जिंदगी की राहें

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Tuesday, September 25, 2012

~: कुछ हाइकु :~



हाइकु - ये जापानी काव्य प्रकार है । हाइकु अकसर कुदरत वर्णन के लिए लिखे गए हैं । जिसे कीगो " कहते हैं । जापानी हाइकु , एक पंक्ति में लिखा जाता है और 19 वीं शताब्दी पूर्व इसेहिक्को कहा जाता था । 
हाइकु , कविता में 3 पंक्तियाँ होतीं हैं । जिनका अनुपात है, प्रथम पंक्ति में 5 अक्षर , दूसरी में 7 अक्षर और फ़िर तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर हों -- अकसर संधि अक्षर भी एक अक्षर ही गिना जाता है ।
(लोगो को जो पढ़ कर जाना, ये बता रहा हूँ.. और अब कुछ अपने और से प्रस्तुत करना चाहता हूँ ....)


(1)
हमसफ़र
फिर काहे का डर
चल जिधर
(2)
महानगर
मानवीय जंगल
अकेला चल
(3)
देहरी पार
वो चली ससुराल
रो जार जार
(4)
टेबुल कुर्सी
कर मिजाज पुर्सी
है लाटशाही
(5)
राजनीतिज्ञ 
काश होते मर्मज्ञ 
देश कृतज्ञ
(6)

बिटिया रानी 
है बड़ी सायानी
नेह बरसी
(7)
माँ की महता
नहीं बता सकता
भाग्य विधाता
(8)
समप्रभुता
सबका है सम्मान
राज धर्मिता
(9)
कमप्यूटर 
है आभासी दुनिया 
लाती खुशियाँ 
(10)
गरीबी रेखा
नहीं करना पार
पालनहार
(11)
गुलमोहर
है लाल लाल फर
ग्रीष्म बेअसर
(12) 
यश-रिषभ
दोनों छुएंगे नभ
विनती रब !!
(यश रिषभ मेरे बेटों का नाम है)  


(जानकारी के आभाव में मैंने पहले गलत हाइकु पोस्ट की थी, अब सुधार दी है...)