जिंदगी की राहें

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Sunday, August 8, 2021

क्षणिकएं : कोरोना से जुड़ी हुई



 🔴 मास्क


मास्क
है वजह
ताकि
न दें पाएं चुम्बन
न लें आलिंगन
बेशक तेज हो श्वसन
बदले आवाज की आवृत्ति
जिससे बढ़ जाए धड़कन

मास्क
है आश्वासन
ताकि बस बचा रहे जीवन
मुझसे ज्यादा उसका जीवन

🔴 सोशल डिस्‍टेंसिंग

दो गज की दूरी पर
बने दो गोले का
सम्मिलन

आवाज/भाव और स्नेह
के वजहों से हो रहा है
सर्वनिष्ठ

सोशल डिस्‍टेंसिंग
अपनाते हुए बुदबुदाया मन
दूरियां नजदीकियां बन गई
अजब इत्तिफ़ाक़ है !

🔴 आइसोलेशन

इतने स्ट्रिक्ट लॉक डाउन और
आइसोलेशन के बावजूद
न जाने किन गलियों से गुजरकर
तुम आ ही जाती हो
मेरे दिल के अंदर

रहो फिर परमानेंटली वहीं
ताकि बना रहे
बायो बबल।

बच कर रहना, बचाये रखना
समझी न।

🔴 वैक्सीनेशन

दो बूंद जिंदगी के
कह कर पिलाया था कभी
पल्स पोलियो का डोज

बढ़ती उम्र कहती है
इन दिनों
तुम्हे नज़रों में रखना
वैक्सीनेशन प्रोग्राम में आता है क्या।

नज़रों में रहना
बेशक दोनों बाहें वैक्सिनेटेड हो
चाह रही बाहें फैलाना।

~मुकेश~



7 comments:

Sweta sinha said...

जानलेवा बीमारी के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण।
अच्छी रचना सर।

सादर।

जिज्ञासा सिंह said...

सामयिक और यथार्थ का सुंदर चित्रण। कोरोना से बचाव का साथ साथ सार्थक संदेश देती रचना।

Onkar said...

बहुत सुंदर

रेणु said...
This comment has been removed by the author.
रेणु said...

बढ़िया क्षनिकाएं हैं मुकेश जी | समसामयिक और उम्दा | हार्दिक शुभकामनाएं|

Sudha Devrani said...

बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं
वाह!!!

Aniket Kumar ( Govinda ) said...

बहुत उपयोगी जानकारी है Todaynews