सुनो !!
तुम सच में खूबसूरत हो
या मेरी नजरें
हो गयी हैं बेवकूफ
वैसे कुछ बेवकूफियाँ
होती हैं न मनभावन
जैसे तुमने कहा था
ऐसे मत ताको
खूबसूरती नजरों में होती है !
ब्यूटी लाइज इन बेहोल्डर्स आईज !!
सुनो !!
ऐसे ही मेरी नजरों में
बनी रहना खूबसूरत
वो मोनालिसा सी मुस्कराहट
है तुम्हारी खूबसूरती का राज
क्या कोई ब्यूटी क्रीम है वजह
धत्त ! होगी तुम्हारी ड्रेसिंग टेबल में
कोई स्पेशल मुल्तानी मिटटी !!
नैसर्गिक खूबसूरती तभी तो है !!
सुनो !!
क्या किसी और ने भी
कभी कहा तुम्हें ब्यूटीफुल !!
नहीं ?
अच्छा हुआ !!
बनाती रहो मुझे ही उल्लू !!
किसी ने कहा
कुछ बेवकूफियाँ रंग भरती हैं! तभी बरसात के बाद दिखता है
इंद्रधनुष ! बैजानीहपीनाला !!
सुनो !!
मेरे अंदर के रेगिस्तान को
ऐसे ही कभी कभी
अपने नजरों से सिंचित करती रहना
नमी अंकुरण देती है
जीवन देती है , लाइफलाइन हो तुम !!
मेरी मृगतृष्णा
सुन रही हो न !!
मॉनसून का है असर, समझी न !
4 अक्टूबर 2015 के दैनिक जागरण में हमिंग बर्ड की समीक्षा |
3 comments:
वो मोनालिसा सी मुस्कराहट
है तुम्हारी खूबसूरती का राज
क्या कोई ब्यूटी क्रीम है वजह
धत्त ! होगी तुम्हारी ड्रेसिंग टेबल में
कोई स्पेशल मुल्तानी मिटटी !!
नैसर्गिक खूबसूरती तभी तो है !!
उम्दा रचना
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति।
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