जिंदगी की राहें

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Tuesday, February 28, 2017

आइना


आईने के सामने खड़ा अकेला व्यक्ति
एकांत का प्रतिरोध करने की
एक वाजिब सी कोशिश के साथ !!

वो और उसका प्रतिबिम्ब
जैसे दो बचपन के यार
जैसे एक और एक दो नहीं
हो जाएँ ग्यारह, ऐसी हो उम्मीद !!

होता है न सच्चा और सार्थक
एक ऐसे शख्स का साथ
जो होता है स्वयं जैसा
एक जैसे गुण, दुर्गुण सद्गुण के साथ !!

यानि हँसे तो वो भी मुस्काया खिलखिलाया
रोये तो उसने भी मुंह बनाया, टपकाए आंसू !!

आता है प्यार, उस पर, जो होता है
आईने के उस पार !
जो करते हैं खुद को प्यार
उन्हें आईने में दिख जाता है
हमसफ़र, हमदम हमनजर !!

मतलब, जैसे आईने के सामने वो बुदबुदाया
- 'लव यू'
तो लगा ऐसे,  जैसे  सामने से होंठ हिले
दर्पण के उस पार
हमशक्ल ने कहा 'सेम टू यू' !!


Thursday, February 16, 2017

"विंड चाइम"


सुविधा-संपन्न सोसायटी फ्लैट्स में 
दरवाजे के ऊपर लटकी दिखती हैं 'विंड चाइम्स'
और दरवाज़े से झांकती दिखती है एक अकेली 'मैजिक आई' शक से घूरती
उनकी परछाईं तले, नीचे, पीछे गरीब बस्तियों की किवाड़ों पर होता है अक्सर एक स्वास्तिक, 'ॐ', 786, कभी कोई खंडा और दरके हुए किवाड़ों में होती हैं दरारें कभी दो तख्तों के बीच चिरी लम्बी सी झिर्री झिर्रियों से छनती हवा कभी नहीं निकालती 'ओम' का स्वर
'वन वे मिरर' है 'मैजिक आई' ज़िन्दगी को एकतरफा देख पाने का जरिया जबकि टूटी झिर्री या सुराख आँखों में आँखे डाले, जुड़ने का दोतरफा रास्ता 'मैजिक आई' समृद्धि की चुगली करता जिसकी आज्ञा सिर्फ अन्दर की ओर से आँख लगाये वो एक शख्स ही दे सकता है
उलट इसके, झिर्रियों से झांकते हुए देख सकता है दूर तक कोई भी, अन्दर का घुप्प अँधेरा अभाव यहीं कहीं रहता है रेंगता है 'जीवन' के नाम से जाना जाता है चूल से लटकती तो कभी बस टिकी हुई किवाड़ों पर पुते स्वास्तिक या 'ओम' का खुला सिरा नहीं समेट पा रहा 'खुशहाली' जबकि विंड चाइम की टनटनाहट पंखे के कृत्रिम हवा के साथ भी फैला रही समृद्धि

कल ही ख़रीदा है एक 'विंडचाइम'!