जिंदगी की राहें

जिंदगी की राहें

Followers

Saturday, May 25, 2019

बोनसाई

बोनसाई पेड़ों जैसी
होती है जिंदगी, मेट्रो सिटी में रहने वालों की
मिलता है सब कुछ
लेकिन मिलेगा राशनिंग में
पानी
बिजली
वायु
घर की दीवारें
पार्किंग
यहाँ तक की धूप भी
सिर्फ एक कोना छिटकता हुआ
है न सच
ख़ास सीमा तक कर सकते हैं खर्च
पानी या बिजली
अगर पाना है
सब्सिडाइज्ड कीमत
वर्ना
भुगतो बजट के बिगड़ जाने का
धूप है नेचुरल
पर घर की चारदीवारी
है न डब्बे सी
तो बस
धूप भी आती है
किसी खास खिड़की से
कुछ ख़ास वक़्त
क्या खाऊं या क्या न खाऊं
प्रीकौशंस व एडवाईसेस
साथ ही
महंगाई और कमी की कैंचियाँ
कतरती रहती है
जिंदगी की खुशियाँ
बीतते समय व दिनों के साथ
ढूंढे रहे
कुछ कुछ
सब कुछ
आखिर कभी तो जियेंगे
बिना किसी हिदायतों के
बिना किसी कमियों के
बिना किसी खिड़की वाली चारदीवारी के
बिना किसी दर्द और प्यास के
पर ये जिंदगी
मेट्रो में चढ़ते उतरते
मेट्रो सिटी में
टंच बुशर्ट और टिप टॉप पेंट के साथ
बस रह गयी है
ऊपर से बोनजाई
काश मिल जाता
धरती/आकाश/जल
जी लेते हम भी .....
खैर ........!
~मुकेश~

4 comments:

Onkar said...

सटीक रचना. यही सच्चाई है.

अनीता सैनी said...

बहुत सुन्दर

मन की वीणा said...

बहुत शानदार यथार्थ का दर्द।
सार्थक रचना।
सुंदर लेखन।

Entertaining Game Channel said...

This is Very very nice article. Everyone should read. Thanks for sharing. Don't miss WORLD'S BEST

CityGtCarStunts