जिंदगी की राहें

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Monday, December 13, 2021

क्षणिका (खर्राटा)

1.

खर्राटा
वो फड़फड़ाती प्रेम कविता है
जिसको सुनाते हुए प्रेमी सुख का गोता लगता है
जिसको सुनते हुए माशूका
दर्द में होती है
2.
खर्राटा
है आवाज़ की तरंगित वेवलेंग्थ
जिसमें घटते-बढ़ते आयामों के साथ
ख़ुद की नींद पक्की करते हुए
साथ वाले की नींद को तोड़ने की
कोशिश मात्र होती है
3.
खर्राटा
है एक के लिए नींद का ऑक्सीजन
जो साथ वाले के लिए
बन जाता है
कार्बन-डॉय-ऑक्साइड का सबब।
~मुकेश~



7 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (15-12-2021) को चर्चा मंच        "रजनी उजलो रंग भरे"    (चर्चा अंक-4279)     पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
-- 
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ज़बरदस्त खर्राटा पुराण ..... हर क्षणिका सच और केवल सच कहती हुई ....

दीपक कुमार भानरे said...

अच्छा प्रयास आदरणीय ।

मन की वीणा said...

अभिनव खर्राटा सृजन।😃

Onkar said...

अच्छा सृजन

Hare ram chourasia said...

बढ़िया

जिज्ञासा सिंह said...

वाह, शानदार खर्राटा वर्णित सृजन ।