जिंदगी की राहें

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Tuesday, June 14, 2016

उम्मीद


इकतीस दिसंबर की सर्द जाड़े की रात
मेरी बालकनी के सामने का पेड़
अधिकतर पत्तों के
गिरने के बावजूद भी
है जिस पत्ते पर अटकी
मेरी नजर
वो हरा पत्ता
है डाली से अटका
सहता हुआ ठंड और जर्द हवा !
है मेरी एक प्यारी सी ख्वाहिश,
उस अंतिम पत्ते के गिरने से पहले
आ जाए हरियाली की बयार !!

वैसी ही हरीतिमा !
जैसी तुम्हारी यादों से
बावस्ता होती है
तुम्हारी मुस्कानों से
सराबोर हुआ करती है
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