जिंदगी की राहें

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Monday, April 3, 2017

खास उम्र की महिलाएं



उम्र की एक निश्चित दहलीज
पार कर चुकी खूबसूरत महिलायें
उनके चेहरे पर खिंची हलकी रेखाएं
ऐसे जैसे ठन्डे आस्ट्रेलिया के
'डाउंस' घास के मैदान में
कुछ पथिक चलते रहे
और, बन गयी पगडंडियाँ
ढेरों, इधर उधर
पथिकों की सुविधानुसार

चलते चलते थकी भी, रुकी भी
अपने पैरों पर चक्करघिन्नी काटी
और, बस चेहरे पर बन गए, कुछ अजूबे से
गड्ढे, डिम्पल ही कह लो न

लटें उनकी
कुछ बल खाती काली सुनहरी
एक दो सफ़ेद लटें झाँकती हुई
आ कर गिरती हैं चेहरे पर
जैसे हरीतिमा और
उनमे कुछ सुन्दर लाल जंगली फूल

यूँ तो उम्र हर एक की होती है
पेड़ जो ठूंठ बन कर सो रहे
पेड़ जो सदाबहार दूर तक छांव दे रहे
या जो हरी पत्तियों और चमकीले फूलों संग लह लहा रहे
कभी देखा है ?
अलग अलग सेल्फ़ियाँ को
सूख चुके तने संग ली गयी सेल्फी
लगती है न मन को भली
समझ गए न !!
वैसे भी एंटी एजिंग क्रीम का जमाना है
फिर बरगद जितना पुराना उतना छायादार

ये खास उम्र की महिलाएं भी,
होती हैं अपने में परिपूर्ण
चाहें तो समेट ले अपने में,
दे पाये खूबसूरत सी जिन्दगी का अहसास
हर मौसम में वसंत
पर, होती हैं, संवेदनाओं और मान्यताओं से बंधी
नहीं चाहती उनके वजूद में कोई और खोये
या वो अधर जो लगे हैं सूखने
नहीं हो किसी और के वजूद से गीले

एक सच और भी है
इन को भी चाहने वाले करते हैं इन्तजार, बहुत देर तलक
पर,
इन्तजार जान तो नहीं लेगा न

~मुकेश~


6 comments:

kuldeep thakur said...

दिनांक 04/04/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंदhttps://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...

'एकलव्य' said...

बहुत ख़ूब! सुंदर सजीव वर्णन।

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर।

Unknown said...

बहुत अच्छा श्रंगार लिखा आपने
http://savanxxx.blogspot.in

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (06-04-2017) को

"सबसे दुखी किसान" (चर्चा अंक-2615)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
विक्रमी सम्वत् 2074 की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Onkar said...

सुन्दर प्रस्तुति