झील के दूसरे छोर पर
दिखी वो, शायद निहार रही थी जलधारा
पर, मैंने देखा, टिकी मेरी नजर
और.... आह !
वो नहाने लगी
मेरे काल कल्पित झरने में...
मेरी मन्दाकिनी !!
दिखी वो, शायद निहार रही थी जलधारा
पर, मैंने देखा, टिकी मेरी नजर
और.... आह !
वो नहाने लगी
मेरे काल कल्पित झरने में...
मेरी मन्दाकिनी !!
मन ने कहा
चिल्ला कर कहूँ,
सुनो, ए लड़की इधर तो मुड़ो, देखो न !
इश्श्श, मेरी चिल्लाहट
मौन से भरी मेरी आवाज
पल्लू बन कर ढक रही थी
उसका चेहरा, उसका वक्ष !
धत्त !!
चिल्ला कर कहूँ,
सुनो, ए लड़की इधर तो मुड़ो, देखो न !
इश्श्श, मेरी चिल्लाहट
मौन से भरी मेरी आवाज
पल्लू बन कर ढक रही थी
उसका चेहरा, उसका वक्ष !
धत्त !!
दिन ढल रहा था
पर मैं हूँ कि अटक ही गया
झील के उस किनारे पर
टिकी थी, मैं और मेरी परछाई भी
मैं, जितना उसको नजरों से उघाड़ता
पर, मेरी परछाई ने
बना दिया उसके लिए घर
ताकि न पड़े मेरी बदनजर उसपर!!
पर मैं हूँ कि अटक ही गया
झील के उस किनारे पर
टिकी थी, मैं और मेरी परछाई भी
मैं, जितना उसको नजरों से उघाड़ता
पर, मेरी परछाई ने
बना दिया उसके लिए घर
ताकि न पड़े मेरी बदनजर उसपर!!
खैर जाने दो,
उसकी ख़ामोशी, उसका मौन
पता नही क्यूँ?
मुझ में भर रही अलीशा चिनॉय सी
मदभरी, मस्त सुरीली आवाज
थोड़ी ठहरी.. थोड़ी खनकती सी!!
उसकी ख़ामोशी, उसका मौन
पता नही क्यूँ?
मुझ में भर रही अलीशा चिनॉय सी
मदभरी, मस्त सुरीली आवाज
थोड़ी ठहरी.. थोड़ी खनकती सी!!
मैं - वो !
झील व फैंटेसी!!
सब ढलने लगी
आखिर शाम हो चुकी थी !!
झील व फैंटेसी!!
सब ढलने लगी
आखिर शाम हो चुकी थी !!
9 comments:
झील और फैंटसी बहुत-सुंदर अभिव्यक्ति
झील और फैंटसी बहुत-सुंदर अभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।............श्रृंगार युक्त खूबसूरत रचना!
बहुत सुन्दर फंतासी चित्रण !
वसंत पंचमी
बहुत सुंदर ॥
सुन्दर प्रस्तुति
फंतासी में जहां जाना चाहें पलक झपकते ही जा सकते हैं ...
श्रृंगार रस में डूबे शब्द ---बहुत अच्छे
Post a Comment