पिछले कुछ दिनों से
मेरा बेटा 'यश'
कभी कभी
पहन कर चल देता है
मेरा चप्पल !!
बढ़ रहा है उसका पैर !!
कभी कभी
जब खड़ा होता है
यश मेरे साथ
मेरी ही नजर रहती है
उसकी लम्बाई पर
सोचता हूँ, कब करेगा मुझे पार !!
जब भी उसके प्लेट्स में
रोटियां होती है कम
कह ही उठता हूँ
बढ़ रहे हो,
खाया करो, मेरे से ज्यादा !!
उसके स्कूल्स की कोपियाँ
जहाँ करने होते हैं
पेरेंट्स के हस्ताक्षर
हर बार उसके नाम
"यश कीर्ति सिन्हा" में
'कीर्ति' शब्द पर ठहर जाती है नजर !!
हर बाप की तरह
मेरी भी इच्छा, मुझे भी है इंतज़ार
मेरा बेटा करे नाम
फैले उसका और उसके कारण मेरा यश
चारो तरह हो उसकी कीर्ति !!
सुन रहे हो न रहबर !!
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खूब सारी आशीष !!
(आज मेरे बेटे यश का जन्मदिन है,, जरुरत है आप सबके शुभकामनाओं का )