जिंदगी की राहें

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Thursday, June 12, 2014

“गंदी बात”




बेवकूफ लड़की !
तुम्हें कहाँ होगा याद 
भूल चुके होगे तुम ‘सब’
पता नहीं कैसे कैसे 
अजीब अजीब सी सौगंधों से 
बांधा करती थी तुम !

हाँ, मुझे भी बस इतना ही है याद 
और उन सौगंधों का अंत 
होता था, दो शब्दो के साथ 
“गंदी बात”
सिगरेट पीना?
गंदी बात
शराब को हाथ लगाना
गंदी बात
एक बार दी थी सलाह तुम्हें
परीक्षा मे चोरी की
पर, तुम्हारा था अजीब सा उत्तर
गंदी बात
यहाँ तक की “ए” सेर्टिफिकेट वाली मूवी
आती थी ‘गंदी बात’ की श्रेणी में
मत घूरों ऐसे लड़कियों को
गंदी बात
धत्त ! ऐसे स्पर्श !!
बहुत गंदी बात !!

ये लो अब, आज तो जिंदगी
है ऐसी दोराहे पर
जहां से दोनों रास्ते
है बुराई से भरे
बस एक थोड़ा कम, तो दूजा ज्यादा

बहुत दिनों तक थी
तुम्हारी ये ‘गंदी बात’, जेहन में
तभी तो एक बार
किसी अपने की बहुत सारी
नोटों की गड्डियाँ थी गिननी
हर गड्डी मे नोट थे एक या दो ज्यादा
पर तुम्हारी ‘गंदी बात’
तब तक कौंध रही थी
जब तक की गड्डीयों की गिनती
खत्म न हो गई !!

खैर छोड़ो !
गंदी बात, माय फुट
धुएँ के छल्ले उड़ाए न, दारू भी चखूँगा
जल्दी ही !!
किसी ने बताया
दारू का पैग जब हलक से उतरता था
तो मुंह बनाना पड़ता है
ताकि दिख जाये “गंदी बात”

वैसे भी, बुरा बनना, बुरा थोड़ी है !!
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डिस्क्लेमर: मन कभी कभी वैसे ही बहुत सारे प्लॉट गढ़ता है,
कहानी रचने के बदले मैंने कविता बना दी !!
"गंदी बात" आज कल हर जुबान पर रहने वाला शब्द है