari bina purush nahi purush bina nahi naar. jeevan chakra yunhi chale ,jaise chale doudhari talwaar.
aap gajab likhte hain...badhaai.

Ankit Khare said...

sabse pehle pyaare rishu ko janamdin ki shubhkaamnaye.... :)
.
mukesh bhaiya padkar bahut achaa laga :).. bahut dino se sirf naari,naari ka shoshan yahi sab padhne ko milta tha,... aaj ek "purush" ke utterdaayitv ko jis trha represent kia aapne mann ko bahut achaa laga.....

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@अनीता दी!! आपने मेरे कविता को सही कहा....मुझे ख़ुशी हुई...वैसे ये सच है न...:)
@रोहित जी (बोले तो बिंदास) मर्द के दर्द को समझ पाने के लिए धन्यवाद्...:)
@अंजना दी!! आपके सोच से सहमती तो है लेकिन आपने भी तो मेरे बातो को समझा ही है, फिर नया क्या कहूँ...फिर वैसे भी नदी के दोनों तट तो ता-जिनदगी एक साथ बहेगी, यानि नारी बिना पुरुष नहीं तो पुरुष बिना नारी भी नहीं सोचा जा सकता ....है न...!!
धन्यवाद इतनी प्यारी विवेचना के लिए...:)
@धन्यवाद संजय....
@प्यारी पंक्तियों के लिए धन्यवाद् निर्मला दी...:)

आप सबको रिशु के जन्मदिन की बधाई सन्देश के लिए धन्यवाद...

ज्योति सिंह said...

rishbh ko badhai barshgaanth ki .
peeda to sabhi manushya ke hisse me aati hai ,kisi ki ujagar hoti hai kisi ki nahi ,samjhna jaroori hai kisi ko bhi .nari bandish me jyada rahi is karan dhyan udhar adhik gaya magar mard ko bhi dard hota hai, ise nahi nakar sakta koi .likha ati uttam hai .

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) said...

सबसे पहले ऋषभ को मेरी ओर से जन्मदिन की हार्दिक बधाई ....
और इस रचना पर aapko हार्दिक बधाई ....के साथ nav varsh की भी हार्दिक shubhkamnayen ............. नारी को इस पुरुष प्रधान समाज में कहीं ना कही अबतक हीन भावना से देखा जाता है जहा ये रचना बिल्कुल सार्थक लगती है ,पर कहीं तो पुरुष भी बेचारा और कमजोर हो जाता है , ये बात सही है दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं ,पर अबतक पुरातनकाल से ही चली आ रही ये विवाद .....ये तराजू पर नारी को कमजोर तौलती है ....

डॉ. मोनिका शर्मा said...

बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति ......

Gopal Mishra said...

Happy Birthday to Rishabh...and congrats for producing such a good piece of write-up

putul said...

ये कहाँ से कहाँ ले आये हम खुद को....एक दूसरे की जरूरत होते थे हम कभी ...आज नारी और पुरुष ...एक दूसरे पर तोहमत लगा रहे हैं...
..कभी सोचना होगा हमें कि क्यों हुआ ऐसा..

ashish said...

सुन्दर रचना . रिशु को जन्मदिन की शुभकामनाये .

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@राकेश सर! बहुत दिनों के बाद ही सही,,,,,,आप आये अच्छा लगा:)
@मंजुला जी व आशा दी........स्नेह बनाये रखने के लिए धन्यवाद्:)
@शुक्रिया दिगंबर सर!.....बस आप ऐसे ही हमें motivate करें :)
@अंशुमाला जी! सहमती तो मैंने भी जाया दी:)
@नीरज सर! धन्यवाद्:)
@ आनंद भैया! यही तो मेरा कहना है, हमें भी समझो...:)


धन्यवाद् आप सबको अलग से, रिशु को जन्मदिन की बधाई देने के लिए:)

Dr Xitija Singh said...

रिषभ को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ ...
आपने सही कहा पुरुष की व्यथा-कथा सुनने और सुनाने वाले बहुत कम होते है ..

आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

Dr.Ajit said...

मुकेश भाई, आपने शेष फिर अपनी टिप्पणी दी इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया! आपको मेरी रचनाएं पसंद आई इसके लिए भी धन्यवाद। आपने लिखा है कि शायद मेरी खुद्दारी या समयाभाव कमेंट्स कम होनी एक वजह है मै बस यही कहूंगा कि पिछले तीन सालों से नियमित ब्लाग लेखन करते हुए भी मै ब्लागजगत की औपचारिक दूनिया मे रम नही पाया हूं क्योंकि यहाँ कमेंट्स का लेन-देन की जो परम्परा है वो मेरे मुताबिक ठीक नही है आपने देखा होगा कि किसी की चार असंगत बातों मे भी गम्भीर दर्शन निकाल कर वाह-वाह की टिप्पणीयों का शतक लग जाता है और कुछ मेरे जैसे निर्धन भी है जो 5-10 से उपर नही जा पातें है।

मै थोडा सा आलसी हूँ और थोडा बेकार... पहले मलाल होता था अब आदत हो गई है मै स्वांत सुखाय भाव के साथ लिखता हूँ जो नही पढ पातें है वे अपना ही नुकसान कर रहे है मेरा कुछ नही...। इसे आप मेरा अंहकार कदापि न समझे बस एक शर्त है ज़िन्दगी जीने की।

बहरहाल आपको तो अपना पता मिल ही गया है उम्मीद करता हूँ कि आपका आना-जाना लगा रहेगा।

आपका लेखन भी काबिल-ए-तारीफ है और आपका प्यारा बेटा भी...।

सादर
डा.अजीत
www.shesh-fir.blogspot.com
www.meajeet.blogspot.com

प्रेम सरोवर said...

रिशभ को जन्म दिन की बधाई।

मुकेश कुमार सिन्हा said...
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मुकेश कुमार सिन्हा said...

By E-mail

indu puri goswami
to me:

show details 10:32 AM (3 hours ago)

बाबा!
अब अपना कमेन्ट तो होता ही ऐसा है कि कम्प्युटर भी घबरा कर मना कर देता है. इसलिए यहाँ भेज रही हूँ.....उचित लगे तो अपनी पोस्ट पर चिपका देना
तेरी
दी

' रिशु को जन्म दिन की बधाई.पढे,बढे,योग्य बने.

तुमने लिखा है'लेकिन आज की जिंदगी में हम पुरुषों का भी तो शोषण होता है..हम किसे कहेँ.....हमारी पीड़ा को कौन समझेगा.....'
बाबु!मैं सहमत हूँ इस बात से.हल्ला मचाया गया है हमेशा ही कि औरतों का शोषण होता है.उन पर अत्याचार होते हैं किन्तु पुरुषों के साथ जो होता है उसके लिए.....चुप्पी.औरतों की रक्षार्थ उनके हित के लिए बने क़ानून की जिस तरह से कई औरतों ने और उनके परिवार ने 'मिस यूज' किया है और उसका सहारा ले के जिस ढंग से पुरुष और उनके परिवारों को मानसिक यातनाये भुगतनी पडती है उसके लिए ना मिडिया बोलता है न समाज.
परिवारों के बिखरने,संयुक्त परिवारों के टूटने में भी औरतों ने कसर नही छोड़ी.पत्नी,माँ और परिवार के बीच पीसते आदमी की दयनीय स्थिति के लिए किसी ने नही सोचा.
सृष्टि और ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति स्त्री और पुरुष दोनों है.दोनों की अपनी महत्ता है.संसार के अस्तित्त्व के लिए दोनों का होना जरूरी है फिर....कौन कम कौन ज्यादा महत्त्वपूर्ण???
औरते रो कर,इधर उधर बात कर अपने मन की भडास निकाल लेती है.पुरुष आम तौर पर ऐसा नही कर पाते.....उनकी आयु औरतो की तुलना में कम होने का भी यही कारन है.
पुरुष ने पिता,भाई,पति,बेटा,देवर,जेठ,ससुर,मित्र ...अनगिनत रूप में हमारे जीवन में रंग भरे है तथाकथित आधुनिक विचारों वाली और नारीवादी महिलाओं ने ही इन सब पर अंगुली उठाई.वे एक बार बता दे कि उन्हें किसी भी रूप में पुरुष ने प्यार और सुरक्षा नही दी?
मैं तो जीवन की कल्पना भी नही कर सकती अपने जीवन की पुरुष के बिना.मैं तो उन्हें उनके हर रूप में बहुत प्यार करती हूँ. क्या करूं ?
ऐसीच हूँ मैं तो.'

Rajiv said...

"अब बोलो
नारी या पुरुष?
नारी या पुरुष?
नारी या पुरुष ???????"
मुकेश भाई, बेटे को देर से ही सही जन्मदिन कि ढेरों बधाइयाँ. वाकई एक यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर देना आसान नहीं होगा.पलड़ा भले ही जुकता रहा हो कभी इस ओर,कभी उस ओर,परन्तु दर्द तो दर्द ही होता है,किसी को भी हो सकता है. दर्द और ख़ुशी नहीं कर पाते भेड़ पुरुष और नारी के बीच.एक बेहतर विषय को लेकर रची गई रचना के लिए बधाई.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@मीनाक्षी आपने हमारी सोच को सही कहा, धन्यवाद..........:)
@रामपति जी (मेरे भाव) धनयवाद आपको कमेंट्स के लिए..........
@नीलम जी हम गजब नहीं लिखते, आपने हमरी कविता को पढ़ कर गजब बनाया...:)

ρяєєтii said...

Happy Birthday Rishu Dear,... khub padho likho, papa mummy ka naam roshan karo...God Bless U.. Luvsss

मुकेश कुमार सिन्हा said...

on FACE BOOK:

Gurmeet Singh:
Mukesh bhaiya .. aapne bahut sahi likha hai.. yah jeevan ka taraaju hai .. jaha koi bada ya chota ho nahi sakta .. bas samanjasya bana kar chalna hota hai .. neelu ji ne sahi hi kaha tha yah riste dodhari talwar ki tarah hai .. kisi ek tara...f bhi jara sa jhuk jaaye to gadbad ho sakti hai ..
agar naari samarpan ki murti hoti hai to purush bhi sahishunta ka putla hota hai (exception ommited ) .
waise baat sahi hai .. purush aksar underdemeciated hote hai .See More
Saturday at 12:53pm · UnlikeLike · 2 people

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Gurmeet Singh
सच कहा तुमने
ए पुरुष,
नारी रक्षिता रही सदा ,
बचपन में मात-पिता ने धुप से बचाया,
संग परित्याग का पाठ सिखाया !!
...
खेल, खिलोने, झूले, मेले,
सहौदर ही अग्रज है, समझाया !!
शेशव बीता , यौवन आया,
पर हाय अपनो ने ही,
" तू तो परायी है " यही जताया !!

जड़ से बेजड हो,
अपने रिश्तो की तलाश में
स्नेह-सौगात आँचल में समेटे
सात वचनों संग बंध,
पी के घर में आई !!!,

तुम शायद पति धर्म को
बलिदान समझो ,
पर मैंने बलिदान
को धर्म समझ निभाया !!

ए पुरुष
यह जीवन चक्र है
और शायद
यही रिवाज है !
जो मेरा कल था ,
वही मेरी आत्मजा
का आज है !!!

हे पुरुष !
जीवन के इस तराजू में व्यर्थ ना रिश्तो को तोल.
नारी के त्याग का नहीं है कोई मोल !!!

http://emotional-fools.blogspot.com/See More
Saturday at 9:45am · UnlikeLike · 1 person

मुकेश कुमार सिन्हा said...

ON FACEBOOK:

Pooja R Sharma:
waah... bahut khoob... wakai ye bahas aur na jane kab tak chalegi???
Friday at 2:20pm · UnlikeLike · 1 person

एस एम् मासूम said...

सच तो ये है
जिंदगी है एक तराजू
जिसमे एक के साथ करो न्याय
तो दुसरे के साथ दिखता है अन्याय
और इस तराजू के दोनों पलडो
से कर सकते हो तुलना
नारी और पुरुष की.................!

Bahut khoob

babanpandey said...

मुकेश जी /
स्त्री -पुरुष के संबंधो को टटोलती एक प्रश्न वाचक कविता है
बेटे को जन्म दिन मुबारक

मुकेश कुमार सिन्हा said...

on ORKUT:

҉ Kĥטรĥї иØ м€:
Mukeshji aapki lekhni aur soch bhut sashkt hai.
Agar har purush aap ki tarah apni bhawnaoun ko wyakt krna seekh jaye to purush peeda ko bhi samjha ja sakta ha..
swasthye rahiye aur Likhte rahiye
Reply

मुदिता said...

मुकेश जी ,
आप मेरे ब्लॉग पर आये बहुत आभार .. आपने रचना को पसंद किया मैं कृतज्ञ हूँ .. आपने निमंत्रण दिया ब्लॉग पर आने का.. और आते ही जिस रचना को मैंने पढ़ा ..उसी विषय पर अभी दो दिन पहले ही कलम चलायी है..नर और नारी के बीच यह खींचतान खुद को बेहतर साबित करने के लिए चली आ रही है...इसके मूल में क्या है उसे न देख कर पत्तों पर जैसे कीटनाशक छिडकाव करके वृक्ष को बचाने की कोशिशें की जा रही हैं.. जिसके फलस्वरूप आज के दौर में न पुरुष न ही स्त्री ..सम्पूर्ण हो पा रहे हैं ...अपने सत्व को न पहचान अपने कृतत्व को सहजता से पूरा न करते हुए जिम्मेदारी या बोझ समझ पूरा करना दोनों ही पक्षों को शोषित महसूस करवाता है... मैंने इस रचना में कुछ कहने की कोशिश की है.. यहाँ मैंने नारी से उसके अस्तित्व की पहचान के लिए कहा है.. यही सन्देश पुरुषों पर भी लागू होता है .. और संतुलन तभी संभव है जब दोनों एक दूसरे को स्वीकार करने के साथ साथ स्वयं को भी स्वीकार करें अपनी सभी कमियों और गुणों के साथ .. एक दूसरे पर दोषारोपण इस तराजू को कभी संतुलित नहीं होने देगा

इस लिंक पर आप मेरी रचना "संतुलन-सृष्टि का " पढ़ सकते हैं

http://roohshine-lovenlight.blogspot.com/2011/01/blog-post_08.html

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@अंकित भाई, यार तुम जैसे अभिन्न तो हर वक़्त हमें सराहेंगे, वैसे शुक्रिया यार.........")
@ज्योति जी, पहली बार, मेरे ब्लॉग पइ आने केलिए बहुत बहुत धन्यवाद्...:)
@रजनी जी, आपकी बात कुछ सही है, पर ऐसा कुछ सिर्फ भारत जैसे देशओ के लिए है, overall सोच कर देखिये..:)
@ धन्यवाद् डॉ. मोनिका, आशीष व गोपाल जी...........
@बड़ी सटीक बात कही पुतुल आपने....सच में हमें सोचना होगा...क्यूं ऐसा हो रहा है, क्यूं हमारी सोच ऐसी होने लगी..:)
@क्षितिजा आपके कमेंट्स के लिए शुक्रिया...........:)

Sanjay Grover said...

शोषण उन सभी का होता है जो मजबूर हैं, ग़रीब हैं, कमज़ोर हैं, भोले हैं फिर वे चाहे स्त्री हों या पुरुष। जिसके भी हाथ सत्ता/शक्ति लग जाती है वह शोषण करने से नहीं चूकता, स्त्री हो या पुरुष। हमारे दौर ने चूंकि पुरुष-सत्ता को देखा इसलिए उसे स्त्रियों पर ज़ुल्म देखने को मिले। शायद।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

मुकेश जी,
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा !
बहुत अच्छा लिखते है !
देर से ही सही अपने लाडले बेटे को मेरी ओर से उसके जन्म दिन की बधाई और शुभकामनाएँ प्रेषित करें !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@ हाँ डॉ. अजीत!! मैंने आपके ब्लॉग को देख कर जो लगा, वो बोला...कोई नहीं, सबका अपना अंदाज होता है, आपके खुद्दारी को सलाम!!
@ प्रेम सरोवर..........धन्यवाद्...
@ इंदु दी पुरुषों के पक्ष्ह को समझ पाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्...आपकको पोस्ट नहीं हो पा रहा था, इसलिए मैंने ही पोस्ट कर लिया..:)
@धन्यवाद् राजीव जी, आपके दिल को छूटे हुए कमेंट्स के लिए...:)
@Thanks Preeti...:)
@गुरमीत तुम्हारी रचना बहुत बहुत पसंद आयी धन्यवाद्...
@मासूम सर, बब्बन जी, ख़ुशी जी .................शुक्रिया...ब्लॉग पे आने के लिए...:)
@बिलकुल सही कहा आपने मुदिता...हम पुरुष या नारी कोई अपने अस्तित्व को पहचान नहीं पा रहा...:)
@धन्यवाद् संजय जी..........ज्ञानचंद जी..........:)

आप सबको मेरे बेटे को शुभकामना सन्देश देने के लिए शुक्रिया...........

डॉ. जेन्नी शबनम said...

mukesh ji,
beta ko janmdin kee badhaai aur aashish.
tark ka vishay hai ki purush ya naari kaon kis par bhaari( wajan nahin) hahahaha
sach kahein to ye bahas ka mudda hona hin nahin chaahiye, kyonki dono ek dusre ke poorak hain, sansaar tabhi chalta. purush bhi shoshit hote par tulna mein bahut kam jitni stree hoti hai.
achhe vishay par bahut achha likha aapne, shubhkaamnaayen.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Dhanyawad Jenny Di....:)

Rahul Singh said...

गाड़ी के दो पहिए, झगड़ा किस बात का.

mridula pradhan said...

rishabh ko badhayee.ek alag kism ki sunder kavita.

***Punam*** said...

बहुत सही कहा आपने...

ज़िन्दगी में दोनों का अपना-अपना अस्तित्व है...
ये अलग बात है कि अपने आप से आपकी पहचान कब होती है..
और फिर ये सारी बातें बेमानी हों जाती है कि कौन किसके द्वारा शोषित है.....

देर से आने के लिए क्षमा...
रिशु को जन्मदिन कि शुभकामनाएं

मुकेश कुमार सिन्हा said...

@राहुल सर, मृदुला जी, पूनम जी............मेरे ब्लॉग पे दस्तक देने के लिए तहे दिल से धन्यवाद्..............! और रिशु को जन्मदिन की बधाई केलिए भी शुक्रिया............

Dr Varsha Singh said...

रिशु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें और आशीष !
बेहतरीन रचना। बधाई।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

डॉ. वर्षा आप मेरे ब्लॉग पे आयीं.......धन्यवाद्...!!!!

Satish Saxena said...


बहुत खूब ....पूरी रचना सोंचने को मजबूर करती है ! नारी कमजोर होने को आगे लेकर कह सकती है पुरुष कह भी नहीं पता !
रिषभ को सस्नेह आशीर्वाद !

मुकेश कुमार सिन्हा said...

सतीश सर...धन्यवाद् आपके कमेंट्स का हमें इंतज़ार रहता है..:)

sangeeta said...

I liked this poem ...Many happy returns of the day for Rishabh ...although i am late but wishes are never late i believe.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Thanx for wishes Sangeeta!

Rajeysha said...

ना नारी ना पुरूष एक संपूर्णता।
कैसी ? देखें http://rajey.blogspot.com/पर

Jyoti Dehliwal said...

नर और नारी दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे है. सुंदर रचना...