जिंदगी की राहें

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Friday, September 14, 2018

सन्नाटा


1.
खामोशियाँ तब भी थी
थी शांत जल धारा
शांत थे उसमे तैरते
छोटी-बड़ी मछलियाँ
प्रॉन, कछुए और केंकड़े भी 
शांत थी व्हेल भी
जब वो पीछे से आयी, थी मुंह बाये
और फिर आया भूचाल

कोलाहल अजब गजब
कुछ शांत जीवों के लिए ........
फिर से शांत हो गया सब कुछ
कभी कभी नीरवता बन जाती है 'शांति'!!

~मुकेश~

2.

मौन फुसफुसाया
'शोर' के कानों में
- चीखो तुम
चिल्लाओ दम लगाकर
सुनूँ आखिर तुम्हारी 
चिल्लाहट !
पर अंततः
महसूसना तुम
अपने अंदर की चुप्पी
फिर मिलेगा
चुप्पियों से गूँथा हुआ
सन्नाटा !
या
सन्नाटे को चीरता कोलाहल !
~मुकेश~

जागरण सखी पर लाल फ्रॉक वाली लड़की की समीक्षा स्मिता के शब्दों में 

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