कल ईद है न
मेरी ईद, सूरज के किरणों सरीखी
तुमसे हो
बेशक सामने फहरा देना अपना आँचल या
लहरा देना जुल्फें
ताकि लगे दूज का चाँद या है सूरज !!
मेरी ईद, सूरज के किरणों सरीखी
तुमसे हो
बेशक सामने फहरा देना अपना आँचल या
लहरा देना जुल्फें
ताकि लगे दूज का चाँद या है सूरज !!
3 comments:
कविता का विषय भाव अच्छा है , हमिंग बर्ड की समीक्षा सुंदर बन पड़ी है , संकलन मैंने पढ़ा , अच्छा लगा आपकी कविताओं मे सरलता और जीवन को उद्धरत करने की कला इसे अलग हट के बनाती है , छोटे छोटे प्रकरण , जन मानस की इधर उधर बिखरी नन्ही कहानियाँ इस संकलन की विशेषता हैं बधाई मुकेश जी
आपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 15/03/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 242 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
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