जिंदगी की राहें

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Thursday, February 12, 2015

क्षणिका


आईने में जब भी देखा 
तेरा अक्स 
लगाया काजल का टीका, 
माथे के बाएं कोने पर
आइने के उपर !
डर था कि कहीं,
नजर न लगे तुम्हे
या चकनाचूर हो जाये
आईना ............ !!
आईना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे .......


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पुस्तक मेला !
मेले में हम 
मेले में मैं और तुम 
पढेंगे प्रेम गीत-कविता-गजल 
मैं इस स्टाल 
तुम दुसरे स्टाल !!
दो अनजाने प्यार में .....


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हाँ दिखी थी 
नजरें भी मिली 
हाँ, पर दोनों आगे बढ़ गए 
डीवाईडर क्या न करवाए 
चाहतें मिलने की भी थी 
पर बहुत दूर तक
यु-टर्न नहीं था
आखिर कितनी दूर तक जाते ...........
पलटता चेहरा आगे कि ओर देखने लगा ... !!



चंद्रकांत देवताले हमिंग बर्ड के साथ

smile emoticon

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